कैसे एनडीटीवी के नामी चेहरों ने यौन उत्पीड़न के आरोपी का किया था बचाव

एनडीटीवी

इन दिनों यौन उत्पीड़न के मामले बॉलीवुड से लेकर मीडिया हाउस से बाहर आ रहे हैं और इसमें जाने मने लोगों पर आरोप लग रहे हैं। जिस तरह से महिलाएं अपने खिलाफ हुए यौन उत्पीड़न पर खुलकर बोल रही हैं उससे तो यही लगता है कि अब बस बहुत हो गया अब बारी है न्याय की। इन मामलों पर हमारे पत्रकार खुलकर बोल रहे हैं और दोषियों को सजा देन की बात कह रहे हैं इसके साथ ही वो इन ममलों पर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। हालांकि, उनके ये दावें , ये बातें उनकी राय सब खोखली नजर आती है क्योंकि जब उन्हें इस मामले पर आवाज उठानी चाहिए थी तब वो शांत थे। अब इस लिस्ट में उन पत्रकारों का नाम शामिल हो गया है जिन्होंने यौन उत्पीड़न मामले में चुप्पी साध रखी थी।

निकिता नाम की एक महिला ने दावा किया है कि साल 2014 में एनडीटीवी में काम करने के दौरान कुछ महिलाओं को एक व्यक्ति गंदे तरीके से देखता था। इस व्यक्ति के व्यवहार की शिकायत एनडीटीवी के प्रबंधन से की गयी थी लेकिन इसके बावजूद वो व्यक्ति लगातार काम कर रहा था। इस व्यक्ति के बर्ताव से कुछ महिलाएं असहज महसूस करती थीं। उसने दावा किया कि इस बारे में शीर्ष प्रबंधन और बरखा दत्त को भी जानकारी दी थी लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।

एनडीटीवी की पूर्व ग्रुप सम्पादक बरखा दत्त और तथाकथित फेमिनिस्ट ने कहा कि उन्हें इस घटना के बारे कोई जानकारी ही नहीं थी। इसके जवाब में महिला ने दावा किया कि उसने बरखा दत्त और एनडीटीवी के हेड प्रणॉय रॉय को एक पत्र लिखकर इस मामले की जानकारी भी दी थी लेकिन इसके बावजूद इस मामले पर उसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

इसके बाद मंगलवार को बरखा दत्त ने महिला को ट्वीट कर जवाब दिया। अपने जवाब में बरखा ने कहा कि कन्वर्जेन्स डिपार्टमेंट उनके अंतर्गत नहीं था। वो अलग था और 2014 से वो एनडीटीवी में एक कंसलटेंट के तौर पर थीं। बरखा ने आगे कहा कि उनके पास उस वक्त न ही कोई अधिकार था कि मामले में कुछ कहें और निकिता जिस बारे में बात कर रही हैं उस बारे में उन्हें कोई जानकारी थी। इसके बाद निकिता ने कहा कि हां उस वक्त बरखा बॉस नहीं थीं लेकिन जब HR ने नहीं सुना तो मैंने पूरे आत्मविश्वास के साथ आपको पात्र लिखा था लेकिन आपने भी मेरी बात को अनसुना कर दिया।

विडम्बना ये है कि एक महिला जिन्हें पता है कि दुनिया में क्या चल रहा है और जो खुद को महिलाओं के अधिकारों की रक्षक के तौर चित्रित करती हैं वही अपने ऑफिस में क्या चल रहा ही कैसे पता नहीं चला? बरखा यहां अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर रही हैं और उन्होंने यौन उत्पीड़न की घटन अको विभाग के मामले से जोड़ दिया।

अब एनडीटीवी ग्रुप की सीईओ सुपर्ण सिंह ने कहा कि निकिता की शिकायत के बाद इस मामले की जांच की जायेगी और निकिता ने जो बताया है उसके आधार पर ही इस मामले की गहनता से जांच होगी।

एनडीटीवी साल 2014 के यौन उत्पीड़न के मामले को 2018 में जांच करेगा।ये एनडीटीवी के बारे में बहुत कुछ कहता है कैसे वो इस तरह के मामलों को लेकर गंभीर हैं और अपने कार्यालय में महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करेंगे। एनडीटीवी के इस रुख की सभी लिबरल्स सराहना कर रहे हैं लेकिन सवाल ये उठता है कि पहले इस मामले की जानकारी होने के बाद भी कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी? वास्तव में आज एनडीटीवी के पास इसके अलावा कोई विकल्प शेष नहीं रह गया है।

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