छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अपने हाशिये पर है और यहां कि जनता में भी सरकार और सुरक्षा बलों पर भरोसा जाहिर किया है। ये भरोसा आज छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान में देखने को भी मिल रहा है। मतदाता नक्सलियों की धमकी के बावजूद मतदाता अपने घरों से निकल रहे हैं और उत्साहपूर्वक वोट डाल रहे हैं। छत्तीसगढ़ में आज विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 18 सीटों पर सुबह 8 बजे ही वोटिंग शुरू हो गयी है वहीं छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण के लिए 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। जिन नक्सली क्षेत्रों में एक भी वोट नहीं पड़े थे वहां भी मतदाता मतदान के लिए अपने घरों से बाहर निकल रहे हैं। यही नहीं मतदाताओं ने ये भी साफ़ कर दिया है कि वो डरकर अपने अधिकारों से वंचित नहीं रहेंगे। बता दें कि सुरक्षा को देखते हुए 10 विधानसभा क्षेत्र, मोहला, मानपुर, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, कांकेर, केसकाल,कोंडागांव, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंटा जैसे इलाकों में 3 बजे तक ही वोट डाले जाएंगे जबकि विधानसभा क्षेत्र खैरागढ, डोंगरगढ़, राजनांदगांव, डोंगरगांव, खुज्जी, बस्तर, जगदलपुर और चित्रकोट में सुबह आठ बजे शाम पांच बजे तक मतदान जारी रहेगा।
16.24% voter turnout recorded till now in the first phase of #ChhattisgarhAssemblyElections2018 in 18 assembly constituencies; Visuals of polling centers in Jagdalpur and Geedam pic.twitter.com/3kySeF4nfe
— ANI (@ANI) November 12, 2018
आज छत्तीसगढ़ में प्रशासन द्वारा नक्सलियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई का नजारा और सुरक्षा बलों द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम देखने को मिल रहे हैं। ख़ास बात तो ये रही कि मतदाताओं ने प्रशासन और सुरक्षा बलों पर भरोसा जताया और डर को पीछे छोड़ मतदान के लिए आगे आये। मतदाता किस तरह से नक्सलियों के इरादों पर पानी फेर रहे हैं ये सुकमा के भज्जी, दंतेवाड़ा के किडरीरास, गोरखा गांव में भी देखने को मिली। सुकमा के भेज्जी में पिछली बार सिर्फ एक ही वोट पड़ा था जबकि इस बार यहां 100 से अधिक वोट पड़ चुके हैं। दंतेवाड़ा सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में से एक माना जाता है। दंतेवाड़ा के किडरीरास में नक्सलियों ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया था और लोगों को वोट न डालने की चेतावनी दी थी लेकिन इसके बावजूद यहां मतदाता वोट डालने के लिए अपने घरों से बाहर निकले हैं। दंतेवाड़ा में सुरक्षा को लेकर एसपी ए पल्लव ने जानकारी देते हुए कहा, “करीब 18000 सुरक्षा कर्मियों को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव के लिए तैनात किया गया है। 273 बूथों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं। प्रशासन, पुलिस, पैरा मिलिटरी फोर्स और राज्य के सुरक्षाबलों को हाल के दिनों में हुए हमलों के बारे में जानकारी भी दे दी गई है। उन्हें कैसे क्या करना है और क्या नहीं समझा दिया गया है।”
Rajnandgaon: Huge voter turnout (pic 1) at the polling station in Naxal-affected Manpur's Pardoni village where Naxali posters & banners (pic 2 & 3) asking people to boycott elections had been seen. #ChhattisgarhAssemblyElections2018 pic.twitter.com/Ld5SJEPnAX
— ANI (@ANI) November 12, 2018
मानपुर के परदोनी गांव में तो नक्सलियों ने बकायदा पोस्टर लगाकर लोगों से चुनाव का बहिष्कार करने के लिए कहा था लेकिन इस चेतावनी का लोगों पर कोई असर नजर नहीं आ रहा। बुर्जुर्ग या युवा या हो महिलाएं सभी अपने घरों से सुबह ठंड के बावजूद मतदान केंद्र उत्साह के साथ पहुंचे। कुछ लोगों में तो पहले मतदान करने की होड़ भी देखा गया।
#Jharkhand: Children of naxal affected Chakulia's Pochpani village carry bow & arrows to school to protect themselves from Naxals. Local says, "The children have to pass through forest area where a number of naxals have been spotted." pic.twitter.com/TJJlSRsTxG
— ANI (@ANI) November 12, 2018
झारखंड के कुछ इलाकों में तो नक्सलियों का प्रभाव ऐसा है कि बच्चे स्कूल भी तीर-कमान के साथ जातें हैं। ऐसे में नक्सलियों के प्रभाव को खत्म करना है तो सामने आकर अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा और एकसाथ खड़े होना होगा। ये बात गांव के लोगों को अब समझ आ गयी है यही वजह है कि उन्होंने ठान लिया है गांव के विकास के लिए आगे आएंगे और अपनी पसंद की सरकार चुनेंगे। इससे उनका प्रशासन की व्यवस्था पर भरोसा भी साबित हो गया है। छत्तीसगढ़ में रामन सिंह के नेतृत्व में नक्सल प्रभावित इलाकों में हालात बदलते हुए देखा गया है। युवाओं ने मुख्यधारा में लौटने की इच्छा भी जाहिर की है क्योंकि गांव के सभी लोग अपने क्षेत्रों में विकास चाहते हैं। वो गांव में स्कूल, सड़क और मेडिकल जैसी सुविधा चाहते हैं। यही वजह है कि गांव के लोग बड़ी संख्या में अब निडर होकर मतदान केंद्र पहुंच रहे हैं। इससे पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने नक्सलियों को चेतावनी भी दी थी, ‘आत्मसमर्पण करो या फिर गोली खाने को तैयार रहो।‘ इसके बाद से कई नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण भी किया है और ये सिलसिला अभी भी जारी है।
नक्सलियों की धमकी के बावजूद आज जिस तरह से मतदाता वोटिंग के लिए मतदान केंद्र पहुंच रहे हैं ये नक्सलवाद पर लोकतंत्र की जीत को दर्शाता है। अब ऐसा लगता है कि जल्द ही इस राज्य से नक्सलवाद पूरी तरह से खत्म हो जायेगा।