भ्रष्टाचार विरोधी पार्टी के रूप में कभी आम आदमी पार्टी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी वो छवि भी दिखावटी साबित हुई। वो अपने सिद्धांतो के विपरीत भ्रष्टाचार में लिप्त है। एक-एक करके आम आदमी पार्टी के नेता बेनकाब हो रहे हैं। इसी संबंध में आरटीआई के एक जवाब में सामने आया है कि 2017 में दिल्ली लोकायुक्त को मुख्यमंत्री सहित मंत्री परिषद् के खिलाफ सबसे ज्यादा शिकायतें मिली हैं। 30 अगस्त को ‘द हिंदू’ के सवाल के जवाब में आरटीआई ने अपने जवाब में बताया कि जबसे आम आदमी पार्टी सत्ता में आई है तबसे इस साल के जुलाई माह तक में लोकायुक्त को 24 शिकायतें प्राप्त हुई हैं जिनमें से 11 2017 में मंत्रिपरिषद के खिलाफ थीं।
वहीं, आरटीआई के मुताबिक 1 जनवरी, 2008 से लेकर 2013 के अंत तक, शीला दीक्षित सरकार की आखिरी वर्ष में मंत्रियों के खिलाफ 34 शिकायतें मिली थीं जिसमें साल 2012 में सबसे ज्यादा शिकायतें दिल्ली लोकायुक्त को प्राप्त हुई थीं। आरटीआई ने बताया कि पिछले दस सालों में मंत्रियों के खिलाफ 56 में से 47 शिकायतों का ही निपटारा किया गया है जबकि 9 अभी भी लंबित हैं। 2008 से विधायकों के खिलाफ 156 में से 125 शिकायतों का निपटारा किया गया है और 31 मामलें अभी या तो लंबित है या जांच प्रक्रिया में है। इसी दौरान अधिकारियों के खिलाफ 311 शिकायतें दर्ज की गयी थीं चूंकि अधिकारी से जुड़ा भाग दिल्ली लोकायुक्त में नहीं आता है इसलिए इन मामलों को उचित अधिकारियों के पास भेज दिया जाता है। बता दें कि लोकायुक्त की संस्था की स्थापना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में सार्वजनिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ आरोप सम्बंधित पूछताछ करने और उससे जुड़े मामलों के लिए की गई थी जिसका उद्देश्य कार्यकुशलता में सुधार और शीर्ष सार्वजनिक कार्यकर्ताओं के स्वच्छ छवि पेश करना है।
ये किसी से छुपा नहीं है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल गलत दिशा-निर्देश और कुशासन के प्रतिक हैं। पिछले तीन वर्षों में केजरीवाल ने वो सबकुछ किया है जोकि एक मुख्यमंत्री से करने की उम्मीद नहीं की जा सकती और उन्होंने कोई भी ऐसा कार्य नहीं किया है जिसकी सराहना की जाए। आरटीआई के जवाब से केजरीवाल सरकार का असली चेहरा एक बार फिर से सामने आ गया है। आरटीआई के जवाब से एक बात तो स्पष्ट है कि दिल्ली की पिछली सरकार और वर्तमान सरकार ने कभी दिल्ली की जनता के लिए कुछ नहीं किया बस अपना हित साधा है। आम आदमी पार्टी के बागी नेताओं ने भी आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार की पोल खोली है। आम आदमी पार्टी से निलंबित विधायक कपिल मिश्रा भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पर आम जनता के पैसे खाने का आरोप लगाया था। यही नहीं आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष केजरीवाल समेत मंत्रियों से लेकर विधायकों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। दिल्ली की जनता भी केजरीवाल के प्रदर्शन से खुश नहीं है। सत्येंद्र जैन पर काले धन को सफेद करने के लिए फर्जी कंपनियां खोलीं। परिवहन मंत्री रहते हुए गोपाल राय के खिलाफ प्रीमियम बस सेवा शुरू करने के लिए तैयार की गई योजना में गड़बड़ी किए जाने का आरोप लगे थे जिस वजह से उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। दिल्ली के कानून व पर्यटन मंत्री रहे जितेंद्र सिंह तोमर पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी डिग्री का सहारा लिया।
जिन नैतिक मूल्यों और भ्रष्टाचार रहित शासन के वादे के साथ आम आदमी पार्टी सत्ता में आई थी और आम जनता के समक्ष साफ़ सुथरी राजनीति का विकल्प दिया था वो पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त हो चुकी है। अर्श से फर्श पर आने के उतावलेपन में आम आदमी पार्टी ने अपनी उजली चादर को ही पूरी तरह से मैला कर दिया है। स्पष्ट रूप से केजरीवाल की असफल नीतियों से आम जनता असंतुष्टि और बढ़ने वाली है जिसका प्रभाव 2019 के लोकसभा चुनावों में देखने को मिलेगा।