योगी सरकार को बदनाम करने के लिए साबिर अली ने की थी साधुओं की हत्या, हुआ गिरफ्तार

साबिर अली साधुओं हत्या

उत्तर प्रदेश पुलिस ने मंगलवार को दावा किया कि उसने साधुओं की हत्या के मामले को सुलझा लिया है। पुलिस की जांच में पता चला है कि साधुओं की निर्मम हत्याओं के पीछे कोई और नहीं बल्कि मज़हबी भावना से भरे वो उन्मादी आक्रांता हैं जिनकी दुश्मनी भगवा से है। यूपी पुलिस इस मामले में एटा गिरोह के 5 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर चुकी थी वहीं अन्य तीन अभियुक्त जो फरार चल रहे थे उनमें से दो को पुलिस ने गुरुवार को एक मुठभेड़ में मार गिराया। इन फरार अभियुक्तों के सिर पर पुलिस ने 25 हजार का इनाम घोषित किया था और बताया कि ये हत्या साबिर के कहने पर हुई थी। पूर्व सभासद साबिर अली अप्रैल 2016 एटा में हुए शहर मु़फ्ती हत्याकांड मामले में जेल जा चुका है। मु़फ्ती हत्याकांड मामला ट्रायल पर चल रहा है। इस्लाम धर्म को अपना चुके साबिर अली को दिनेश प्रताप के नाम से भी जाना जाता है। दिनेश प्रताप 35 साल तक हिंदू था। वास्तव में वो एक दलित समुदाय से है और अपना धर्म बदलकर वो साबिर अली बन गया। पुलिस ने साधुओं के हत्या के मामले में साबिर अली और उसके बेटे नदीम और अन्य तीन (सलमान, इरफ़ान और यासीन) को गिरफ्तार किया है।  मुफ्ती मुस्लिम गुरु अहमद शहजाद हत्याकांड में मुकदमे में जो भी गवाह थे उन्हीं को फंसाने के लिए साबिर अली ने अपने गैंग के साथ मिलकर एक महीने में साधुओं पर सात बार हमले करवाए जिसमें तीन साधुओं सहित छह लोगों की हत्या हुई थी.

योगी आदित्यनाथ की सरकार को बदनाम करने के लिए साबिर अली और उसका गैंग मंदिरों में रहने वाले साधुओं की हत्या कर रहा था। इसके साथ ही वो गवाहों को फंसाने की साजिश भी भी कर रहा था। साधुओं के हत्या के मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ ने त्वरित जांच के आदेश दिए थे जिसके बाद पुलिस ने साबिर अली और उसके गिरोह का पर्दाफाश कर दिया। इस गैंग ने 12 अगस्त को दो साधुओं और एक किसान की हत्या कर दी थी इसके बाद 26 अगस्त को एक और साधू की हत्या का प्रयास किया लेकिन वो इस हमले से किसी तरह से बचकर भागने में कामयाब हो गया। चूंकि एक किसान और उसकी पत्नी ने इन हमलावरों को देख लिया था इसलिए हमलावरों ने उन दोनों को मार डाला। इसके बाद अपनी योजना के तहत वारदात की जगह पर मुफ़्ती ह्त्याकांड मामले के गवाहों को फंसाने के लिए उनके मोबाइल नंबर और नाम और कई साक्ष्य छोड़ जाता था जिससे पुलिस जांच में पुलिस मुफ़्ती हत्याकांड के गवाहों को फंसा सके।

साबिर अली का एटा जिले में अपनी जमीन भी है जिसे उसने मदरसा बनाने के लिए दान में दे दिया था और इस मदरसे को एक मुस्लिम धर्मगुरु अहमद शहजाद चलाता था। बाद में जमीन की कीमत बढ़ने परएटा में साबिर अली ने दो अप्रैल 2016 में जमीन के विवाद में मुफ्ती की हत्या करवाई थी क्योंकि मुस्लिम धर्मगुरु जमीन वापस देने के लिए तैयार नहीं था। इसी मामले के बाद से उसके कदम अपराध की ओर बढ़ते गए और एक के बाद एक वो अपने गिरोह के साथ मिलकर आपराधिक कृत्य को अंजाम देने लगा।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने त्वरित जांच कर इस अपराधी और उसके गिरोह को पकड़ लिया और मामले को जल्द ही सुलझा लिया और 5 अभियुक्तों को धरदबोचा वहीं इस मामले में दो अपराधी फरार चल रहे थे। गुरुवार को पुलिस की नजर जब इन आरोपियों पर पड़ी तो ये भागने लगे और पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी जवाबी कार्रवाई में 25 -25 हजार के इनामी नौशाद और मुस्तकीम नामक इन 2 अपराधियों को पुलिस ने मार गिराया। फ़िलहाल, अफसर नाम का एक अभियुक्त अभी भी फरार है इस अभियुक्त के सिर पर भी 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित है। इस मामले का जल्द ही खुलासा करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की सराहना की जानी चाहिए।

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