हाल के दिनों में नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत को निशाने पर लेने वाले विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण तोगड़िया ने अयोध्या में एक संकल्प सभा के दौरान नई राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की है। तोगड़िया ने ‘अबकी बार हिंदू सरकार’ का नारा देते हुए कहा कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में उतरेगी और सरकार बनने के तीन माह के भीतर ही अयोध्या, काशी और मथुरा में मंदिर निर्माण शुरू होगा। साथ ही अल्पसंख्यक जनसंख्या नियंत्रण पर कानून भी बनेगा। प्रवीण तोगड़िया पिछले कुछ महीनों में मोदी सरकार के सबसे मुखर आलोचकों में से एक रहे हैं। हाल ही में उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत पर भी निशाना साधा था। विजयादशमी के भाषण में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर बनाने के लिए संसद में कानून पारित करने का सुझाव दिया था जिसके बाद प्रवीण तोगड़िया ने उनपर निशाना साधा था। तोगड़िया ने आरोप लगाया कि अब आरएसएस ये मुद्दा इसलिए उठा रहा है क्योंकि चुनाव नजदीक है और भाजपा सरकार का प्रदर्शन निराशाजनक है।
प्रवीण तोगड़िया और नरेंद्र मोदी के रिश्ते काफी समय से ठीक नहीं चल रहे हैं लेकिन हाल ही में तोगड़िया ने अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार के मुखिया पीएम नरेंद्र मोदी पर अपने खिलाफ साजिश का आरोप लगाया था जिसके कुछ समय बाद उनकी विश्व हिन्दू परिषद् से छुट्टी कर दी गई थी। तोगड़िया को अपने सहयोगी राघव रेड्डी से विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। संघ के अनुषांगिक संगठन से विदाई के बाद से ही तोगड़िया संघ और बीजेपी के विरोध में खुलकर सामने आ गए थे। उन्होंने लगातार मोदी सरकार पर हिंदुओं को छलने का भी आरोप लगाया। मोदी विरोध के नाम पर तोगड़िया ने अपनी राजनीतिक मंशा का ऐलान बीते दिन अयोध्या में ही कर दिया। यही नहीं अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद (एएचपी) के प्रमुख प्रवीण तोगड़िया ने प्रशासन की अनुमति लिए सरयू तट पर सभा करने पहुंच गए थे। इस दौरान जब पुलिस ने उन्हें रोका तो वो पुलिस ही भीड़ गये।
प्रवीण तोगड़िया राम मंदिर निर्माण के लिए अब राजनीतिक पार्टी की घोषणा कर दी है। तोगड़िया राम मंदिर निर्माण के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं इसका पता तो बाद में चलेगा लेकिन राम मंदिर की आड़ में पार्टी का निर्माण ये बताने के लिए काफी है कि तोगड़िया आज प्रतिशोध की अग्नि में जल रहे हैं। ऐसा लगता है कि उनका मकसद राम मंदिर निर्माण से ज्यादा नरेंद्र मोदी और संघ परिवार से बदला लेना जरुर है।
कभी मोदी और तोगड़िया की प्रगाढ़ दोस्ती की खबरें मीडिया में शीर्ष में हुआ करती थीं। संघ के विचारों को दोनों ने गुजरात के हर कोने तक पहुंचाया। नरेंद्र मोदी के बीजेपी में जाने के बाद भी इनके संबंध बने रहे। तब तोगड़िया बीजेपी की सरकार में काफी हस्तक्षेप किया करते थे. कभी गुजरात की भाजपा सरकार में बड़े स्तर पर दखल देने वाले तोगड़िया आज हाशिये पर क्यों खड़े हैं?
दरअसल स्थितियां साल 2002 के गुजरात दंगों के बाद पूरी तरह से बदल गईं। कभी मोदी की राजनीतिक छवि में हिंदुत्व का छौंक डालने वाले प्रवीण तोगड़िया अब नरेंद्र मोदी के लिए सबसे बड़ी परेशानी का सबब बन रहे थे। दंगों के आरोप गुजरात की मोदी सरकार के ऊपर लग रहे थे और मुस्लिम विरोधी हिंसा को सरकार के स्तर पर प्रायोजित बताया जा रहा था। उस समय सरकार के निर्णयों में तोगड़िया खूब हस्तक्षेप करते थे। राज्य की स्थिति काफी तनावपूर्ण थी और गुजरात चुनाव भी पास थे और तत्कालीन गुजरात की मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी पालन करना था। उस दौरान भी तोगड़िया ने स्थिति को समझने की बजाय अपना हस्तक्षेप जारी रखा और तत्कालीन गुजरात की मोदी सरकार को स्थिति को सम्भालने के लिए कई कदम उठाने पड़े थे जो तोगड़िया को रास नहीं आया था और तबसे दोनों के बीच के संबंधों में खटास बढती गयी।
अब प्रवीण तोगड़िया के तेवर और भी ज्यादा विरोधी हो गये हैं। उन्होंने अयोध्या, काशी और मथुरा सब वापस लेने का ऐलान किया है। दरअसल, चुनावी साल में नई पार्टी बनाने का ऐलान और उसके नाम पर इमोशनल ड्रामा तोगड़िया के राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का खुला प्रदर्शन कर रहे हैं। अयोध्या की जनता ने उनके ऐलान के साथ ही उनके नाम को ख़ारिज कर दिया है। तोगड़िया ने हिन्दू संगठनों से अपनी भावी पार्टी से जुड़ने की अपील की है। प्रवीण तोगड़िया चुनावी साल में बीजेपी को राजनीतिक नुकसान पहुंचाने के मकसद से ये तमाम प्रपंच रच रहे हैं। तोगड़िया जिस तरह के पैंतरे अपना रहे हैं उससे उनकी लोकप्रियता आज रसातल में पहुंच चुकी है और देश के हिन्दू उनके बड़बोले भाषणों से प्रभावित होने वाले नहीं हैं उन्हें पता है वास्तव में कौन उनके भले के लिए म कर रहा है।