पीएम मोदी जन्मदिन स्पेशल: पांच बार जब पीएम मोदी ने विरोधियों को किया था चित्त

मोदी

आज 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 68वें साल के हो गए हैं। उनके जन्मदिन के अवसर सभी देशवासियों में उल्लास की भावना है। वो एक ऐसे नेता हैं जिन्हें भारत का हर वर्ग पसंद करता है। चाहे संसद में भाषण हो, रैलियों में चुनाव प्रचार हो या राजनयिक वार्ता हो, सभी में प्रधानमंत्री मोदी का कोई जवाब नहीं है। पीएम मोदी एक प्रभावी वक्ता और उत्कृष्ट नेता हैं जिनके सामने विरोधी टिक नहीं पाते हैं और न ही विदेशी नेता उनके कुशल नेतृत्व, वाक्पटुता से अछूते हैं। उनसे नफरत करने वाला भी उनके प्रभावी व्यक्तित्व को नकार नहीं सकता है। आज प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के अवसर पर हम पिछले एक साल में उन पांच बड़े मुद्दों के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसमें उन्होंने विरोधियों को चारों खाने चित्त कर दिया था।

एमओयू पर हस्ताक्षर न कर ब्रिटेन को दिया था ‘झटका’

पीएम मोदी ने ब्रिटेन को उसी की भाषा में दिया था जवाब जब उन्होंने ब्रिटेन के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था जिसके बारे में शायद ब्रिटेन ने सोचा भी नहीं था।  ब्रिटेन भारत पर अपना प्रभाव बनाने की कोशिश करता रहा है लेकिन जबसे मोदी जी सत्ता में आये हैं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रभाव बढ़ा है और वो समय के साथ और भी ज्यादा मजबूत हो रहा है। नवंबर 2017 में ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने पीएम से यूके भारतीयों को वीजा देने की प्रक्रिया को आसान करने की बात कही थी लेकिन बाद में ब्रिटेन ने भारतीयों को आसानी से वीजा मुहैया कराने से इंकार कर दिया तो प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिटेन के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया जिसके तहत ब्रिटेन में गैर कानूनी तरीके से रह रहे अप्रवासी भारतीयों को वापस भारत भेजने की प्रक्रिया शामिल है। दरअसल, ब्रिटेन चीन को दो वर्ष का मल्टिपल एंट्री वीजा मुहैया कराता है और ये सुविधा भारत भी चाहता है। यही वजह है कि भारत फ्री ट्रेड के लिए वीजा के नियमों में बदलाव चाहता था लेकिन ब्रिटेन सिर्फ अपना फायदा चाहता था ऐसे में पीएम मोदी के रुख ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री को चौंका दिया था और ब्रिटेन को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था।

जब ब्रिटिश पीएम थेरेसा मे को दिया था ‘करारा’ जवाब

पीएम नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसे मे के बीच विजय माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर बातचीत के दौरान थेरेसे मे ने भारतीय जेलों पर सवाल उठाये थे। उन्होंने माल्या को प्रत्यार्पित नहीं करने के पीछे भारतीय जेलों की व्यवस्था को चिंताजनक बताया था लेकिन पीएम मोदी के जवाब ने उन्हें चौंका दिया था। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने अपने शानदार राजनैतिक कौशल का प्रदर्शन भी किया था। पीएम मोदी ने उनके सवाल का जवाब देते हुए कहा, “मुझे पता है कि आपकी अदालत हमारे जेलों की परिस्थितियों को देखने आयी है और मैं आपको बता देना चाहता हूं कि ये वही जेलें हैं, जिसमें आपने कभी महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू जैसे अन्य बड़े भारतीय नेताओं को रखा था, ऐसे में उन जेलों पर सवाल उठाना आपकी अदालतों के लिए सही नहीं है।” पीएम मोदी ने अपने जवाब से अपने विवेक का परिचय देते हुए ये जता दिया था कि वो पूर्व नेताओं की तरह सीधे नहीं है और अपने देश की स्थिति से वो पूरी तरह से अवगत हैं।

मोदी बनाम सभी, विपक्ष हुआ तार-तार

जुलाई माह में एनडीए सरकार को गिराने के लिए विपक्ष संसद में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने मोदी सरकार पर कई सवाल खड़े किये थे। विपक्ष के हर वार पर मोदी जी ने बड़ी सहजता से जवाब दिया था और विपक्ष को तार-तार कर दिया था। विपक्ष ने निराधार आरोप लगाये और मोदी जी ने जमीनी स्तर पर उनके दावों को ख़ारिज कर दिया था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अपने ही सवालों पर पानी-पानी हो गये थे। राफेल डील हो या डोकलाम मुद्दा या राहुल गांधी द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक को ‘जुमला’ कहा जाना या राहुल गांधी द्वारा ‘आंख में आंख न डाल पाने’ से जुड़ा तंज, उन्होंने हर स्तर पर तथ्यों से परिपूर्ण जवाब दिए। राहुल के ‘शिव भक्ति’ का ढोंग भी उन्होंने सामने रखा था। विपक्ष को तगड़ा झटका देते हुए पीएम मोदी ने ‘भगवन शिव की भक्ति’ को लेकर राहुल पर तंज कसते हुए कहा, “आज कल शिव भक्ति की बातें हो रही हैं। भगवान आपको (गांधी और कांग्रेस) इतनी शक्ति दे कि 2024 में फिर से आपको अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाना पड़े। मेरी आपको शुभकामनाएं हैं।“ इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष को आईना दिखाया और कहा कि वो आज देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर जनता के जनादेश के कारण बैठे हैं और उन्हीं हटाने की क्षमता भी सिर्फ देश की जनता के पास है। उनके इस बयान से विपक्ष अपने ही बुने जाल में फंस गया था और उसका ढोंग देश की जनता ने भी देखा था।

प्रधानमंत्री का लंदन में जबरदस्त भाषण

इसी साल अप्रैल में ब्रिटेन की राजधानी लंदन में वेस्टमिंस्टर के सेंट्रल हॉल में आयोजित ‘भारत की बात सबके साथ’ नाम के एक कार्यक्रम में अपने वाक्पटुता से पीएम मोदी ने सभी का दिल जीत लिया था। इस कार्यक्रम में प्रसून जोशी उनका इंटरव्यू ले रहे थे। इस दौरान प्रसून जोशी ने उनके शुरूआती जीवन से लेकर पीएम बनने तक के सफर से बातचीत शुरू की थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर सवाल का जवाब एक सच्चे देश सेवक की तरह दिया।  सर्जिकल स्ट्राइक हो या महिलाओं की सुरक्षा या हो गरीबी या राजनीतिक विवाद सभी का जवाब उन्होंने अपनी रिपोर्ट कार्ड में पेश किया था। इस मंच से पीएम मोदी ने विपक्ष के लिए खतरे की घंटी भी बजा दी और विपक्ष को बताया कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर देश की जनता ने जिन उम्मीदों से बैठाया है वो सभी पर खरे उतरने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं और वो सफल भी हो रहे हैं। पीएम मोदी औपचारिक मंच पर बोल रहे थे और एक प्रधानमंत्री की गरिमा को बनाये रखते हुए उन्होंने सीधे किसी भी विरोधी पर कुछ नहीं कहा। पीएम की वाकपटुता अपने आप में श्रेष्ठ और सराहनीय थी और जब पूरा हॉल ‘भारत माता की जय’ और ‘वन्दे मातरम’ के नारों से गूंज उठा तब देश में बैठे उनके विरोधी का घर उस गूंज से डगमगा उठा था। ये गूंज विदेशी देशों के लिए भी भारत के बढ़ते प्रभाव की गूंज थी।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो करना पड़ा था राजनयिक तिरस्कार का सामना

पीएम मोदी की वजह से जस्टिन ट्रूडो को जिस तरह से राजनयिक तिरस्कार का सामना करना पड़ा था वो बेहद चौंका देने वाला था जिसकी चर्चा देश ही नहीं बल्कि अन्य विदेशी देशों में भी हो रही थी। भारत सरकार के दबाव के कारण ही कनाडा के प्रधानमंत्री को खालिस्तान आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। आईएसआई के समर्थक  हरदीप सिंह निज्जर  का घेराव करते हुए कनाडाई अधिकारियों ने पूछताछ की थी। निज्जर पर आईएसआई के आदेश पर कनाडा में आतंकवादी शिविर चलाने का आरोप है और वो पंजाब के नौ सबसे वांछित खालिस्तान आतंकवादियों में से एक था। ये सूची पंजाब के सीएम ने ट्रूडो को भारत की यात्रा के दौरान उन्हें सौंपी थी। भारत ने 23 जनवरी, 2015 में उनके लिए एक लुक-आउट नोटिस जारी किया और इस मामले को कनाडा के अधिकारियों के समक्ष आक्रामक रूप से उठाया था और कार्रवाई के लिए दबाव बनाने की कोशिश भी की थी। खालिस्तान के नौ सबसे वांछित समर्थकों में से एक के पकड़े जाने के बाद निश्चित तौर पर पीएम मोदी की विदेश नीति एक बार फिर से सफल साबित हुई थी।

कुल मिलाकर आज के समय में ऐसा कोई भी राजनेता नहीं है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनैतिक कौशल, वाक्पटुता और लोकप्रियता से मैच कर सके। वो समय के साथ और भी ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं क्योंकि वो वास्तव में देश और जनता के लिए काम कर रहे हैं।  पीएम मोदी सकारात्मक व आशावादी सोच परिपूर्ण हैं और वो आमतौर खुद को जनता से जोड़कर  रखते हैं जो एक सफल नेता की पहचान होती है।

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