तमिलनाडु सरकार राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के लिए तैयार है पर क्यों ये गलत फैसला है

राजीव गांधी तमिलनाडु

वन इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषियों को रिहा करने के लिए निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी की अध्यक्षता में चेन्नई में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस संबंध में एक प्रस्ताव स्वीकार किया गया। अब इस प्रस्ताव को राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के पास भेजा गया है जिसमें हत्या के दोषी सात आरोपी, मुरूगन, संतन, पेरारीवलन, जयकुमार, रविचन्द्रन, रॉबर्ट पायस और नलिनी  को रिहा करने के लिए सिफारिश की गयी है। ये सभी दोषी पिछले 27 वर्षों से जेल में सजा काट रहे हैं।

गौरतलब है कि, 21 मई,1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान आत्मघाती मानव बम विस्फोट से हत्या कर दी गयी थी। ये विस्फोट तेन्ह्मोह्ज़ी राजरत्नम नामक महिला द्वारा किया गया था जो धनु के रूप में जानी जाती थी। ये महिला एलटीटीई की सदस्य थी। इस विस्फोट में राजीव गांधी समेत 14 लोगों की मौत हुई थी।

तमिलनाडु सरकार का ये फैसला सुप्रीम कोर्ट की तरफ से राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत इस मामले के एक अन्य दोषी पेरारीवलन की दया याचिका पर तत्काल विचार करने के आदेश के चार दिन बाद आया है और सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस याचिका का निपटारा किया जिसमें दोषियों की रिहा करने के तमिलनाडु के फैसले का विरोध किया गया था।

मत्स्य पालन मंत्री डी. जयकुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तमिलनाडु सरकार ने दोषियों को मुक्त करने का प्रस्ताव को आगे बढाने का फैसला लिया गया क्योंकि इन दोषियों रिहाई के लिए याचिका दायर की थी। उन्होंने आगे बताया कि  राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद से बिना किसी देसरी के प्रस्ताव राज्यपाल के पास भेजा जायेगा।

तमिलनाडु सरकार द्वारा लिए गये फैसले पर कई सवाल उठाये जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इससे सिर्फ देश ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी गलत संदेश जायेगा। यहां तक कि कांग्रेस पार्टी ने भी इस फैसले का समर्थन किया है जो दर्शाता है कि पार्टी के पास अपना कोई आत्म-सम्मान नहीं है। राहुल गांधी ने अपने एक बयान में कहा था कि “मैंने अपने पिता के हत्यारों को माफ़ कर दिया है।” ये बहुत ही महत्वपूर्ण मामला है जहां प्रधानमंत्री की हत्या एक आतंकी संगठन द्वारा की गयी थी लेकिन सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए राजनीतिक पार्टियां दोषियों को माफ़ कर रही हैं। इसके अलावा गांधी परिवार ने भी दोषियों को माफ़ करने का फैसला लिया है उसके पीछे दो बेतुके कारण हो सकते हैं-

पहला, उस घटना में सिर्फ राजीव गांधी की ही मृत्यु नहीं हुई थी। उस मानवघाती बम से 14 अन्य लोगों की भी जान गयी थी। ऐसे में हम उन पुलिसकर्मियों के परिवारों और निर्दोष लोगों को क्यों भूल रहे हैं? क्या उनके जीवन का कोई मूल्य नहीं है? क्या उनकी राय इस मामले में कोई मायने नहीं रखती है?

दूसरा कारण, अगर उनके परिवारवालों ने सभी को माफ़ कर दिया है फिर भी इसका कोई मतलब नहीं है। भारत में नियम कुछ कारणों की वजह से बनाये गये हैं। इसके अलावा ये किस तरह का उदाहरण स्थापित करेगा और भारत के पीएम के दोषियों को रिहा करना दुनिया के सामने किस तरह का संदेश भेजेगा? राजनीतिक हित और वोट बैंक की राजनीति के लिए दोषियों को रिहा करना उचित नहीं है। इसके साथ ही सिर्फ वोटबैंक की राजनीति के लिए खतरनाक दोषियों को रिहा करना समाज की सुरक्षा की दृष्टि से भी उचित नहीं है। इस तरह के कदम देश में अपराध करने वाले लोगों को बढ़ावा देना जैसा होगा और वो पीएम को मारने के लिए फिर से कोई षड्यंत्र रच सकते हैं। हाल ही में महाराष्ट्र पुलिस ने पीएम मोदी को मारने की साजिश करने वालों को गिरफ्तार किया था। फिर से कोई और इस तरह की गतिविधि में शामिल न हो इसके लिए इन दोषियों को को माफ़ नहीं किया जाना चाहिए।

और सबसे अहम है कि दोषियों को रिहा करना अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि पर भी बुरा असर डालेगा। ऐसे में हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे पड़ोसियों से रिश्ते खराब हो या कोई गलत संदेश उनतक पहुंचे।

ऐसे में तमिलनाडु सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और देश के हित में निर्णय लेना चाहिए।

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