कांग्रेस हमेशा ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधाराओं के खिलाफ रही है और अब वो खुलेआम इस संगठन पर बैन लगाने की बात कह रही है। शनिवार को कांग्रेस ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए घोषणा पत्र जारी कर दिया। अपने इस घोषणा पत्र को कांग्रेस ने ‘वचन पत्र’ बताया। अपने इस वचन पत्र में इस परिवारवाद पार्टी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखाओं पर पाबंदी लगाने का वादा किया है जिसके बाद इस घोषणा पत्र को लेकर एक नया विवाद शुरू हो गया। बाद में मध्यप्रदेश कांग्रेस पार्टी प्रमुख कमलनाथ ने इसपर सफाई देते हुए कहा कि, “वचन पत्र में पार्टी ने या उन्होंने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की बात नहीं कही। ये खबर गलत है। पार्टी की ऐसी कोई मंशा भी नहीं है।” कमलनाथ ने अपने बयान से पार्टी के ‘वचन पत्र’ पर सफाई दी और इससे उन्होंने भी शायद हवा में ही तीर चला दिया क्योंकि घोषणा पत्र की तस्वीर तो कुछ और ही बयां कर रही है।
#Congress in its manifesto in #MadhyaPradesh has said if the party comes to power then RSS 'shakhas' would not be allowed in Government buildings and premises, also earlier order to allow Govt employees to attend RSS 'shakhas' will be revoked. pic.twitter.com/XuCRsbCY9F
— ANI (@ANI) November 11, 2018
मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अपने एक ट्वीट में कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र की तस्वीर साझा कर कांग्रेस पार्टीके दोहरे रुख को सामने रख दिया है जो कहती कुछ है दिखाती कुछ है और करती कुछ है। कांग्रेस के घोषणा पत्र में साफ़ लिखा हुआ है कि, “सरकारी ऑफिसों में आरएसएस की शाखाएं लगाने पर प्रतिबंध लगाएंगे तथा शासकीय अधिकारी और कर्मचारियों को शाखाओं में छूट संबंधी आदेश निरस्त करेंगे।”
#CongressVachanPatra मे अपने विचार सामने लाते हुए..
कांग्रेस ने संघ पर प्रतिबंध लगाने का "वचन" दिया है.!
अच्छा होता, अगर वो सिमी जैसे आतंकवादी संगठनो पर प्रतिबंध लगाते।
पर वहाँ क्यो लगाएंगे, आपकी राजनीति तुष्टिकरण व वोटबैंक की ही जो है।
जनता आपको कभी माफ नहीं करेगी।#BJP4MP pic.twitter.com/iPkWPeTwVC
— Kailash Vijayvargiya (Modi Ka Parivar) (@KailashOnline) November 11, 2018
घोषणा पत्र की तस्वीर कुछ और कह रही है और कमलनाथ कुछ और कह रहे हैं। ऐसा लगता है वो भी पार्टी अध्यक्ष के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस के ही एक विधायक सुंदरलाल तिवारी ने आरएसएस को लेकर विवादित बयान दिया था और आरएसएस को एक आतंकवादी संगठन करार दिया। कांग्रेस के इस घोषणा पत्र पर बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस के मकसद पर प्रकाश डालते हुए कहा कि,”ऐसा लगता है इन दिनों कांग्रेस का केवल एक ही मकसद है, ‘मंदिर नहीं बनने देंगे, शाखा नहीं चलने देंगे।”
Looks like the Congress these days has only one motto- 'Mandir nahi ban ne denge, Shakha nahi chalne denge:' Sambit Patra,BJP on #Congress in its manifesto in #MadhyaPradesh says RSS 'shakhas' would not be allowed in Government buildings pic.twitter.com/ixMU7ZHUgn
— ANI (@ANI) November 11, 2018
वैसे ये पहली बार नहीं है जब आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने का मुद्दा उठा है इससे पहले संघ पर तीन बार प्रतिबंध लग चुका है। पहली बार प्रतिबंध 18 महीने के लिए लगा था जब महात्मा गांधी की हत्या हुई थी और इस हत्या के पीछे कांग्रेस ने आरएसएस का हाथ बताया था। इसके बाद आपातकाल के दौरान 1975 से 1977 तक संघ पर पाबंदी लगी थी। तीसरी बार प्रतिबंध छह महीने के लिए 1992 के दिसंबर में लगी, जब 6 दिसंबर को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरा दी गई थी। तब भी कांग्रेस ने संघ पर कई आरोप मढ़े थे। जबकि ये सच किसी से छुपा नहीं है कि आजाद भारत में संघ का योगदान काफी महत्वपूर्ण रहा है यहां तक कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू भी संघ के कार्यों से प्रभावित थे। संघ ने देश में कई मुश्किल स्थिति में मदद के लिए हाथ बढ़ाया है और हाल ही में केरल में आई आपदा इसका बेहतरीन उदाहरण है। फिर भी ये सवाल तो उठता है कि आखिर कांग्रेस को संघ से इतनी नफरत क्यों है? कभी महात्मा गांधी की हत्या में तो कभी देश में सांप्रदायिक तनाव के पीछे संघ का हाथ बताती रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी महाराष्ट्र के भिवंडी इलाके की एक रैली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर महात्मा गांधी की ‘हत्या’ में शामिल होने का आरोप लगाया था।
दरअसल, देश की सबसे बड़ी पुरानी पार्टी बार बार संघ पर इसलिए निशाना साधती है क्योंकि संघ भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करता है जो कांग्रेस पार्टी की सबसे बड़ी प्रतिद्विंदी पार्टी है। ऐसे में कांग्रेस जानबूझकर बार बार आरएसएस को निशाना बनाती है क्योंकि उन्हें लगता है कि संघ को निशाना बनाने से संघ से ज्यादा भारतीय जनता पार्टी तिलमिलाएगी। वैसे कांग्रेस की ये नफरत संघ के प्रति काफी पुरानी है कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी को ये भी लगता है कि संघ की लोकप्रियता से आम जनता का झुकाव पार्टी के खिलाफ होगा। इस साल विजयदशमी के दिन संघ अपने 93 साल पूरे कर लेगा और 2025 में ये संगठन 100 साल का हो गया। समय के साथ संघ की पकड़ देश में बढ़ी है और कांग्रेस की नफरत भी। अब तो भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है और पूरे देश में भगवा लहर का प्रभाव देखने को मिल रहा है ऐसे में कांग्रेस को संघ एक आंख नहीं सुहा रही।