जिस विश्वविद्यालय में कभी याकूब का नमाज़-ए-जनाज़ा निकला था, आज राष्ट्रवादियों का गढ़ है

एबीवीपी हैदराबाद

लगभग 8 साल की कठिन तपस्या के बाद अंततः अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) ने हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय लिखते हुए छात्रसंघ चुनावों में सभी सीटों पर विजय पताका लहरा दिया है| छात्र/छात्राओं ने जातिवादी एवं नक्सलवादी राजनीती को नकार कर जड़-मूल समेत वामपंथी विचारधारा को उखाड़ फेंका| इससे पहले विद्यार्थी परिषद् के लिए सत्र 2009-10 एक ऐसा समय था जबकि कोई दक्षिणपंथी संगठन छात्रसंघ की सत्ता पर काबिज हुआ हो|

जेएनयू के बाद, बहुत समय से हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय ‘नक्सलवादी विचारधाराओं’ का केंद्र सा बनता जा रहा था| याकूब मेमन के लिए नमाज ए जनाजा से लेकर, कश्मीर में आतंकवादियों के सफाए को लेकर यहाँ पर विरोध प्रदर्शन होते रहे| छात्र/छात्राओं से हर वर्ष किये जा रहे झूठे वादे और मूलभूत समस्यायों के प्रति उदासीनता से छात्र समुदाय में ‘वामपंथी और सूडो अम्बेडकरवादी विचारधाराओ’ के प्रति आक्रोश बढ़ता चला जा रहा था| ऐसे समय में विद्यार्थी परिषद् ने इस आक्रोश को भांपकर, ”दिशा बदलिए, दशा बदलेगी” का नारा देकर सीधे तौर पर छात्र समुदाय की पीड़ा से जुड़ाव कर लिया, जिसका उन्हें सकारात्मक परिणाम भी मिला|

बहुत सी समस्यायें जैसे कि मेस का खाना, उत्तर भारतीय छात्र/छात्राओं को मेस में रोटी का न मिलना, लेडीज हॉस्टल में उत्तर भारतीय मेस का बंद हो जाना, छात्र संघ का प्लेसमेंट के लिए आवाज न उठाना, छात्राओं के साथ यौन शोषण के मामलों का बढ़ना, हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के ऑनलाइन ई गवर्नेंस पोर्टल की समस्यायों को न सुलझा पाना, हॉस्टल ट्रान्सफर न हो पाना आदि पर ‘वामपंथी एवं तथाकथित अम्बेडकरवादी’ छात्रसंघ द्वारा उदासीनता दिखाई गयी| यह सभी इन चुनावों के प्रमुख विषयों में से एक थे, जिनको एबीवीपी के आईटी विभाग ने प्रमुखता से सोशल मीडिया पर रखा|

आइये जानते है नए छात्रसंघ पदाधिकारियों के बारे में,

1. आरती नागपाल, अध्यक्ष :- आप हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विषय की शोधार्थी छात्रा है एवं हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के इतिहास में दूसरी ऐसी नारीशक्ति हैं जिसने अध्यक्ष पद पर चुनाव जीता है| आप तेलंगाना विद्यार्थी परिषद् की राज्य कार्यसमिति की सदस्य होने के साथ साथ विश्वविद्यालय इकाई की महिला संयोजक भी है| आपने 1663 वोट पाकर अपने प्रतिद्वंदी नवीन कुमार(1329) को 334 वोटों के बड़े अंतर से पराजित किया है|

2. अमित कुमार, उपाध्यक्ष :- आप एमसीए विषय में अंतिम वर्ष के छात्र हैं और बिहार के छपरा(सारन) जिले के बोधा छपरा गाँव से आते हैं एवं गाँव के पहले ऐसे छात्र जिसने किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय छात्रसंघ के इतिहास में विजय श्री हासिल की है| इसके अतिरिक्त कंप्यूटर विज्ञान के प्रतिभाशाली छात्रों में से एक हैं जिसने CUSET परीक्षा में देश में 6वीं रैंक प्राप्त की थी एवं आप वायुसेना के X-Group 2015 परीक्षा में भी चयनित हो चुके हैं| किसान परिवार से आने वाले अमित कुमार ने 1505 वोट पाकर अपने प्रतिद्वंदी परितोष(1258) को 247 वोटों से पराजित किया है|

3. धीरज संगोजी, महासचिव :- आप आइएमएससी रसायन विज्ञानं के छात्र हैं और साथ ही साथ विश्वविद्यालय के जूनियर साइंस क्लब के को-ऑर्डिनेटर भी रहे हैं| आप OBCF दल से जुड़े हुए हैं, आपके FFF(Fees, Food and Fellowship) वाले नारे ने इन चुनावों में छात्र समुदाय को खासा आकर्षित किया है| आप तेलुगु भाषी छात्रों में खासा लोकप्रिय हैं| आपने 1573 वोट पाकर अपने प्रतिद्वंदी अभिषेक कुमार(1446) को 127 वोटों से पराजित किया है|

4. प्रवीण चौहान, संयुक्त सचिव :- आप एमबीए, प्रथम वर्ष के छात्र हैं और तेलंगाना राज्य के निजामाबाद क्षेत्र से आते हैं| आप लम्बे समय से “राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS)” से जुडी हुयी गतिविधियों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं| आपने 1417 वोट पाकर अपनी प्रतिद्वंदी अनुपमा(1378) को 39 वोटों से पराजित किया है|

5. अरविंद एस करथा, सांस्कृतिक साचिव :- आप आइएमए राजनीति विज्ञान के छात्र हैं एवं केरल के कोथामंगलम क्षेत्र से आते हैं| आपको कथकली संगीत में लगभग 10 साल का अनुभव हैं एवं विश्वविद्यालय के एकमात्र ऐसे छात्र रहे है जो RAGA17 के सेमीफाइनल तक पंहुचा हो| आप विश्वविद्यालय में बहुत से सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजक भी रहे हैं और मलयाली समुदाय के प्रमुख चेहरों में से एक हैं| आपने 1475 वोट पाकर अपनी प्रतिद्वंदी प्रकृति चक्रवर्ती(1242) को 233 वोटों से पराजित किया है|

6. निखिल राज, खेल सचिव :- आप स्वास्थ्य मनोविज्ञान विषय के शोदार्थी छात्र हैं एवं निजामाबाद क्षेत्र से आते हैं| आपने एक कप्तान के तौर पर कई बार दक्षिण जोन स्तर पर विश्वविद्यालय क्रिकेट टीम का निर्देशन किया है| आपने 1467 वोट पाकर अपने प्रतिद्वंदी सैमुअल(1328) को 139 वोटो से पराजित किया है|

वामपंथी गढ़ में एबीवीपी की इस अभूतपूर्व जीत के कई देशव्यापी मायने भी हैं| राज्यों के विधानसभा चुनाव एवं अगले लोकसभा चुनावों की राजनीती में यह परिणाम व्यापक असर डालेंगे| भाजपा के लिए निश्चित ही यह जीत महागठबंधन के खिलाफ ब्रह्मास्त्र साबित होगी क्यूंकि इस बार स्वयं एनएसयूआई एक बड़े गठबंधन यूडीए में शामिल थी और इन चुनावों में तीसरे स्थान पर रही है|

हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में इस जीत के साथ ही एबीवीपी के कन्धों पर अतिरिक्त भार आ गया है और वह है कि अपने किये गए वादों को पूरा करना| अगर इस विजय श्री की गतिशीलता को बरकरार रखना है तो महत्वपूर्ण समस्याओं और मुद्दों को हल करने पर मंथन प्रारंभ कर देना चाहि क्यूंकि शायद इस वर्ष की तरह अगले वर्ष छात्र समुदाय के समक्ष उम्मीदवारों को चुनने के तीन विकल्प न रहें और अन्य संगठन एक साथ मिलकर चुनाव लड़ें|

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