आज सुबह से ही राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जा रहा था। सभी भक्त उम्मीद भरी निगाहों से सुप्रीम कोर्ट की ओर देख रहे थे लेकिन लगता है उन्हें अब इस मामले में और ज्यादा इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को अगले साल जनवरी तक के लिए टाल दिया है। दरअसल, अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई को अगले साल जनवरी के लिए टाल दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल एवं न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ इस मामले में दायर अपीलों पर सुनवाई की और मामले की सुनवाई टाल दी। इसके साथ ही जनवरी में ये साफ़ हो जायेगा कि इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच करेगी या इसके लिए कोई नयी बेंच का गठन किया जायेगा। कोर्ट के इस फैसले से राम भक्त निराश हो गये हैं अब सभी की नजरें केंद्र सरकार पर टिक गयी हैं क्योंकि अब केंद्र सरकार राम मंदिर मामले में अध्यादेश लाकर राम मंदिर निर्माण को हरी झंडी दे सकती है।
बता दें कि 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई में पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मालिकाना हक विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के 1994 के फैसले पर को बरकरार रखा था। पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस भूषण ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि पुराना फैसला उस वक्त के तथ्यों के मुताबिक था। इस्माइल फारूकी का फैसला मस्जिद की जमीन के मामले में था। अपने फैसले में जजों ने कहा था, “मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अटूट हिस्सा नहीं। पूरे मामले को बड़ी बेंच में नहीं भेजा जाएगा।”जस्टिस भूषण ने अपने फैसले में आगे कहा था, “सभी धर्मों और धार्मिक स्थानों को समान सम्मान देने की आवश्यकता है। अशोक के शिलालेख दूसरों के विश्वास के लिए सहिष्णुता का प्रचार करते हैं।“ इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि 29 अक्टूबर से फास्ट ट्रैक कोर्ट में राम मंदिर मामले पर सुनवाई शुरू होगी लेकिन आज चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने अगले साल जनवरी के लिए टाल दिया है। अब राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार से मामले में अध्यादेश लाने की मांग और तेज हो जाएगी। वहीं कुछ लोग अब कोर्ट के फैसले को बीजेपी पर निशाना साधने के लिए इस्तेमाल करेंगे। आम चुनाव पास है और अगर राम मंदिर का विवाद बीजेपी अपने मौजूदा शासन में नहीं सुलझा पायी तो उसे अगले साल भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। बीजेपी के के कई वरिष्ठ नेताओं ने राम मंदिर पर अध्यादेश लाने के संकेत दिए थे और ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार इसकी तैयारी भी कर रहा है। इस संबंध में बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने तथा राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी भी लिखी थी और कहा था कि राम मंदिर मुद्दे को कानून बनाकर सुलझाया जा सकता है और केंद्र सरकार को इसके लिए जल्द ही अध्यादेश लाने की जरूरत है।अब देखना ये होगा कि केंद्र सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है क्योंकि केंद्र सरकार का हर कदम अगले लोक सभा चुनाव के लिए एक मजबूत नींव तैयार करेगा और एनडीए सरकार देश की जनता से किये अपने वाडे को भी पूरा करेगी। हालांकि, किसी भी तरह की जल्दबाजी से एनडीए सरकार बच रही है क्योंकि ये लोगों की आस्था और उनकी धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है लेकिन ये बात विपक्ष को समझ नहीं आ इ वो मुद्दे को बार बार सांप्रदायिक हिंसा को और देश की जनता को बांटने के कर रहे हैं।