सबरीमाला पर स्मृति ईरानी का बयान: केंद्रीय मंत्री पर निशाना साधने के लिए मीडिया ने फैलाई झूठी खबर

स्मृति ईरानी सबरीमाला

केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के बयान को मीडिया पोर्टल ने तोड़-मोड़ कर इस तरह से पेश किया जिससे वो महिला विरोधी लगे। हालांकि, स्मृति ईरानी ने खुद सामने आकर मीडिया द्वारा फैलाई जा रही झूठी खबर का पर्दाफाश कर दिया। मुंबई में ऑब्जर्वर रिसर्च ऑर्गनाइजेशन और ब्रिटिश डिप्टी हाईकमीशन की ‘यंग थिंकर्स’ कॉन्फ्रेंस में बातचीत के दौरान स्मृति ईरानी ने सबरीमाला मंदिर पर अपने विचार व्यक्त किये। इस दौरान उन्होंने कहा कि पूजा करने का अधिकार सबको है, लेकिन अपमान करने का नहीं। उन्होंने इस कार्यक्रम में कहा था, “मैं मौजूदा केंद्रीय मंत्री हूं इसलिए मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ टिप्पणी नहीं कर सकती हूं लेकिन, मुझे लगता है कि मुझे पूजा करने का अधिकार है लेकिन उसे अपवित्र करने का नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, “ये बहुत ही साधारण-सी बात है क्या आप खून से सना नैपकिन अपने दोस्त के घर लेकर जायेंगे? नहीं न? आप ऐसा नहीं करेंगे और यही वो अंतर है जिसे हमें पहचानने और सम्मान करने की जरूरत है।”

 https://twitter.com/mirakamdar/status/1054659863559725056

हालांकि, लिबरल मीडिया ने स्मृति ईरानी के इस बयान को जिस तरह से तोड़-मोड़ कर पेश किया उसे देखकर ऐसा लगता है कि वो केंद्रीय मंत्री से अपनी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी का बदला ले रहे हों। मीडिया ने बिना स्मृति ईरानी के पूरे बयान को देखे ही खबर बना दी और केंद्रीय मंत्री ईरानी को महिलाओं के खिलाफ चित्रित करने का प्रयास किया।

हालांकि, वीडियो को देखें तो उनके इस बयान से स्पष्ट है कि वो खून से सने नैपकिन की बात कर रही हैं जो अपवित्र करने जैसा वो इससे किसी महिलाओं के मासिक धर्म पर नहीं बोल रही थीं बल्कि उन्होंने ‘एक्टिविस्ट’ रेहाना फातिमा जो खून से सने नैपकिन को लेकर मंदिर में प्रवेश का प्रयास कर रही थी उसकी गंदी मानसिकता को सामने रखा। जिस तरह से एक महिला ने खून से सने नैपकिन के साथ मंदिर में प्रवेश की कोशिश की थी वो स्पष्ट रूप से मंदिर की धार्मिक मान्यता और परंपरा को अपमानित करना था वो अय्यपा के दर्शन करने नहीं गयी थी।

एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा का मंदिर में इस तरह से प्रवेश करने का कदम ये साबित करता है कि हिंदू धर्म की मान्यताओं को तोड़ने और उसे अपवित्र करना था। हालांकि, बाद में तथाकथित फेमिनिस्ट और मुस्लिम नास्तिक रेहाना की हरकत सामने आ गयी जिसके बाद मुस्लिम समुदाय ने हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में मुस्लिम समुदाय से निकाल दिया गया था।

वास्तव में स्मृति ईरानी ने रेहाना फातिमा के इस कृत्य पर अपनी व्यक्तिगत राय रखी थी लेकिन लिबरल मीडिया ने इस पर गौर न करते हुए उनके बयान को तोड़-मोड़ कर पेश किया और उन्हें महिलाओं के विरुद्ध चित्रित करने का प्रयास किया।

 

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