पिछले कुछ महीनों से कांग्रेस पार्टी लगातार राफेल डील को घोटाले के रूप में चित्रित करने की कोशिशें कर रही है। फिर भी उन्हें इस मामले में आम जनता का कोई समर्थन नहीं मिल रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कांग्रेस पार्टी जो आरोप लगा रही है उसे सही साबित करने के लिए उसके पास न ही कोई साक्ष्य है और न ही कोई आधार है।
राफेल डील को घोटाले का नाम दे रही कांग्रेस पार्टी के बेतुके दावों को न जनता का समर्थन मिल रहा है और न ही उसके सहयोगी पार्टियों का समर्थन मिल रहा है। यहां तक कि इन बेतुके दावों का कांग्रेस पर जरुर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है लेकिन फिर भी कांग्रेस पीएम मोदी के खिलाफ झूठे बयानबाजी से बाज नहीं आ रही है यहां तक कि इस मामले में पार्टी ने पीएम मोदी को ‘चोर’ तक कह दिया। हालांकि, अब राफेल मुद्दे पर कांग्रेस के इन बेतुके दावों की उसी की सहयोगी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने हवा निकाल दी है। शरद पवार ने टिप्पणी करते हुए कहा कि लोगों को सौदे में प्रधानमंत्री की नीयत पर ‘कोई संदेह नहीं’ है ऐसे में कांग्रेस की मांगों का कोई औचित्य नहीं है।
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने मराठी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में राफेल सौदे की जानकारी को लेकर कांग्रेस की मांग पर ही सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “कांग्रेस की मांगों का कोई औचित्य नहीं है।“ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, लड़ाकू विमान की कीमतों का खुलासा करने पर सरकार को कोई खतरा नहीं होता। उन्होंने आगे कहा “निजी तौर पर मुझे लगता है कि लोगों को पीएम मोदी के इरादों पर कोई शंका नहीं है।“
शरद पवार के बयान के कांग्रेस पार्टी के झूठे दावों की धज्जियां उड़ा दी हैं जो बिना तथ्यों के लगातार राफेल डील को लेकर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रही थी। वास्तव में इससे कांग्रेस की गंदी राजनीति सामने आई है जो अपने राजनीतिक फायदे के लिए राफेल मुद्दे पर राजनीति कर रही है तभी तो कांग्रेस के ही सहयोगी दल इस मामले में उसके साथ खड़े नहीं है और न ही आम जनता। कांग्रेस को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस डील का समर्थन करना चाहिए था जो देश की रक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए है। राफेल डील में कोई घोटाला नहीं हुआ है और ये बात विपक्षी दलों के अलग-अलग रुख से भी स्पष्ट है। फ्रांस तक ने इस मामले में स्पष्टीकरण देकर कांग्रेस की बोलती बंद कर दी थी लेकिन इसके बावजूद ये राष्ट्रीय पार्टी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही है।
राफेल मुद्दे पर शरद पवार के बयान ने कहीं न कहीं कांग्रेस के संयुक्त विपक्ष के विचार को भी झटका दिया है। शरद पवार ने स्पष्ट किया कि पीएम मोदी के इरादों पर कोई सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए। इस बयान से ये भी स्पष्ट होता है कि कांग्रेस और एनसीपी के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और यदि ऐसा है तो कांग्रेस के बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन बनाने के विचार को एक बड़ा झटका है। पहले सपा और बसपा का बेरुखा रवैया और अब एनसीपी के अध्यक्ष का ये बयान तो यही संकेत देता है।
यही नहीं इससे पहले राफेल मुद्दे में बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने अपने एक बयान में कांग्रेस के स्वार्थ की राजनीति को भी सामने रखा और बताया कि कैसे कांग्रेस ने राफेल डील को रद्द किया था क्योंकि वाड्रा के दोस्त की कंपनी को बिचौलिया नहीं बनाया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, तत्कालीन यूपीए सरकार इस डील को रोबर्ट वाड्रा के जरिये चाहती थी जिससे उन्हें इसका फायदा मिल सके लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था। बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ”राफेल डील में कमीशन न मिलने की वजह से कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में ये डील अधुरा रह गया। 2016 में (सोनिया गांधी के दामाद) रॉबर्ट वाड्रा के दोस्त और आर्म्स डीलर संजय भंडारी के घर छापे के दौरान राफेल से जुड़े गोपनीय दस्तावेज मिले थे।” उन्होंने ये भी कहा कि मोदी सरकार जबसे सत्ता में आई है तबसे दलाली करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। ये स्पष्ट करता है कि कांग्रेस सिर्फ अपने रिश्तेदारों और एक परिवार के लाभ के लिए राजनीति करती रही है ऐसे में आज वो बीजेपी सरकार पर झूठे आरोप लगा रही है क्योंकि सत्ता से दूरी और लाभ न मिलने की हताशा कांग्रेस में बढ़ती जा रही है।