जब पूरा देश दशहरा के पर्व को मनाने में व्यस्त था उस दौरान अमृतसर में दर्दनाक हादसे में कई लोगों की जान चली गयी जिसने सभी को चौंका दया। शुक्रवार शाम पंजाब के अमृतसर में दिल दहला देने वाला हादसा हो गया। ये हादसा तब हुआ जब भारी संख्या में लोग रेल पटरियों पर खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे तभी तेज रफ्तार ट्रेन उन्हें रौंदती हुई निकल गयी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मुख्य कार्यक्रम में जगह कम होने की वजह से बड़ी संख्या में लोग रेलवे ट्रैक की ओर चले गये थे। उन्हें भीड़ और पटाखों की आवाज में रेलवे ट्रैक का ध्यान नहीं रहा। इस बीच अचानक से डीएमयू ट्रेन नंबर:74943 आई और रावण दहन देख रहे लोगों को रौंदते हुए चली गयी। रिपोर्ट्स के अनुसार इस हादसे में लगभग 60 लोगों की मौके पर ही मौत हो गयी जबकि कई लोग घायल हो गए।
अमृतसर में हुए इस दिल दहला देने वाले हादसे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल ये कि इस कार्यक्रम को रेलवे ट्रैक के पास आयोजन करने की प्राधिकरण ने कैसे अनुमति दी ? पहले ही लोगों को आयोजकों द्वारा कोई चेतावनी क्यों नहीं दी गयी थी?
प्रत्यक्षदर्शियों ने अपने बयान में बताया, “बिना रेलवे प्रशासन के अनुमति के कांग्रेस ने दशहरे के अवसर पर यहां कार्यक्रम का आयोजन किया था। पंजाब मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी इस कार्यक्रम में चीफ गेस्ट थीं और हादसे के बाद भी वो लगातार भाषण देती रहीं।” इसका मतलब ये है कि स्थानीय कांग्रेस निकाय द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस बात को जानते हुए कि रेलवे ट्रैक के आसपास किसी भी कार्यक्रम को आयोजित करने से पहले रेलवे प्रशासन की अनुमति लेनी जरुरी है लेकिन स्थानीय कांग्रेस ने इस अनुमति को लेना जरुरी नहीं समझा और न ही स्थानीय रेलवे को इस कार्यक्रम को लेकर कोई सूचना दी। राज्य सरकार और रेलवे प्रशासन भी यही बात दोहराई। ये स्पष्ट रूप से एक बड़ी लापरवाही है जिसमें कई लोगों की जान चली गयी। न ही रेलवे प्रशासन को, न ही स्थानीय रेवाली अधिकारीयों और न ही राज्य सरकार इस कार्यक्रम से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दी गयी। अगर इनमें से किसी को भी इसकी जानकारी होती तो इस तरह का बड़ा हादसा नहीं होता। अगर इस कार्यक्रम के लिए कोई अनुमति मांगी गयी होती तो निश्चित ही उन्हें इसके लिए न नहीं कहा जाता लेकिन कांग्रेस के लापरवाह रवैये ने कई लोगों को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया और कई परिवारों की खुशियों को ग्रहण लगा दिया है।
रेलवे ट्रैक के पास कार्यक्रम का आयोजन किया गया रेलवे प्रशासन तो दूर की बात है राज्य सरकार को इसकी सूचना नहीं दी गयी। शायद इस कार्यक्रम के आयोजकों को इस बात का अंदाजा नहीं था कि भीड़ ज्यादा होगी और लोग रेलवे ट्रैक की ओर चले जायेंगे और इसी वजह से उन्होंने रेलवे प्रशासन या राज्य सरकार से कोई अनुमति लेना जरुरी नहीं समझा और उनकी इस लापरवाही की वजह से इतने लोग अपने जीवन से हाथ धो बैठे।
आयोजकों द्वारा की गयी लापरवाही में उनकी सबसे बड़ी गलती तो ये थी कि रावण दहन देखने के लिए जो LED स्क्रीन्स लगाई गयी थीं वो रेलवे ट्रैक के पास लगाई गयी थी। अगर वो इन स्क्रीन्स को ट्रैक से दूर या कहीं और लगाते तो भी इस हादसे को टाला जा सकता था।
यहां जो सबसे बड़ी शर्मनाक हरकत देखी गयी वो थी इस कार्यक्रम में मौजूद चीफ गेस्ट कांग्रेसी नेता घटनास्थल से भाग खड़े हुए। नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी पहले तो इस कार्यक्रम में देर से पहुंची और ये हादसा तब हुआ जब वो भाषण दे रही थीं। और जब ये हादसा हुआ वो बड़े आराम से घटनास्थल का जायजा लेने की जगह वहां से भाग खड़ी हुईं। उनका ये असंवेदनशील रवैया शर्मनाक था।
अगर इस कार्यक्रम के आयोजन में थोड़ी भी सावधानी बरती गयी होती तो ये त्रासदी नहीं होती, ये स्थानीय कांग्रेस के गैर-जिम्मेदारना व्यवहार और उनकी लापरवाही को दर्शाता है।
इस लापरवाही से सभी का हर्षोल्लास पल भर में मातम में बदल गया। इस घटना के तुरंत बाद ही वहां चीख पुकार मच गयी, बदहवास लोग अपनों की बांट ढूँढने लगे। खून से सने क्षत-विक्षत शव ट्रैक पर पड़े देखकर लोगों का दिल दहल गया। स्थानीय कांग्रेस की ये बड़ी लापरवाही कई लोगों को निगल गयी। अब इस घटना पर दुःख जताकर और पीड़ितों से मिलकर खोयी जिंदगियां लौटा सकते हैं? जाहिर है कहीं न कहीं इस हादसे से कांग्रेस के दामन पर कथित तौर पर बड़ा दाग गया है।