कहा जाता है कि, घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे बनी बनाई बात बिगड़ने में ज्यादा वक्त नहीं लगाता और ऐसा ही कुछ देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के साथ हो रहा है। लगता है कांग्रेस पार्टी को घमंड है कि, वो सबसे बड़ी पार्टी है और उसने सालों तक देश पर शासन किया है। यही वजह लगती है कि, वो क्षेत्रीय पार्टियों को ज्यादा महत्व नहीं देती। पहले वो अपने हिसाब से क्षेत्रीय पार्टियों पर आदेश थोपती थी लेकिन अब हालात बिलकुल बदल चुके हैं आज ये राष्ट्रीय पार्टी हाशिये पर है लेकिन फिर भी उसे लगता है कि वो जो कहेगी क्षेत्रीय पार्टियों को मानना ही होगा। कांग्रेस पार्टी की यही जिद्द अब उसी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है। सपा और बसपा के साथ गठबंधन कर अगले साल लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हाशिये पर धकेलने के सपने देख रही कांग्रेस को समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से बड़ा झटका मिला है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में वो किसी भी हाल में कांग्रेस के साथ नहीं जुड़ना चाहते। यही नहीं, उन्होंने कांग्रेस को सीधे ‘घमंडी’ तक कह दिया।
अखिलेश यादव ने न सिर्फ 2019 के आम चुनावों को लेकर कांग्रेस पार्टी से सीधे कन्नी काट ली है बल्कि कांग्रेस पार्टी पर ताबड़तोड़ हमले भी किये। न्यूज18 से बात करते हुए समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने कहा, “कांग्रेस पार्टी ने जो अच्छा किया वो अच्छा किया। उन्हें लगता है कि लोकतंत्र में उनकी पार्टी बड़ी है, हम लोग कुछ नहीं। इससे कम से कम हमें मौका मिला अपनी पार्टी बनाने का। उन्हें तो ये लगता है कि, उनके बिना हमारा कुछ नहीं हो सकता। देश को तीसरे विकल्प की जरूरत है।” ये पहली बार नहीं है जब अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर हमला किया हो, इससे पहले भी वो कांग्रेस के प्रति नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कांग्रेस को धमकी देते हुए कहा भी था कि, ‘साइकिल’ को रोकोगे तो ‘हाथ’ हटा दूंगा। यही नहीं, उन्होंने कांग्रेस पर छत्तीसगढ़ में सपा की संभावनाओं को खत्म करने का आरोप भी लगाया था।
दरअसल, कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में तो समाजवादी पार्टी व बसपा के साथ गठबंधन करना चाहती है लेकिन राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन करने से मना कर दिया था। जिससे नाराज होकर बसपा सुप्रीमों मायावती ने पहले ही कांग्रेस से कन्नी काट ली थी इसके बाद सम्मानजनक सीटें न मिलने की वजह से सपा ने भी इस पुरानी पार्टी से दूरी बना ली थी। कई बार सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमों मायावती ने कांग्रेस को संकेत दिए हैं कि, वो बड़ी पार्टी का घमंड किनारे रखकर सभी दलों को सम्मान दे लेकिन कांग्रेस का अहंकार है कि, उसे ऐसा करने से रोकता रहा है। मध्य प्रदेश और राजस्थान के चुनावों में पहले ही क्षेत्रीय दलों ने आईएनसी से दूरी बना ली है और अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने सीधे कह दिया है कि, वो कांग्रेस के साथ गठबंधन में नहीं जाना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश में भी सपा-बसपा गठबंधन ने साफ संकेत दिया है कि वो 75 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और अन्य सीटें सहयोगी पार्टी के लिए छोड़ेंगे। रिपोर्ट्स की मानें तो उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन के लिए क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस को साथ लाने के मूड में नहीं हैं। उधर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी कांग्रेस के साथ नहीं जाना चाहतीं हैं। ऐसे में कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में किस दम पर हुंकार भर रही है वो समझ के परे है। या यूं कहें कि कांग्रेस की रस्सी जल गयी लेकिन अकड़ नहीं गयी। वास्तव में कांग्रेस पार्टी ने अपनी स्वार्थ की राजनीति के चलते अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया है। जिन क्षेत्रीय दलों के बल पर 2019 के लोसभा चुनाव में वो बीजेपी विरोधी महागठबंधन तैयार करने के सपने संजो रही है उसके पूरे होने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं। कुल मिलाकर ये कहना गलत नहीं होगा कि, बदलते राजनीतिक समीकरण में बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकने के कांग्रेस पार्टी के सपने को बड़ा झटका लगने वाला है।