राजद में आंतरिक मतभेद जारी

राजद मतभेद

लोकसभा चुनाव पास आ रहे हैं लेकिन राजद में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इससे पहले कई रिपोर्ट्स सामने आई थी जिसमें कहा जा रहा था कि तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव में मतभेद है। इन दोनों के बीच चल रही तनातनी को पौराणिक कथा ‘महाभारत’ से तुलना करते हुए तेज प्रताप ने एक ट्वीट भी शेयर किया था। उन्होंने अपने ट्वीट में आगे कहा था कि यदि वो राजनीति से दूर भी हो जातें तो कुछ लोगों को इससे समस्या होगी क्योंकि तब भी कुछ लोग उन्हें किंगमेकर कहेंगे।

तेज प्रताप के इस ट्वीट से अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि जबसे लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले में जेल की सलाखों के पीछे गये हैं तबसे उनके दोनों के बेटों के बीच तनाव बढ़ा है।

लालू प्रसाद यादव की सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती ने पटना से सटे मनेर में कार्यकर्ताओं से कहा, “जिस तरह से हाथ की पांचों अंगुलियां बराबर नहीं होती वैसे ही ऊंच-नीच की बातें आती रहती हैं। थोड़ी बहुत खटपट तो चलती ही रहती है। हमारे परिवार में ही भाई-भाई में नहीं पटती।” लालू प्रसाद यादव की सबसे बड़ी बेटी और राज्यसभा मीसा भारती ने चाहे अनजाने में ही सही लेकिन अपने बयान से अब ये साफ़ भी कर दिया है कि दोनों के भाइयों के बीच मतभेद है। इसके अलावा उन्होंने ये भी संकेत डे दिया है कि उनका झुकाव तेजस्वी यादव की तरफ है और पार्टी के अन्य सदस्य भी तेजस्वी यादव के ही समर्थन में है। जब मीडिया ने दोनों भाइयों के बीच इस मतभेद पर रिपोर्टिंग की तो दोनों ने इसे बीजेपी और आरएसएस की साजिश करार दिया और कहा कि वो एक पार्टी और परिवार को विभाजित करना चाहते हैं।  

इससे पहले तेज प्रताप यादव ने कई बार पार्टी और परिवार से कोई महत्व न मिलने पर अपना दुःख जाहिर किया है। साल 2015 में जब राजद ने जेडीयू और कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई थी तब राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्‍वी को उपमुख्‍यमात्री बनाया गया था जबकि लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप को स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की कमान सौंपी गयी थी

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, राजद से जुड़े एक सूत्र ने कहा, “तेज प्रताप ने तब आपत्ति जताई थी लेकिन वो अपने पिता लालू प्रसाद के सामने कुछ बोल नहीं पाए थे।” जल्द ही तेज प्रताप ने शादी के बाद ये आरोप लगाया था कि उन्हें राजद में दरकिनार कर दिया गया है।

जुलाई में तेज प्रताप ने ये धमकी भी दी थी कि वो राजनीति छोड़ सकते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया (फेसबुक) पर अपनी मां (बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री) राबड़ी देवी के रवैये पर असंतोष व्यक्त किया था। इसीलिए अब वो राजनीति छोड़ने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। रिपब्लिक टीवी के मुताबिक, तेजप्रताप ने अपने पत्र में आरजेडी नेता ओम प्रकाश यादव और विधान परिषद के सदस्य सुबोध कुमार राय पर अपनी छवि खराब करने का आरोप लगाया। तेजप्रताप ने दावा किया कि उन्होंने इस मुद्दे पर अपने माता-पिता के साथ बातचीत भी की थी लेकिन फिर भी इन नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, बल्कि उनकी मां ने उन्हें इस संबंध में डांट लगा दी।

तेज प्रताप यादव ने दावा किया कि ओम प्रकाश यादव और सुबोध कुमार राय दिमागी रूप से बीमार होने और जोरू का गुलाम कहकर उनके खिलाफ झूठी अफवाह उड़ा रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने राजनीति छोड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा था कि उनका पार्टी में सम्मान नहीं है और जिस तरह के आरोप उनपर लगाये जा रहे हैं उसपर अपनी माँ की तरफ से कोई प्रतिक्रिया न मिलने के कारण काफी दबाव में थे। शायद यही वजह है कि तेज प्रताप यादव ने राजनीति छोड़ने का फैसला किया है।

जब इस पोस्ट से विवाद बढ़ा तो उन्होंने कुछ समय पश्चात ही अपना फेसबुक पोस्ट डिलीट कर दिया था। बाद में तेजप्रताप यादव ने दावा किया कि उनके अकाउंट को आरएसएस और बीजेपी ने हैक कर उनके घर में महाभारत कराने का प्रयास किया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को एक फेसबुक पोस्ट में तेजप्रताप ने लिखा, “मेरे फेसबुक अकाउंट को आरएसएस और भाजपाई आईटी सेल द्वारा हैक किया गया था और वो इससे मेरे परिवार के बारे दुष्प्रचार कर रहे हैं और हमारे बीच तनाव उत्पन्न करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले भी मेरे पिता लालू प्रसाद का फेसबुक पेज आरएसएस के एक समर्थक द्वारा हैक किया गया था और इसके लिए दोषी को जेल भी जाना पड़ा था। पहले मेरे बारे और अब मेरी मम्मी के बारे में ग़लत लिखा गया है। हमारी सफलता को देखकर हमारे विपक्षी अब हमारे राजनीतिक स्तर को गिराने की कोशिश कर रहे हैं।”

अब ये दोनों भाई कितना भी अपने बीच मतभेद को छुपाने की कोशिश कर लें सच्चाई एक न एक दिन सामने आ ही जाती है। मीसा भारती के बोल और तेज प्रताप के रुख से साफ़ है कि यादव परिवार में कुछ थीं नहीं चल रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ही इस तरह का मतभेद पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं है। साल 2009 और साल 2014 के आम चुनावों को देखें राजद पार्टी के प्रदर्शन में कुछ सुधार नजर नहीं आ रहा है। साल 2009 में राजद को 20.13%  वोट शेयर के साथ सिर्फ 4 सीटें ही मिली थीं। साल 2014 के आम चुनाव में भी पार्टी को फिर से 20.14%  वोट शेयर के साथ सिर्फ 4 सीटें ही मिली थीं। यदि पार्टी के बीच आंतरिक मतभेद यूं ही बढ़ता रहा तो अगले साल होने वाले चुनावों में पार्टी के आंकड़े और घटने वाले हैं। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि भविष्य में तेज प्रताप यादव जरुर ही राजद की योजनाओं को क्षति पहुंचा सकते हैं। लालू प्रसाद यादव ने पार्टी को बंधकर रखा था लेकिन अब उनकी अनुपस्थिति में पार्टी दो खेमों में बिखरती नजर आ रही है। दूसरी तरफ एनडीए आज भी मजबूती के साथ खड़ी है और इसके साथ ही सीट-शेयरिंग भी लगभग फाइनल हो चुका है। स्पष्ट रूप से विपक्षी पार्टियों का बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन बनाने की योजना पर पानी फिरने वाला है।

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