ऐसे कई मामले हैं जिसमें आरोप मढ़ने वाला ही दोषी होता है लेकिन बिना मामले की गहरायी में जाए ही कभी कभी कुछ नेता उन्हें सम्मानित कर हीरो का तमगा पहना देते हैं। इसमें निर्दोष फंसकर रह जाता है जांच की सुस्त प्रक्रिया जब तक पूरी होती है निर्दोष का घर-परिवार, नाते-रिश्तेदार, पूरा जीवन बिखर चुका होता है। यही नहीं उसे और उसके परिवार को आये दिन समाज में तिरस्कार का सामना करना पड़ता है। न जानें ऐसे कितने ही मामलें हैं जिसमें कई निर्दोष उस जुर्म की सजा काट रहे हैं जो उन्होंने किया ही नहीं है। कभी वित्तीय हालात तो कभी कुछ न जानें कितनी ही समस्याओं की वजह से एक निर्दोष एक आपराधिक जाल में फंस जाता है और कुछ नेता पब्लिसिटी के लिए ही इस तरह के मामलों में दोनों पक्षों का सच जानें बिना ही एक पक्ष को हीरो बना देते हैं।
हाल ही में दिल्ली के 28 साल के सरवजीत सिंह का मामला सामने आया था। वो तीन साल से एक ऐसे मामले में फंसा है जिसमें उसपर आरोप तो लगे हैं लेकिन आरोप का कोई सबूत नहीं है। इस मामले में 13 बार सुनवाई हो चुकी है। सेंट स्टीफंस कॉलेज की पूर्व छात्रा जसलीन कौर ने सरवजीत सिंह पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था लेकिन वो आजतक कोर्ट में पेश नहीं हुई। ऐसा ही कुछ हरियाणा की रोहतक बहनों के मामलें में था। दोनों बहनों ने युवक पर छेड़छाड़ का आरोप लगाकर बेल्ट से पिटाई कर दी लेकिन मामले की जांच के बाद जब सच बाहर आया तो दोनों बहनों की बहादुरी सवालों में आ गई। इन दोनों ही ममलों में जो एक चीज आम है वो है नेताओं की भूमिका।
दिल्ली निवासी सरवजीत सिंह को तीन साल पहले सेंट स्टीफंस कॉलेज की पूर्व छात्रा जसलीन कौर ने एक झूठे मामले में फंसाया था। जसलीन कौर ने दिल्ली के तिलक नगर ट्रैफिक सिग्नल की एक फोटो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर शेयर की थी। ये फोटो सरवजीत सिंह की थी। फोटो शेयर कर जसलीन ने सरवजीत सिंह पर गंभीर आरोप लगाये थे। तब ये पोस्ट तब बहुत तेजी से वायरल हुआ था और सभी लोग जसलीन कौर के इस कदम की सराहना कर रहे थे। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी उनमें से एक थे। अरविन्द केजरीवाल बिना ने मामले की गहरायी में जाए ही जसलीन को हीरो बना दिया उसकी सराहना करने लगे लेकिन समय के बीतने के साथ जसलीन का सच बाहर आ गया। इसमें जसलीन का तो कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन सरवजीत सिंह के जीवन के बहुमूल्य 3 साल झूठ की भेंट चढ़ गये हैं। उसे समाज में तिरस्कार की भावना का सामना करना पड़ रहा है वो आज भी सामान्य जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रहा है।
ऐसा ही कुछ रोहतक बहनों का मामला था। रोहतक छेड़छाड़ वीडियो से चर्चा में आई पूजा व आरती नाम की दो बहनों ने युवकों पर छेड़छाड़ का आरोप लगाकर उन्हें बैल्ट से पीटा था। इस मामले के सामने आते ही मनोहर लाल खट्टर की हरियाणा सरकार ने तुरंत ही दोनों बहनों को सम्मानित करने की घोषणा कर दी थी। युवक के परिजनों ने जब मामले में जांच का दबाव बनाया तो इस मामले में दोनों बहनों की बहादुरी पर कई सवाल खड़े हो गये। इसके बाद हरियाणा सीएम मनोहर लाल खट्टर ने दोनों बहनों के सम्मान पर रोक लगा दी थी।
इन दोनों ही मामलों में नेताओं की भूमिका ने एक पक्ष को ही हीरो बना दिया वहीं दूसरा पक्ष व उसका परिवार संघर्ष कर उस गुनाह के लिए समाज में तिरस्कार और कानून के डंडे की मार झेलते हैं जो शायद उन्होंने किया ही नहीं।
दोनों ही मामलों में सच के बाहर आने के बाद न ही केजरीवाल और न ही खट्टर किसी ने भी अपनी गलती को स्वीकार नहीं किया। एक राजनेता को किसी भी नतीजे पर पहुँचने से पहले मामले की गहरायी को समझना जरुरी होता है लेकिन केजरीवाल और मनोहर लाल खट्टर दोनों ही इस स्तर पर विफल साबित हुए हैं। उन्हें दोषियों को सख्त सजा और निर्दोष के सम्मान को वापस स्थापित करने के लिए कदम उठाना चाहिए था जो एक कुशल नेता का चिन्ह होता है।