वीरेंद्र सहवाग एक ऐसा नाम जो क्रिकेट की दुनिया में सफलतम सलामी बल्लेबाजों में से एक है जिन्होंने क्रिकेट के इतिहास में कई कारनामे किये हैं। मैदान पर जब वो उतरते थे तब बॉलर कोई भी हो वो अगर फॉर्म में आ गये तो छक्के और चौकों की बरसात होती थी और मैदान में दर्शकों का हुजूम उमड़ जाता था उनकी पारी देखने के लिए। टी-20 हो या ओडीआई या हो टेस्ट क्रिकेट उन्होंने कई रिकॉर्ड बनाये हैं। वो सबसे तेज ट्रिपल सेंचुरी बनाने वाले बल्लेबाजों में से एक हैं। ओडीआई मैच में सबसे तेज शतक का रिकॉर्ड बनाने वालों में उनका नाम शुमार है। वो ऐसे ही मशहूर नहीं थे वो एक अलग ही तेज और जोश के साथ क्रिकेट के मैदान पर नजर आते थे।
अब ऐसा लगता है कि न्यायपालिका में भी वीरेंद्र सहवाग की तरह ही प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ लेने के बाद पहले ही दिन से रंजन गोगोई मैदान में सहवाग के मोड में आ गये हैं। आदलती कार्रवाई के पहले ही दिन उनके तेवर सख्त और तेज नजर आये। उन्होंने साफ कर दिया है कि वो मामलों और न्यायिक प्रशासन से निपटने के लिए आगे भी ‘सख्त और आदर्शवादी’ बने रहेंगे।
बुधवार को जब रंजन गोगोई ने 46 वें प्रधान न्यायधीश पद की शपथ ली तब ये खबर सुर्ख़ियों में थी कि उन्हें ये पद अतीत में कांग्रेस पार्टी के साथ उनके परिवार के जुड़ाव की वजह से मिला है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई चीफ सुप्रीम कोर्ट के उन चार जजों में शामिल रहे हैं, जिन्होंने जनवरी 2018 में सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही और पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ सवालिया निशान लगाते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।
हालांकि, चीफ जस्टिस बनने के बाद ऐसा लगता है कि वो आने वाले दिनों कई अहम फैसलों के साथ न्याय व्यवस्था को दुरुस्त करने वाले हैं।
अपनी पहली सुनवाई में ही कई अहम फैसले किये। उन्होंने रोहिंग्या मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण द्वारा दायर याचिका को ख़ारिज कर दिया है जिसमें भारत से म्यांमार वापस भेजे जा रहे 7 रोहिंग्या शरणार्थियों को रोकने की अपील की गयी थी। सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने इस मामले में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को रोहिंग्याओं के जीवन के अधिकार की रक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। इसपर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई प्रशांत भूषण को फटकार लगाते हुए कहा कि, हमें अपनी जिम्मेदारी पता है और किसी को इसे याद दिलाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, “हम अपनी ज़िम्मेदारी जानते हैं।“ उन्होंने कहा, हम मामले की समीक्षा करेंगे और जरुरी हुआ तो आर्डर पास करेंगे।” उन्होंने आगे कहा, “यदि उन्हें निर्वासित किया जाता है तो हम कभी भी उन्हें वापस भी ला सकते हैं यदि उनका निर्वासन गलत हो। चिंता न करो।” बता दें कि गोगोई के आदेश के बाद ही एनआरसी तैयार किया जा रहा है।
यहां उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि ये गोगोई के आदेश के तहत था कि नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) तैयार किया जा रहा है।
Chief Justice of India Ranjan Gogoi announces that there would not be any more mentioning for urgent hearing before CJI. @AneeshaMathur with details pic.twitter.com/yFnCgdMUaj
— TIMES NOW (@TimesNow) October 3, 2018
चीफ जस्टिस रंजन ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के पहले ही दिन एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा, “आज से हम किसी मेंशनिंग की सुनवाई नहीं करेंगे। इसके लिए हम एक मानदंड तय करेंगे।” उन्होंने कहा कि “सुप्रीम कोर्ट में तभी जल्द सुनवाई होगी जब तक किसी को फांसी नहीं दी जा रही हो या घर से निकाला नहीं जा रहा हो, ऐसे मामलों को छोड़कर अन्य केस का तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेख नहीं किया जा सकता।“ उन्होंने ये भी कहा कि, “जब तक कि मानदंड तय नहीं कर लिए जाते तब तक मामलों की अविलंब सुनवाई के उल्लेख की अनुमति नहीं दी जाएगी।“ मामलों की अविलंब सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में रोजाना 20 मिनट रिजर्व रखा जाता है और इससे कोर्ट का बहुमूल्य समय भी बर्बाद होता है। चीफ जस्टिस ने कहा, “हम कोर्ट में ऑन बोर्ड मामलों की फाइलिंग और लिस्टिंग के बीच लगने वाले वक्त को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। हम ऐसे मानदंड तैयार करने की कोशिश में है जिसकी बदौलत मामले लिस्ट से नहीं हटेंगे जिससे मेंशनिंग के लिए लगने वाले समय कम लगेगा।” इसके साथ ही उन्होंने मध्य रात्रि में सुनवाई पर भी रोक लगाने के संकेत दे दिए हैं जिसका राजनीतिक पार्टियां अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करती हैं।
Chief Justice of India (CJI) Ranjan Gogoi on the first day after sitting in his chair in Court number 1 with Justice Sanjay Kishan Kaul and KM Joseph said, "We are not going to hear any mentioning from today. We will set a parameter for cases." pic.twitter.com/TtB15ntBB0
— ANI (@ANI) October 3, 2018
इसके अलावा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गुजरात के पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट के 22 साल पुराने एनडीपीएस (NDPS) के मामले में दखल देने से इंकार कर दिया और कहा कि इस मामले में अगर याचिकाकर्ता चाहे तो हाईकोर्ट जा सकता है। वास्तव में चीफ जस्टिस ने ये संकेत दे दिए हैं कि पहले मामलों की सुनवाई निचली अदालतों में हो। किसी भी मामले को सीधे शीर्ष अदालत में ले जाने की जरूरत नहीं है यदि मामले निचली अदालतों में सुलझाए जा सकते हैं।
वास्तव में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कार्यभार संभालते हुए साफ़ कर दिया है कि किसी भी मामले में विलंब नहीं किया जायेगा। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में राम मंदिर, नेशनल हेराल्ड, एयरसेल-मैक्सिस घोटाला जैसे कई मामलों में सुनवाई कर न्यायपालिका के इतिहास की किताब में नए आयाम दर्ज करेंगे।