चेतन भगत ने यौन उत्पीड़न के आरोपों की खोली पोल

चेतन भगत

मशहूर लेखक चेतन भगत के मामले में #MeToo कैंपेन का असर उल्टा पड़ता हुआ नजर आ रहा है। पहले तो चेतन भगत ने अपने ऊपर लगे यौन शोषण के आरोपों पर माफ़ी मांग ली थी अब उन्होंने एक ट्वीट के जरिये योगाचार्य इरा त्रिवेदी द्वारा लगाये गये आरोपों का खंडन किया। उन्होंने अपने एक ट्वीट में एक स्क्रीनशॉट शेयर किया है। ये ट्वीट चेतन भगत और इरा के बीच हुई बातचीत का खुलासा करता है और ये दर्शाता है कि किसी भी मामले में फैसला सुनने या किसी को भी आरोपी या पीड़िता बताने से पहले दोनों पक्षों को सुनना जरुरी हो जाता है।

इन दिनों सोशल मीडिया पर #MeToo कैंपेन खूब तेजी से चल रहा है जिसमें बड़े से बड़े दिग्गजों का नाम सामने आ रहा है। इसी क्रम में इरा त्रिवेदी ने भी मशहूर लेखक चेतन भगत पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे। इरा ने एक चैट का स्क्रीनशॉट शेयर किया था जो काफी वायरल हुआ था जिसके बाद चेतन भगत ने महिला से चैट के लिए सार्वजिक रूप से माफ़ी मांगते हुए चैट को असली बताया था और बताया था कि ये चैट कई साल पुराना है और इसे लेकर वो अपनी पत्नी अनुषा से बात कर चुके हैं और इसके लिए अनुषा से माफी भी मांग चुके हैं। चेतन भगत के अलावा इरा ने सोशलाइट सुहेल सेठ का नाम भी लिया था।

इसके तुरंत बाद ही पूरी मीडिया ने उपन्यासकार और सोशलाइट पर निशाना साधना शुरू कर दिया। हालांकि, यही काफी नहीं था आउटलुक इंडिया ने एक प्रोपेगंडा पर आधारित आर्टिकल भी प्रकाशित कर दिया और इससे चेतन भगत काफी आहत हुए उन्होंने इसके लिए आउटलुक को आड़े हाथों भी लिया और करारा जवाब दिया:

इसके बाद चेतन भगत ने अपने ऊपर लगे आरोपों की सफाई दे डाली और अपने ट्विटर पर कुछ ऐसे सबूत पेश किये जो ये साबित करते हैं कि इरा त्रिवेदी और उनके बीच हुई बातचीत में दोनों की सहमति थी। वास्तव में ये इरा थीं जिन्होंने साल 2013 में इस तरह का ईमेल चेतन भगत को भेजा था।

 

इसके बाद उन्होंने अपने अगले ट्वीट में सफाई दी कि वो विरोधाभासी व्यक्ति नहीं है। वो सिर्फ ये बताना चाहते हैं कि इस पूरे मामले में वो पूरी तरह से गलत नहीं हैं।

हालांकि, चेतन भगत ने स्पष्टीकरण देकर अपने ऊपर लगाये गये फर्जी आरोपों की पोल खोलकर रख दी इसके बाद इरा ने एक के बाद एक ट्वीट कर चेतन के सवालों के जवाब देने की कोशिश की।

इरा के इन जवाबों से उनका ढोंग सामने आ गया जो महिला विक्टिम कार्ड का सहारा ले रही थीं। चेतन भगत के स्पष्टीकरण देने के बाद भी एक और ‘विक्टिम’ ने इरा का समर्थन करते हुए ट्वीट किया:

बता दें कि अनू भुयान द वायर की पत्रकार हैं जिन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्टर मयंक जैन और अनुराग वर्मा पर भी यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे। यदि चेतन भगत जो कह रहे हैं वो सच है तो या तो अनू तब झूठ बोल रही थीं या वो अभी झूठ बोल रही हैं। वास्तव में भारत में #MeToo कैंपेन के जरिये कुछ लोग अपना निजी बदला लेने की कोशिश कर रहे हैं।

इसी प्रकार कुछ और भी महिलाएं हो सकती हैं जो अपने स्वार्थ के लिए इस कैंपेन का सहारा ले रही हों। यदि ऐसा है तो विक्टिम कार्ड की आड़ में कुछ निर्दोष लोगों के मान-सम्मान को इससे ठेस पहुँच रहा है या हो सकता है उन्हें उस गलती के लिए कोसा जा रहा हो जो उन्होंने की ही नहीं है? यदि किसी पुरुष पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगते हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो उस अपराध के लिए दोषी हो ही? क्या किसी भी पीड़िता द्वारा लगाये जा रहे आरोपों की जांच नहीं होनी चाहिए ? क्या दोनों पक्षों को नहीं सुना जाना चाहिए?

इस मामले में चेतन भगत ने अपना पक्ष रखा है और अब इरा त्रिवेदी को जवाब देना चाहिए और वास्तव में वो यौन उत्पीड़न का शिकार हुई हैं तो उन्हें चेतन भगत के सवालों के जवाब देने चाहिए। ये समय है कि मीडिया इस तरह के मामलों पर दोनों पक्षों की सुने और बिना किसी जांच के किसी भी निष्कर्ष तक न पहुंचे।

Exit mobile version