सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई न्यायपालिका को और भी बेहतर बनाने के लिए सख्त और प्रतिबद्ध नजर आ रहे हैं। चीफ जस्टिस बनने के बाद से अपने पहले ही भाषण में उन्होंने जजों की छुट्टियों के लिए नया फार्मूला निकाला है। अदालतों में लंबित मामलों के बोझ को कम करने के लिए उन्होंने वर्किंग डे के दौरान ‘कोई छुट्टी नहीं’ के फॉर्मूले को निकाला है। उन्होंने अदालतों में लंबित मामलों के बोझ को कम करने के लिए जजों को वर्किंग डे के दौरान कोई भी छुट्टी नहीं लेने की बात कही है। लंबित मामलों की संख्या को देखकर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा, “हम ममलों की फाइलिंग और लिस्टिंग के बीच समय को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। हम एक प्रणाली शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं जिससे सूची में मामले लंबित नहीं होंगे। अगर हम इसमें सफल हो जातें हैं तो इससे काफी हद तक लंबित मामलों में कमी आयेगी।
उन्होंने इस दौरान अपने सख्त व्यवहार का भी जिक्र किया और कहा, “मैंने कहा था मैं बहुत सख्त और नियमों का पाबंद हूँ और मैं जो हूं उसे बदल भी नहीं सकता।”
उन्होंने इस दौरान ये साफ किया की उन्होंने जो कहा है उसपर गौर भी किया जायेगा। न्यायपालिका में अपने शुरुआती बदलावों को सामने रख उन्होंने ये साफ़ कर दिया है कि वो सुस्त न्यायपालिका में तेजी लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमेशा से भारत की सुस्त न्यायिक व्यवस्था सवालों के घेरे में रही है और कहा जाता है कि भारत की नयायपालिका में मामलों के निपटारे में काफी लंबा वक्त लगता है। न्यायपालिका का कीमती समय जजों की ‘अनावश्यक छुट्टियों’ से होता है जो वो कार्य दिवसों के दौरान लेते हैं। सुप्रीम कोर्ट में करीब 55,000 मामले लंबित हैं, जबकि देश के 24 हाई कोर्ट में 32.4 लाख मामले लंबित हैं जबकि देशभर की निचली अदालतों में करीब 2।77 करोड़ मामले ऐसे हैं जो लंबित हैं।
मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालतों में इतने लंबित मामलों पर चीफ जस्टिस ने चिंता जाहिर की ही और इनके जल्द ही निपटारे के लिए सख्ती दिखाते हुए कार्य दिवसों के दौरान जजों की छुट्टी पर बैन लगाने के निर्देश दिए हैं और ये भी कहा कि कोई भी जज सिर्फ आपात परिस्थितियों में ही छुट्टी ले सकता है। इसके अलावा उन्होंने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से उन जजों को न्यायिक कार्य से हटाने के लिए कहा है जो अदालती कार्यवाही को लेकर नियमित नहीं नहीं हैं और उन्होंने ये भी संकेत दिए हैं कि अनुशासन की अवहेलना करने वाले जजों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि 3 अक्टूबर को देश के चीफ जस्टिस पद की शपथ लेने के बाद ही जस्टिस रंजन गोगोई ने साफ कर दिया है कि आने वाले दिनों कई अहम फैसलों के साथ न्याय व्यवस्था को दुरुस्त करने वाले हैं।
चीफ जस्टिस ने अपनी पहली सुनवाई में ही कई अहम फैसले किये। उन्होंने रोहिंग्या मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण द्वारा दायर याचिका को ख़ारिज कर दिया था जिसमें भारत से म्यांमार वापस भेजे जा रहे 7 रोहिंग्या शरणार्थियों को रोकने की अपील की गयी थी। इसके साथ ही रंजन गोगोई ने मेंशनिंग की सुनवाई पर रोक लगा दी थी और साफ़ किया था और कहा था कि “सुप्रीम कोर्ट में तभी जल्द सुनवाई होगी जब तक किसी को फांसी नहीं दी जा रही हो या घर से निकाला नहीं जा रहा हो, ऐसे मामलों को छोड़कर अन्य केस का तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेख नहीं किया जा सकता।“
Chief Justice Gogoi gets to work.
1. No leaves during working days.
2. LTC only during the vacation
3. No seminars during workdays
4. Daily monitoring of tendency
5. Identifying infructuous caseshttps://t.co/YGE6uoXYBf— Dr Kiran Kumar Karlapu (@scarysouthpaw) October 12, 2018
जबसे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कार्यभार संभाला है तबसे वो न्यायपालिका व्यवस्था को दुरुस्त करने में जुट गये हैं। उनके द्वारा लिए जा रहे फैसले और दिशानिर्देश भी इसी ओर संकेत करते हैं। अब लगता है कि जल्द ही लंबित मामले भी समय के साथ निपटने वाले हैं और आम जनता को सुस्त प्रक्रिया से राहत मिलने वाली है।