पिछले कुछ दिनों से देश में ‘मी टू’ अभियान के तहत कई महिलाओं ने कार्यस्थल पर हुए यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई जिससे इस मुहीम ने धीरे-धीरे क्रांति का रूप ले लिया। इस मुहीम के साथ ही कई ऐसे नाम सामने आये जिसने सभी को चौंका दिया। टीवी के संस्कारी बाबूजी आलोक नाथ से लेकर मीडिया और रजनीति के कई नाम सामने आये। यहां तक कि मोदी सरकार के मंत्री एमजे अकबर भी इस लपेटे में आ गये और मोदी सरकार ने उन्हें इस्तीफा देने को कहा था। हालांकि, ऐसे मामले भविष्य में फिर से सामने न आये और महिलाओं की सुरक्षा को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके संकेत सरकार ने पहले भी दिए थे और अब अपने फैसले पर अमल करते हुए एक ग्रुप का गठन किया है।
देश भर में मीटू को लेकर मचे घमासान के बाद केंद्र सरकार ने इन सभी मामलों को गंभीरता से लेते हुए बुधवार को ग्रुप ऑफ मिनिस्टर (जीओएम) का गठन किया है। इस जीओएम के अध्यक्ष गृहमंत्री राजनाथ सिंह हैं। ये ग्रुप कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों की रोकथाम के लिए बनाये गये कानून की समीक्षा करेगा और इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। इस ग्रुप ऑफ मिनिस्टर में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी को शामिल हैं। वर्तमान नियमों को और प्रभावी बनाने के लिए क्या उचित बदलाव किए जाएं इसकी समीक्षा जीओएम करेगा ताकि कार्यस्थल पर महिलाओं के शोषण के मामले सामने न आयें और महिलाएं सुरक्षित महसूस करें।
मी टू अभियान की सबसे बड़ी खूबसूरती ये रही कि कुछ लोग जो महिला अधिकारों के झंडाबरदार बनते थे उन्हें इस अभियान ने पब्लिक डोमेन में नंगा कर दिया है। द वायर के एजेंडा पत्रकार विनोद दुआ का नाम आने के बाद वामपंथी मीडिया को सांप सूंघ गया। अब सरकार ने खुद आगे आकर मी टू के तहत आने वाले मामलों से निपटने के लिए मंत्रियों के एक समूह का गठन किया है जिसकी अध्यक्षता खुद राजनाथ सिंह करेंगे।
गृह मंत्रालय ने कहा, “इस मामले को गंभीरता से लेते हुए और इससे संबंधित मामलों को बड़े स्तर पर सुलझाने के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर का गठन किया गया है।” जीओएम को वर्तमान प्रावधानों को जांचने और उसमें जरूरी बदलाव सुझाने के लिए 3 महीने का समय दिया गया है। गृह मंत्रालय ने कहा कि सरकार कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल मुहैया कराने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
मोदी सरकार में बाल विकास कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने इस फैसले का स्वागत किया है। गांधी ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह का आभार व्यक्त किया है और साथ ही में कहा कि मौजूदा कानून को प्रभावी बनाने के लिए ये समूह अपने सुझाव देगा। इससे महिलाओं को कार्यस्थलों पर सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी साथ ही गंदी मानसिकता वाली लोगों के मन में भय पैदा करेगा जिससे वो किसी भी महिला के साथ गलत व्यवहार करने से पहले एक बार जरुर विचार करेंगे। महिला एवं बाल विकाय मंत्रालय ने एक इलेक्ट्रॉनिक शिकायत बॉक्स की व्यवस्था की है। इसके जरिए महिलाएं कार्यस्थल पर होने वाले यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठा सकती हैं। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने ही इस संबंध में जांच के लिए एक कमिटी बनाने की बात कही थी।
कुल मिलाकर केंद्र सरकार द्वारा उठाया गया ये कदम सराहनीय है और ये सुनिश्चित करेगा कि किसी भी महिला के साथ कोई अभद्रता न हो और यदि कोई ऐसा कर्ता है तो वो कड़ी सजा का हक़दार होगा।