राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा तेज है कि सुपरस्टार रजनीकांत भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं, सूत्रों के मुताबिक बीते कुछ दिनों में रजनीकांत ने भारतीय जनता पार्टी के साथ कई बैठकें की हैं। सिर्फ पांच दिनों की कम अवधि में ही तमिल के सुपरस्टार ने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ 7 मुलाकातें की हैं। उनकी नई गठित पार्टी रजनी मक्कल मनरम 2021 विधानसभा चुनावों में तमिलनाडु के सभी 234 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ सकती है। यदि रजनीकांत बीजेपी के साथ हाथ मिलाने का फैसला करते हैं तो दक्षिण भारत में राष्ट्रीय पार्टी को जिस बूस्ट की जरूरत है मिल जायेगा। थलाइवा की लोकप्रियता सिर्फ तमिलनाडु में ही सीमित नहीं है बल्कि पड़ोसी राज्यों तक फैली हुई है। रजनीकांत की स्पष्ट दृष्टि और सादगी के लोग पहले ही कायल हैं और राजनीति में उनके आने से उनके समर्थक काफी खुश हैं। ऐसे में अगर वो बीजेपी में शामिल होने का निर्णय लेते हैं तो ये बीजेपी के लिए फायदेमंद होगा और लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी को इसका फायदा मिलेगा। तमिलनाडु में दो सबसे बड़ी पार्टियां द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीच खींचतान की वजह से राज्य की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
द्रविड़ मुनेत्र कझागम नेता करुणानिधि की मौत ने एक बार फिर से आम जनता के गंदी राजनीति के दृश्य को ताजा कर दिया है। राज्य की सत्तरूढ़ पार्टी अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कझागम में जयललिता के निधन के बाद से एक मजबूत नेतृत्व की कमी है। जबकि रजनीकांत अकेले ही राज्य को द्रमुक और अन्न्द्रमुक की इस गंदी राजनीति से बाहर निकाल सकते हैं और बीजेपी में शामिल होना मतलब है कि इन पार्टियों को सत्ता से बाहर करने में बीजेपी के लिए और भी ज्यादा आसान राह का बनना है जिससे बीजेपी को दक्षिण भारत में निर्णायक जीत मिलेगी। बीजेपी दक्षिण के लिए अपनी योजना बना रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी की तरफ से मोहनलाल 2019 का लोकसभा चुनाव केरल की तिरूवनंतपुरम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के सांसद ने शशि थरूर ने चुनाव लड़ा था। मलयालम फिल्मों के सुपरस्टार मोहन लाल आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार शशि थरूर के खिलाफ मैदान में उतरेंगे।
बीजेपी में रजनीकांत के शामिल होने का मतलब होगा दक्षिण राज्यों में पार्टी को स्वीकार करना और विपक्ष कमजोर पड़ जायेगा। रजनीकांत की वो छवि जिसके लिए वो जानें जातें हैं स्टरलाइट विरोध प्रदर्शन के दौरान भी सामने आई थी जब उन्होंने तमिलनाडु के थूथुकुड़ी जिले में स्टरलाइट के विरोध में पुलिस द्वारा की गयी फायरिंग से पीड़ितों से मुलाकात की थी। उन्होंने भारत विरोधी स्टैंड लेने से मना कर दिया था और कहा था कि उन्हें ‘सत्ता का कोई लालच नहीं है और न ही पैसे कमाने का’ जैसा कि जिग्नेश, हार्दिक जैसे नेता करते हैं। रजनीकांत ने स्पष्ट कर दिया कि वो अपने रुख में कोई भी बदलाव नहीं करेंगे चाहे उन्हें इसके लिए राज्य में वामपंथी और द्रविड़ समर्थक दलों की तीखी प्रतिक्रिया का सामना क्यों न करना पड़े। रजनीकांत ने 19 जून को हिंदू पीपल्स पार्टी (हिंदू मक्कल काची) के नेताओं के साथ मुलाकात की थी जिसके बाद से उनके राजनीति में सक्रिय होने की अटकलें तेज हो गयी थीं। बीजेपी और रजनीकांत में कई समानता है और दोनों ही आर्यन-द्रविड़ को बांटने की राजनीति के खिलाफ हैं। थलाइवा का राजनीति में प्रवेश करने का मतलब है तमिलनाडु में राष्ट्रवादी राजनीति में एक नए युग की शुरुआत होना जो देश के दक्षिणी भाग में आर्यन-द्रविड़ की राजनीति के अस्तित्व को खतरे में डाल देगा। भारत को रजनीकांत जैसे नेता की जरूरत है जिनके पास वो सभी गुण हैं जो एक सच्चे नेता में होने चाहिए जो अपनी भूमि के सुधार और विकास के लिए सभी संभव प्रयास करने के लिए तैयार हैं और इसके लिए चाहे उन्हें अपनी प्रतिष्ठा का बलिदान ही क्यों न करना पड़े।
बीजेपी में अगर सुपरस्टार रजनीकांत शामिल होते हैं तो ये दक्षिण राज्यों में बीजेपी की तैयारियों को पंख लगा देगा। भारतीय जनता पार्टी साल 2019 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण राज्यों में अपनी स्थिति को मजबूत बनाने की कोशिशों में जुटी है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन बढ़िया रहा था ऐसे में दक्षिण भाग में भारतीय जनता पार्टी के लिए अपनी पकड़ को मजबूत बनाने में और भी ज्यादा कामयाबी मिलेगी।