केरल में लाल रंग नहीं भगवा रंग को अपना रहे हैं लोग

आरएसएस केरल

केरल में बाढ़ ने भीषण तबाही मचाई है और इस दौरान आरएसएस के कार्यकर्ता और भारतीय सेना उनके लिए संकट की घड़ी में भगवान का दूत बनकर आये और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। संघ की इस निष्ठा भरी सेवा को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज केटी थॉमस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तारीफ़ करते हुए बिलकुल सही कहा था कि, “भारत में लोग क्यों सुरक्षित हैं? तो मैं कहूंगा कि देश में एक संविधान है, लोकतंत्र है, सशस्त्र बल हैं और चौथा आरएसएस है। आपातकाल के खिलाफ आरएसएस के मजबूत और सुव्यवस्थित कार्य के चलते प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी समझ गईं कि ये लंबे समय तक नहीं चलेगा।”

केरल में आपदा की घड़ी में आरएसएस ने धर्म-जाति, सामाजिक भेदभाव सभी को एक किनारे कर इंसानियत के भाव के तहत खुले दिल से सभी की मदद की। पूरे भारत में उनके इस प्रयासों की सराहना की जा रही थी। अब केरल में बाढ़ के पानी का स्तर काफी नीचे जा चुका है ऐसे में साफ़-सफाई का अभियान तेज हो गया है और केरल के लोग भी धर्म जाति के अंतर को एक किनारे कर मंदिर, गिरिजाघर सभी जगहों की सफाई में जुट गये हैं। वहीं अब संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ गया है। आरएसएस कार्यकर्ता दिन रात लोगों की सेवा में लगे हुए हैं। केरल में आई बाढ़ ने वहां की आबादी को बता दिया है वास्तव में कौन उनके भले के लिए काम करता है और कौन सिर्फ राजनीति। केरल में आरएसएस की छवि में बहुत ज्यादा सुधार आया है और वहां के लोग इस संघ के प्रति सम्मान व्यक्त कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा ये वीडियो तो यही बताता है जिसमें एक सवाल पर लोग कहते हुए नजर आ रहे हैं, “क्या तुम कम्युनिस्ट हो? नहीं, हम आरएसएस हैं।”

इस वीडियो में ज्यादातर युवा हैं जो केरल के साथ भारत का भी भविष्य हैं। ये राष्ट्रवादी संघ के लिए अच्छे संकेत हैं कि वो केरल के युवाओं के बीच इस तरह से लोकप्रिय हो रहे हैं। आने वाले दिनों में यही युवा केरल को और भी बेहतर बनाने की दिशा में काम करेंगे जो आदि शंकराचार्य जैसे महान भारतियों के जन्म के लिए जाना जाता है। भारत के कई महान दार्शनिक, फिलोस्फर का संबंध केरल से रहा है।

ये देखना बहुत ही सुखद है कि केरल अपने ट्रैक पर वापस आ रहा है, मार्क्स और माओवादी विचारधारा से बाहर आ रहा है। आरएसएस का को यहां अब सभी से सराहना मिल रही है। ऐसा हो भी क्यों न जिस तरह से संघ ने आपदा के समय में इस राज्य के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह किया वो किसी से छुपा भी नहीं है कई आरएसएस कार्यकर्ताओं ने अपनी जान तक की परवाह नहीं की और लोगों की मदद की। इस एक घटना ने आरएसएस की विचारधारा पर लग रहे झूठे आरोपों की पोल भी खोलकर रख दी है। केरल में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हजारों स्वयंसेवकों ने भी सेना के साथ अपना सहयोग दिया। बाढ़ के समय लगभग 3700 राहत शिविर चलाए जा रहे थे जिनमें लगभग 7 लाख लोगों को शरण दी गई। संघ के स्वयंसेवक बिना किसी भेदभाव के हिंदू, मुस्लिम और ईसाई सभी की सहायता कर रहा था।

संघ ने हमेशा ही देश के लिए काम किया है। इस संघ ने 1962 और 1965 के युद्ध में बड़ी भूमिका निभाई थी। जब भी देश में कोई आपदा आई है संघ के सेवक मदद के लिए तत्पर रहे हैं। चाहे वो तमिलनाडु में आई सुनामी हो, गुजरात में आया भयानक भूकंप, भोपाल की गैस ट्रेजेडी या उत्तरखंड का बाढ़ या चेन्नई में आई बाढ़ जैसे न जाने कितने ही ऐसे मुश्किल भरी प्राकृतिक आपदा ने भारत के अलग अलग राज्यों को नुकसान पहुंचाया है लेकिन हर मुश्किल घड़ी में संघ मदद के लिए तत्पर रहा है। यही नहीं नेपाल में भूकंप ने जिस तरह से तबाही मचाई थी तब भी संघ ने लोगों की मदद की थी।

दूसरी तरफ, कम्युनिस्टों का इतिहास झूठ और विश्वासघात से परिपूर्ण है। उन्होंने देश को कई बार धोखा दिया है चाहे वो भारत छोड़ो आंदोलन हो या बंगाल में नरसंहार, विभाजन या 1962 में चीन के साथ हुई लड़ाई हो। नक्सली आन्दोलन को कम्युनिस्टों का समर्थन प्राप्त था। वही नक्सली आज देश के लिए खतरा बन गये हैं। कम्युनिस्ट देश को तोडना चाहते हैं और ये कम्युनिस्ट विचारधारा के अनुयायियों के नारों से साफ़ पता चलता है।

केरल आपदा से जूझ रहा था आरएसएस खुले दिल से बिना किसी जाति-धर्म के भेदभाव के सभी मुश्किल में फंसे लोगों की मदद कर रहे थे वहीं कुछ लोग उस मुश्किल की घड़ी में भी मदद की बजाय मोदी सरकार पर हमला करने का एक मौका नहीं छोड़ रहे थे। केरल की आपदा ने लुटियंस मीडिया और वामपंथी गैंग के इरादों पर पानी फेर दिया है जो राज्य में आरएसएस की छवि को धूमिल करना चाहते थे। अब ये राज्य लाल रंग नहीं बल्कि भगवा के साथ खड़ा नजर आ रहा है।

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