सिर्फ उत्सव चक्रवर्ती ही नहीं बल्कि और भी हैं जिनपर लगे हैं यौन उत्पीड़न के आरोप

एक समय था जब महिलाएं अपने साथ हुए दुर्व्यवहार पर खुलकर बोलने से हिचकती थीं लेकिन अब वक्त काफी बदल चुका है। महिलाएं अब अपने साथ हुई छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न की घटनाओं के खिलाफ खुलकर बोल रही हैं। बॉलीवुड अभिनेत्रियों से लेकर आम महिला तक अपने साथ हुए बुरे बर्ताव को समाने रख रही हैं और यही वजह है कि वो लिबरल फेमिनिस्ट जो बड़े बड़े बोल बोलते हैं उनका असली चेहरा सामने आने लगा है। ये फेहरिस्त तो काफी लंबी है लेकिन ये दुखद है कि इस सूची में ‘कॉमेडियंस’ भी शामिल हो रहे हैं। ताजा मामले में AIB जो महिलाओं की हित की बात करता है उसी के एक कॉमेडियन और यू-ट्यूबर उत्सव चक्रवर्ती पर कई लड़कियों और महिलाओं ने यौन शोषण के आरोप लगाये हैं। ये आरोप तब समाने आये जब महिला कुकरेजा नाम की एक यूजर ने उत्सव की करतूतों को लेकर एक टॉक थ्रेड चलाया और एक के बाद एक महिलाओं ने अपनी आपबीती सुनाई जिसमें नाबालिग लड़कियां भी शामिल हैं। वैसे उत्सव से पहले ‘एंजेल निवेशक’ और स्टार्ट-अप गुरु महेश मूर्ति, लेखक समीर रूबेन (गुरमेहर के दोस्त), अनुराग वर्मा जैसे कुछ चर्चित नाम हैं जिनपर महिलाओं द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लग चुके हैं।

बड़े बड़े कलाकार के रूप में जानेमाने ये चर्चित चेहरे सार्वजनिक तौर पर महिलाओं के हक की बात करते हैं उनके सम्मान की बात करते हैं लेकिन कैमरे के पीछे का इनका सच इसके विपरीत है। दूसरों को ज्ञान देने वाले पितृसत्ता और बीमारू मानसिकता से ग्रसित लोग खुद यौन उत्पीड़न के आरोपी हैं जिनका हमेशा ही लिबरल गैंग बचाव करता रहा है।

जाने माने इंवेस्टर और सीड फंड के को-फाउंडर महेश मूर्ति पर पिछले साल दिल्ली की एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। महिला ने मूर्ति के खिलाफ आपत्तिजनक, लैंगिक और अपमानजनक टिप्पणियां करने और अश्लील इशारे करने को लेकर महिला आयोग में शिकायत की थी। इसके बाद आयोग को मूर्ति के खिलाफ कई और महिलाओं की शिकायतें भी मिली थीं। 52 वर्षीय महेश मूर्ति सीडफंड के सह- संस्थापक और पिनस्टार्म टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक हैं। पिछले साल नवंबर में महिला आयोग ने महिलाओं द्वारा मिली शिकायत को महाराष्ट्र के डीजीपी को भेजा था। इसके बाद महिला आयोग ने खार पुलिस स्टेशन में डॉक्यूमेंट्स के साथ शिकायत भी दर्ज कराई थी जिसके बाद खार पुलिस ने मूर्ति पर सैक्सुअल हैरेसमेंट, अश्लील मटेरियल भेजने के लिए IPC के सेक्शन 354 के तहत मूर्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

प्रसिद्ध कविता लेखक और गुरमेहर कौर के दोस्त शमीर रूबेन नाबालिगों का यौन उत्पीड़न करने, नाबालिग लड़कियों को अपशब्द कहने और अश्लील फोटो भेजने के आरोपी हैं। उनपर कई नाबालिगों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। सकिना बुटवाला ने अपने फेसबुक प्रोफाईल पर एक पोस्ट के जरिये बताया था कि जब वो 16 साल की थी तब उनसे लेखक शमीर रूबेन ने आपत्तिजनक शब्दों में संदेश भेजा था जो काफी संदेश काफी अश्लील थे। सकीना ने ये भी बताया कि उन्होंने शमीर को इस तरह की फोटोज और अश्लील मैसेज भेजने से मना किया था लेकिन इसके बावजूद शमीर नहीं मानें और अभद्र मैसेज भेजते रहे। महिला ने कुल 50 स्क्रीनशॉट इस मैसेज के अपने फेसबूक वॉल पर पोस्ट किया तो कई अन्य महिलाओं ने भी शमीर रूबेन के बारे में अलग-अलग आरोप लगाने लगी।

इस मामले ने जब तुल पकड़ा तो शमीर ने माफ़ी मांगते हुए कहा कि, “अगर मेरे संदेश से सकिना या किसी और महिला को तकलीफ हुई है तो इसके लिये मांफी मांगता हूं।“ मतलब माफ़ी मांग लेने से जो महिलाओं को झेलना पड़ा क्या उसकी भरपाई वो कर सकते हैं?

मयंक जैन जो ब्लूमबर्ग और स्क्रॉल के लिए काम करता था उनपर द वायर की अनू भुयान ने युआन उत्पीड़न का आरोप लगाया था जिसके बाद कई महिलाओं ने खुलकर मयंक की करतूतों के स्क्रीनशॉट शेयर किये थे। बाद में मयंक जैन अपनी हरकतों के लिए माफ़ी मांगने लगा।

इस सूची में एक और नाम शामिल है वो है HuffPost India के पूर्व एडिटर अनुराग वर्मा जिनपर पर महिलाओं से अशिलील फोटो भेजने का आरोप है। एक 20 वर्षीय ट्विटर यूजर ने लिखा कि मैंने सिर्फ अनुराग के जोक्स के लिए स्नेपचैट पर जोड़ा था लेकिन एक दिन अचानक उनका मैसेज आता है जो देखकर मैं आश्चर्य हो गयी।

https://twitter.com/sandygrains/status/1048059369277947904

बाद में द प्रिंट की एक पत्रकार संध्या रमेश ने भी अनुराग वर्मा पर यही आरोप लगाये थे। इस मामले के सामने आने के बाद अनुराग वर्मा ने अपने किये के लिए माफ़ी मांगी और कहा कि, “मैंने जो वीडियो भेजी थी वो सिर्फ बिस्कुट के पैकेट की आवाज थी बस यूं मैंने भेज दिया था लेकिन बाद में मैंने ध्यान दिया वो बहुत ही बुरा था। मैं इसके लिए माफ़ी चाहता हूँ।”

https://twitter.com/kitAnurag/status/1047923881254772737

पहले यौन उत्पीड़न करें और बाद में कहें कि वो मजाक था, या गलती थी और माफ़ी मांग कर अपना पल्ला झाड़ लो। कितना सही है न ? अगर बिस्कुट के पैकेट की आवाज थी तो आपको क्या जरूरत थी एक नहीं दो दो लोगों को भेजने की ? झूठ बोलने की भी हद होती है।

खुद को महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने का टैग देने वाले इन लोगों की मानसिकता बीमारू और पितृसत्ता से पीड़ित है। विडम्बना ये है कि इनकी करतूतों के पर्दाफाश होने के बावजूद लेफ्ट लिबरल गैंग इनका बचाव करता है और कहता है माफ़ी मांग तो ली और उसे अपनी गलती का पछतावा है। सवाल ये है कि क्या माफ़ी मांग लेने से सब ठीक हो जाता है? इन्हें क्या पता कि यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाएं खासकर नाबालिग लड़कियां अक्सर डिप्रेशन और सदमे की शिकार हो जाती हैं। यही नहीं इसका प्रभाव उनके करियर, उनकी तरक्की पर भी पड़ता है। क्या माफ़ी मांग लेने से इन महिलाओं के मन पर जो बीती और जिस बुरे दौर से गुजरी वो खत्म हो जायेगा? क्या ये माफी उनके जीवन पर पड़े इसके नकारत्मक प्रभाव को खत्म कर उनकी वही मासूमियत, खिलखिलाहट वापस ला सकते हैं? नहीं न? वास्तव में इस तरह के लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए और लिबरल गैंग को भी इस तरह के मामलों में महिलाओं के साथ खड़े होना चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस तरह के भद्दे मजाक, अश्लील हरकत करने से पहले दस बार सोचें। हालांकि, समय के साथ एक चीज जो सबसे अच्छी हुई है वो है कि अब महिलाएं आवाज उठा रही हैं।

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