क्या कांग्रेस का चुनावी मुद्दा जाति, धर्म, पारिवारिक पृष्ठभूमि के इर्द गिर्द है ?

कांग्रेस पार्टी

Pc: Amar Ujala

यूं तो कांग्रेस खुद को धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करती है। दम भरती है। लेकिन जरा सा गौर से देखें तो हम पाते हैं कि कांग्रेस की पूरी राजनीति ही जाति-धर्म-संप्रदाय और बांटने-फोड़ने पर टिकी रही है। “बांटो और राज करो” कांग्रेस की नीति और सबसे बड़ी ताकत रही है। अगर हम कांग्रेस के वर्तमान से लेकर इतिहास तक में सरसरी निगाह दौड़ा दें तो पाएंगे कि चुनाव आते ही कांग्रेस मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे से लेकर जाति, धर्म और संप्रदाय की राजनीति करके ध्रुवीकरण शुरू कर देती है। ऐसा हम नहीं बल्कि चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस खुद ही चीख-चीखकर कहने लगती है। 

विश्वास न हो तो आज ही देख लीजिए। सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंदिर और दरगाह पर माथा टेकने पहुंचे थे। वो राजस्थान के अजमेर शरीफ में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चादर चढ़ाने पहुंचे। इससे पहले वो कांग्रेस पार्टी को खुले शब्दों में मुसलमानों की पार्टी बताते रहे थे। इसके अलावा अभी हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सीपी जोशी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्री उमा भारती समेत कई नेताओं की जाति पर टिप्पणी की थी। हैरान करने वाली बात ये है कि कांग्रेस देश के प्रधानमंत्री तक की जाति पूछ रही है। इसके अलावा अगर हम थोड़ा सा पीछे जाएं और कर्नाटक की बात करें तो वहां तो स्थिति एकदम से साफ हो जाती है।

याद है, कर्नाटक में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस ने हिंदू धर्म मानने वाले लिंगायतों को भी अलग-अलग धर्मों का दर्जा देने की मांग की थी। हालांकि कर्नाटक में भी कांग्रेस अपनी चाल में कामयाब नहीं हो सकी। अब इससे अधिक हास्यात्पद क्या होगा कि जिस व्यक्ति को हिंदू धर्म का ककहरा भी नहीं मालूम है, वो हिंदुओं को बांटने की बात कर रहा है। वो अलग बात है कि हिंदुओं को बांटने-फोड़ने वाली नीति में वो कामयाब नहीं हुए और कर्नाटक उनके हाथ से निकल चुका है। यहां तक की चुनाव नजदीक आते ही वो खुद को हिंदू, पक्का हिंदू, चंदनधारी हिंदू, सच्चा हिंदू, असली हिंदू, शिवभक्त हिंदू, जनेऊधारी हिंदू जैसी कई उपमाएं देने लग जाते हैं। हालांकि इसको लेकर अक्सर वह मजाक के पात्र भी बनकर रह जाते हैं।

इसके अलावा विकीलीक्स की रिपोर्ट ने तो कांग्रेस पार्टी का नकाब ही एकदम से उतार फेंका। विकीलीक्स ने अपने खुलासे में बताया 2006 में लाए गए कानून में प्रशासन को अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालना था। लेकिन ऐसे में कांग्रेस को अपनी वोट बैंक खिसकती नजर आई। विकीलीक्स ने खुलासा किया कि अवैध अप्रवासियों को रोकने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अवैध अप्रवासियों के कानून को बदलने तक निर्णय लिया था। हालांकि इससे जुड़े कानून को सर्वोच्च न्यायालय ने अवैध घोषित कर दिया था। जिससे कांग्रेस का सपना धरा का धरा रह गया था।   

इन सारी गतिविधियों से एक बात तो एकदम से साफ है कि कांग्रेस पार्टी की नींव जाति, धर्म, संप्रदाय, बांटने-फोड़ने के आधारशिला पर टिकी है, जिसे जनता ने पहचान लिया है। अब वो आधारशिला चुनाव दर चुनाव गिर रही है। देश एक सूत्र में बंध रहा है। जिससे कांग्रेस को तकलीक हो रही है। जनता द्वारा सत्ता से बेदखल की गई कांग्रेस तड़प रही है। ठीक वैसे ही, जैसे कोई मछली पानी से बाहर निकाल दी गई हो। अब ऐसे में वह जाति, धर्म, संप्रदाय, पारिवारिक पृष्ठभूमि जैसी घटिया राजनीति वाली अपनी पुरानी आधारशिला पाने के लिए तड़प रही है। इसके लिए वह रोज-रोज नए-नए पैंतरे बदल रही है। इसका उदाहरण इन दिनों पांच राज्यों में चल रहे चुनावों में देखा जा सकता है।

अब, जबकि पांच राज्यों के साथ लोकसभा चुनाव नजदीक है, ऐसे में इस पुरानी पार्टी को मुसलमानों की पार्टी बताने वाले राहुल गांधी मंदिरों-गुरुद्वारों में माथा टेक-टेककर खुद को असली वाला हिंदू और सिख साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि जनता के बीच इस बार भी उनकी दाल एकदम से कच्ची रह गई है। ऐसा करके वह मात्र खुद को हंसी के पात्र बना रहे हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि खुद को हिंदू साबित करने के लिए वह आगे कौन सा कदम उठाते हैं।

Exit mobile version