अपने खराब शासनकाल के कारण चुनाव प्रचार से दूर हैं दिग्विजय, पीएम मोदी ने कांग्रेस पर किया वार

दिग्विजय, मोदी, मध्य प्रदेश

PC:Amar Ujala

पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के इंदौर में एक रैली को संबोधित करते हुए रविवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय का नाम लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। पीएम ने कहा कि, इन चुनावों में सीनियर कांग्रेसी नेताओं में से एक को प्रचार की इजाजत नहीं है। ये वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और कोई नहीं दिग्विजय सिंह ही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, कांग्रेस को डर है कि, “यदि वो नेता प्रचार करता है तो पार्टी हार जाएगी क्योंकि लोग याद करेंगे कि उस समय कांग्रेस के राज में मध्य प्रदेश का हाल कैसा था।“ मोदी ने आगे कहा कि, कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में किए गए अपने कुकर्मों को छुपाने के लिए तय किया है कि, वो दिग्विजय सिंह का चेहरा जनता को नहीं दिखाएंगे। ये सही है कि, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में दिग्विजय सिंह इस समय किसी बड़े पद पर नहीं हैं। पार्टी ने उन्हें मध्य प्रदेश के लिए फ्री कर रखा है इसलिए वो कांग्रेस के महासचिव भी नहीं हैं। वहीं दिग्विजय सिंह के करीबी प्रेमचंद उर्फ गुड्डू जैसे नेता कांग्रेस को छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी दिग्विजय सिंह को कोई जिम्मेदारी देने के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं किया है। पीएम मोदी कांग्रेस द्वारा दिग्विजय को जिम्मेदारी नहीं देने के पीछे की वजह मध्य प्रदेश में उनका कमजोर कार्यकाल बता रहे हैं, जो कि सही भी है। कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में प्रदेश में सड़क, बिजली, स्कूल और सिंचाई के संसाधनों का अभाव रहा था। उस समय प्रदेश बीमारू राज्य की श्रेणी में आ गया था।

इंदौर की रैली में पीएम मोदी ने कहा,”कांग्रेस मध्य प्रदेश में अपने 55 साल के शासन के दौरान विभाजनकारी राजनीति में लगी रही। बीजेपी के 15 वर्ष के शासन में मध्य प्रेदश कृषि क्षेत्र में नंबर एक के राज्य के रूप में उभर कर सामने आया, जबकि कांग्रेस के राज में ऐसा कुछ नहीं हो पाया था। कांग्रेस के पास न तो कोई नीति है और न ही कोई नेता, इसके नेतागण कन्फ्यूज्ड  हैं और पार्टी फ्यूज् है।” एक समय वो भी था जब दिग्विजय सिहं को राहुल गांधी का गुरु माना जाता था। वो राहुल के काफी करीबी भी मानें जाते थे। आज की स्थिति देखें तो ठीक इसके विपरीत है जिसका सीधा कारण जनता द्वारा दिग्विजय को नकार देना ही है। आज दिग्विजय के करीबी भी अपना सुरक्षित ठिकाना तलाश रहे हैं। चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस पार्टी द्वारा दिग्विजय को नर्मदा यात्रा पर भेज देना भी बताता है कि उनका पार्टी में कोई अधिक जिम्मेदारी नहीं है। ये भी कहा जाता है कि, नर्मदा यात्रा के बाद कांग्रेस का एक सर्वे मीडिया में आया था जिसके अनुसार सिंह के जनता के बीच जाना कांग्रेस के लिए नुकसानदेह हो सकता है।

1998 के मुलताई गोलीकांड के बाद से सत्ता से बाहर हैं दिग्विजय

12 जनवरी 1998 को मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की मुलताई तहसील में हुए गोलीकांड के बाद से दिग्विजय की छवी सबसे ज्यादा खराब हुई थी। यहां डॉ सुनीलम की अगुवाई में सरकार की नीतियों से पीड़ित किसानों द्वारा आंदोलन किया जा रहा था। इस आंदोलन में दिग्विजय सिंह की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने किसानों पर गोलियां चलवा दी थीं। दरअसल, उस समय मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में सोयाबीन की फसलें लगातार तीन साल खराब रही थीं और किसान लगातार सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे थे। इस गोलीकांड में 24 लोग मारे गए थे। उस समय कांग्रेसी सरकार ने लगभग 250 किसानों पर 67 मुकदमें दर्ज किए थे। इस गोलीकांड के बाद से आज तक कांग्रेस मध्य प्रदेश में सत्ता से बाहर है। दिग्विजय सिंह का चुनाव प्रचार से दूर रहने की एक मुख्य वजह ये गोलीकांड भी है।

अपने खराब शासन की वजह से आज तक दिग्विजय से मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी नहीं कर पाए हैं और कांग्रेस भी ये बात समझ चुकी है कि अगर उसने दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा तो उसकी हार निश्चित है। यही वजह है कि इस बार कमलनाथ को पार्टी में सबसे ज्यादा तवज्जो दी जा रही है।

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