भारत की राजनीति में जिस तरह से स्मृति ईरानी उभरी हैं उस तरह से शायद ही कोई महिला नेता सियासी गलियारों में चर्चा में रही हो। वो जिस तरह से अपने काम के प्रति समर्पित हैं उसी तरह से वो किसी भी मुद्दे पर बेबाक जवाब देने के लिए भी जानी जाती हैं। जितनी शालीनता से वो विपक्ष को सुनती हैं उसके बाद वो हर सवाल का जवाब भी तथ्यों के साथ पेश करती हैं। यही वजह है कि विपक्ष की बोलती बंद हो जाती है ऐसे में विपक्षी नेता और कुछ वामपंथी उन्हें नीचा दिखाने के लिए उनके पहनावे तो कभी उनके चरित्र पर हमला करते हैं। इसपर कभी खुलकर किसी भी वामपंथी मीडिया या फेमिनिस्ट के ठेकेदारों ने टिप्पणी नहीं की न ही इसका विरोध किया लेकिन क्यों? क्या वो एक महिला नहीं है? चूंकि वो एक नेता है तो क्या उनका अपना कोई सम्मान नहीं है? क्योंकि वो राजनीति में है इसका मतलब ये नहीं है कि उनके सम्मान पर की जा रही टिप्पणी सही है या राजनीति का हिस्सा है। किसी भी महिला के चरित्र और उसके पहनावे पर सवाल उठाना कभी राजनीति का हिस्सा नहीं हो सकता है।
आज भारत में #MeToo कैंपेन चल रहा है एक-एक करके बड़े-बड़े नाम सामने आ रहे हैं जिनपर यौन उत्पीड़न के आरोप लग रहे हैं। इन आरोपों के सामने आने के साथ ही तथाकथित फेमिनिस्ट गैंग का नकाब भी उतर गया है जो अंदर कुछ और बाहर कुछ और थे। #MeToo कैंपेन के बाद से कुछ समाज के ठेकेदार और खुद को फेमिनिस्ट कहने वाले खुलकर पीड़ित महिलाओं का साथ दे रहे हैं और यौन उत्पीड़न के आरोपियों के खिलाफ नजर आ रहे हैं। #MeToo कैंपेन की वजह से ही AIB के उत्सव चक्रवर्ती से शुरू हुआ ये विवाद आज बहुत बड़ा रूप ले चुका है। फ़िल्मी जगत हो या कॉमेडी की दुनिया या हो पत्रकारिता कोई भी #MeToo से अछूता नहीं रहा। #MeToo के जरिये ऐसे नाम सामने आये जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता। खैर, ये तो वो मामले हैं जो दबे हुए थे और आज #MeToo कैंपेन के जरिये सामने आ रहे हैं और लेकिन उन मामलों का क्या जो हमेशा से सभी के सामने थे। जहां कांग्रेसी नेता हो या लेफ्ट लिबरल गैंग केंद्रीय वस्त्र और सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी पर खुलकर ‘बॉडी शेमिंग’ वाली टिप्पणी करते रहे हैं। वो उनपर अभद्र टिप्पणी करते रहे हैं ऐसी जो एक महिला के सम्मान को ठेस पहुंचता है।
कांग्रेस से लेकर लेफ्ट-लिबरल गैंग तक ने स्मृति ईरानी पर न जाने कितनी बार अश्लील, अभद्र टिप्पणी की है। साल 2015 में असम में एक बैठक के दौरान कांग्रेस के नेता नीलमणि सेन डेका और विधायक रूप ज्योति कुर्मी ने स्मृति ईरानी पर भद्दी टिप्पणी करते हुए उन्हें मोदी की दूसरी पत्नी कहा था। इस टिप्पणी पर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी जबकि वो खुद एक महिला हैं उन्हें इस मामले पर अपने कांग्रेसी नेताओं को फटकार लगानी चाहिए थी लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया।
ये पहली बार नहीं था जब किसी नेता ने इस तरह से स्मृति ईरानी पर अभद्र टिप्पणी की हो। इससे पहले साल 2012 में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय निरुपम ने आज तक चैनल पर सियासी बहस के दौरान टीवी कलाकार और बीजेपी नेता स्मृति ईरानी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी और कहा था, “आप तो पहले टीवी पर ठुमके लगाती थी, अब बीजेपी में शामिल होने के बाद राजनीतिक विश्लेषक बन गई हैं।” संजय निरुपम तब एक राष्ट्रीय प्रवक्ता थे और इस तरह से उनका किसी महिला को ठुमके लगाने वाली कहना कितना उचित है? माना वो पहले एक टीवी कलाकार थीं लेकिन किसी की कला का इस तरह से अपमान करना क्या एक प्रवक्ता को शोभा देता है? हालांकि, तब इस मुद्दे पर यही लेफ्ट लिबरल गैंग और तथाकथित फेमिनिस्ट गैंग चुप था तब कोई भी एक महिला पर खुलेआम हो रहे इस तरह के अभद्र हमले पर कुछ नहीं बोला था।
यही नहीं ऐसे कई मामले हैं जो सभी के सामने थे जहां राजनीति के नेताओं ने राजनीतिक गरिमा तक का उल्लंघन किया। हैदराबाद में रोहित वेमुला के आत्महत्या के मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी के एस जयपाल रेड्डी ने स्मृति पर अभद्र टिप्पणी की थी। इसके बाद कांग्रेस के नेता ने तो एक महिला के सम्मान को इतनी बुरी तरह से ठेस पहुंचाई जो किसी भी महिला के लिए बहुत ही दुखद होगा। हिमाचल प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहे नीरज भारती ने फेक न्यूज फैलाया और स्मृति ईरानी पर ‘बॉडी शेमिंग’ वाली टिप्पणी की और कहा, “कांग्रेसियों का बाद में देखेंगे पर पहले ये तो बता दो कि बीजेपी में किस-किस को नंगा किया है आजतक।” नीरज भारती कांग्रेस के पूर्व सांसद चंद्र कुमार के पुत्र हैं और उनकी पत्नी हिमाचल प्रदेश युवा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा मोनिका भारती हैं। नीरज भारती एक ओहदेदार नेता हैं ऐसे में एक महिला नेता को नीचा दिखाने के लिए इस तरह की टिप्पणी करना क्या उन्हें शोभा देता है? क्योंकि वो एक पुरुष हैं तो वो इस तरह की टिप्पणी से अपने पुरुषार्थ का डंका बजा रहे हैं? इस तरह की टिप्पणी पर क्यों ये लेफ्ट लिबरल गैंग चुप था? महिलाओं के सम्मान और उनके अधिकारों का राग अलापने वाले तब कहां थे?
ऐसे न जाने कितने ही नेता है जिन्होंने एक महिला नेता को अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन एक पत्रकार तो समाज को आईना दिखाने का काम करता है, सही और गलत का फर्क बताता है और समाज में क्या चल रहा है उसकी जानकारी जन-जन तक पहुंचाता है लेकिन जब खुद पत्रकार ही सियासत का हिस्सा बन जाये या एक सीमित विचारधारा के खूंटे में बंधकर दूसरी विचारधारा रखने वली महिलाओं को ही अपमानित करें तब क्या कहेंगे? जी हां, ऐसा ही कुछ मीडिया के कुछ पत्रकारों ने किया। मुंबई मिरर की लेखिका ममता जकारिया ने स्मृति ईरानी पर अभद्र और अश्लील तरीके से टिप्पणी करते हुए कहा था कि स्मृति ईरानी को केन्द्रीय वस्त्र विभाग उनकी प्रतिभा के कारण नहीं मिला था। इसके साथ ही उनके पहनावे को लेकर भी अभद्र टिप्पणी की थी। यही नहीं अशोक सिंघल ने आजतक पर स्मृति ईरानी से पूछा था कि “मोदी ने आपको क्या खूबी देख कर (केबिनेट) मंत्री बनाया।” इस तरह के सवालों के क्या मैंने हैं? यही न कि एक महिला को टीवी चैनल पर बुलाना और उसके चरित्र पर लाखों करोड़ों जनता के सामने अपमानित करना ?
ऐसे कई और मामले हैं लेकिन मैंने कुछ ही मामलों का जिक्र किया जो ये बताने के लिए काफी हैं कि खुलेआम एक महिला नेता का अपमान बार बार किया गया और लेफ्ट लिबरल गैंग चुप था, राजनीति के बड़े चेहरे चुप थे, बड़ी हस्तियां चुप थीं। आज जब #MeToo कैंपेन के जरिये दबे हुए मामले सामने आने लगे तो सभी विपक्षी नेता, बॉलीवुड की बड़ी हस्तियां इसकी निंदा कर रहे हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब खुलेआम किसी महिला का अपमान होने पर आप चुप हैं और इस तरह की मानसिकता वाले लोगों को इजाजत दे रहे हैं कि वो एक महिला का अपमान करने और उसपर अभद्र टिप्पणी करने के लिए स्वतंत्र है तो ऐसे में जो छुपकर इस तरह की हरकतें कर रहा है उसमें और इन सभी लोगों में क्या फर्क है?
अच्छा आपका कहना है कि ये राजनीति का हिस्सा है तो बता दें कि देश का कोई कानून या नियम किसी भी महिला का अपमान करने या उसपर अभद्र टिप्पणी करने या किसी भी अश्लील हरकत करने की इजाजत नहीं देता है। राजनीति के नाम पर ये हमले स्मृति ईरानी पर बार-बार किये गये और ताज्जुब की बात ये है कि राजनीति के बड़े दिग्गज हो बॉलीवुड या लिबरल गैंग सभी मूकदर्शक बने रहे। वास्तव में किसी भी महिला के चरित्र पर उंगली उठाना बेहद निंदनीय और शर्मनाक है लेकिन सवाल ये है कि जब देश की एक महिला नेता पर इस तरह से खुलेआम हमले हो रहे हैं तो आम महिला को ये बड़े लोग क्या सम्मान और सुरक्षा मुहैया कराएंगे, वो समाज में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा किस तरह से करेंगे।