मध्यप्रदेश: ‘जयस’ के साथ गठबंधन को लेकर धर्मसंकट में फंसी कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी जयस मध्य प्रदेश

PC: Dainik Bhaskar

मध्य प्रदेश में चुनावी तारीखों की घोषणा हो चुकी है और सभी पार्टियां धुआंधार चुनाव प्रचार में जुट गई हैं। शिवराज सिंह चौहान अपने 15 साल के काम को लेकर जनता के बीच में जा रहे हैं तो वहीं कांग्रेस पार्टी सत्ता-विरोधी लहर को हवा देकर सत्ता में आने को हताश है। ऐसा नहीं है कि पार्टी ने शिवराज के खिलाफ मोर्चा बनाने की कोशिश नहीं की लेकिन राष्ट्रीय पार्टी का तमगा लेकर घूमने वाली कांग्रेस पार्टी को अभी तक इसका एहसास नहीं हुआ है कि उनकी वर्तमान स्थिति ऐसी है कि क्षेत्रीय पार्टियां अब उनके दबाव में नहीं रही हैं। बसपा और सपा के बाद लेफ्ट ने भी कांग्रेस को ठेंगा दिखा दिया था। मायावती ने कांग्रेस को अहंकारी बताते हुए गठबंधन से इंकार कर दिया और बहनजी से सीख लेते हुए अखिलेश ने भी गठबंधन से मना कर दिया। इतनी दुर्गति होने के बावजूद कांग्रेस पार्टी अपनी शर्तों पर गठबंधन करना चाहती है। अब ताजा मामला जयस-कांग्रेस के गठबंधन को लेकर सामने आया है। दरअसल, ‘जय आदिवासी युवा संगठन’ का जिसने कांग्रेस पार्टी से उसकी परंपरागत सीट की मांग रखकर राज्य नेतृत्व को धर्मसंकट में डाल दिया है। 

सपा और बसपा से गठबंधन न होने से कांग्रेस अब क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन बनाने के प्रयास कर रही है लेकिन मध्य प्रदेश में तीसरी शक्ति के रूप में उभरा जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सामने गठबंधन के लिए शर्त रखी है। जयस ने गठबंधन के लिए कांग्रेस के सामने धार जिले की कुक्षी विधानसभा सीट देने की शर्त रखी है। सत्ता का ख्वाब देख रही कई जतन आकर रही कांग्रेस अब धर्मसंकट में फंस गई है। जयस ने कांग्रेस से 33 साल से कब्जे वाली परंपरागत कुक्षी सीट मांग ली है।  इस सीट पर जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा खुद चुनाव लड़ना चाहती।  जयस ने कांग्रेस से 40 सीटों की मांग रखी है लेकिन कांग्रेस 15 सीट ही देने को तैयार है जिसके कारण गठबंधन बनने से पहले ही इसपर खतरा मंडराता नजर आ रहा है। जयस इंदौर विधानसभा की एक सीट से व्यापम घोटाले का पर्दाफाश करने वाले डॉ आनंद राय को चुनाव में उतारना चाहता है लेकिन कांग्रेस की तरफ से उसे कोई आश्वासन नहीं मिला है। वर्ष 2013 के पिछले विधानसभा चुनावों में मालवा-निमाड़ की इन 66 सीटों में से बीजेपी ने 56 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस को केवल नौ सीटों से संतोष करना पड़ा था। 

जयस का मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में काफी अच्छा प्रभाव है। जय आदिवासी युवा शक्ति मध्य प्रदेश के 22 जिलों में अपनी जड़ें जमा चुका है। इस चुनाव में जयस ऐसे गैर आदिवासी उम्मीदवार को समर्थन देगा जो खासकर आदिवासियों और गांवों से जुड़े विषयों पर जमीनी स्तर पर काम करते हो। हालांकि, अभी जय आदिवासी युवा शक्ति का चुनाव आयोग में पंजीयन राजनीतिक दल के रूप में नहीं हुआ है। हालांकि, वो अपने बैनर ले आजाद उम्मीदवारों को चुनाव में उतारेगा और अपना समर्थन देगा मध्य प्रदेश में 21 प्रतिशत आबादी  आदिवासी हैं। विधान सभा की कुल 230 सीटों में से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए रिजर्व हैं। इसमें से प्रदेश में करीब  30 सीट ऐसी हैं, प्रत्याशी की हार-जीत में आदिवासी वोटों का बड़ा खेल होता है। ऐसे में जयस अपनी जीत को लेकर आत्मविश्वास से परिपूर्ण है और उसे लगता है कि जातिगत आधार पर जयस किसी भी पार्टी  के समीकरण को बिगाड़ सकता है। हालांकि, बीजेपी ने आदिवासी क्षेत्रों में भी भारी जीत दर्ज की है ऐसे में बीजेपी के समक्ष जयस का अस्तित्व नहीं है। कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है और 15 सालों से सत्ता में आने के लिए हताश है। पार्टी की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जयस जैसी नई नवेली पार्टियां भी कांग्रेस को अपनी शर्तों पर गठबंधन करने के लिए बाधित कर रही हैं। फिलहाल, जयस और कांग्रेस के गठबंधन का मामला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पास पहुंचा है लेकिन इतना तो तय है कि जयस के साथ गठबंधन करने के लिए कांग्रेस को अपनी राष्ट्रीय पार्टी के अहंकार को किनारे रखना होगा जिसकी गुंजाईश नहीं दिख रही है।  

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