योगी सरकार ने 12 नवंबर को मथुरा के पवित्र पर्वत गिरिराज गोवर्धन के परिक्रमा पथ के रास्ते में आने वाली सात अवैध इस्लामी मजारों को ध्वस्त कर उन्हें समतल बना दिया।
हिंदू धर्म में पवित्र पर्वत गिरिराज गोवर्धन पर्वत का ख़ास महत्व है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इंद्र के क्रोध से ब्रजभूमि और उसके लोगों की रक्षा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने बाएं हाथ की सबसे छोटी ऊँगली पर उठा लिया था और ब्रजभूमि निवासियों ने इस पर्वत के नीचे इकठ्ठा होकर इंद्र के क्रोध से अपनी जान बचाई थी। इस तरह से भगवान कृष्ण ने इंद्र देवता के घमंड को चूर किया था, ब्रजवासी तबसे इस पर्वत के साथ-साथ अपने गाय-बैलों की पूजा करते हैं। इसके साथ ही सभी भक्त पवित्र पर्वत की परिक्रमा कर भगवान कृष्ण के उस स्वरूप की आराधना की जाती है जिसमें उन्होंने बाएं हाथ से गोवर्धन पर्वत उठाया था। हर साला दुनिया के हिंदू श्रद्धालु गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा करने के लिए दूर दूर से यहां आते हैं।
लगातार अवैध निर्माण होने से इस इलाके में यातायात बाधित होने की खबरें सामने आ रही थीं। इसके बाद प्राधिकरण की टीम ने 20 मार्च 2015 को इस इलाके का दौरा किया था और इलाके की जांच की थी। अतिक्रमण की समस्या को जिसे देखते हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने साल 2015 में एक आदेश पारी किया था जिसमें राज्य सरकार को इस क्षेत्र से हर तरह के अतिक्रमण को ध्वस्त करने के आदेश दिए गये थे। इलाके के दौरे के बाद एनजीटी ने एक रिपोर्ट भी तैयार की थी जिसमें इस पूरे परिक्रमा मार्ग को ‘नो-कंस्ट्रक्शन जोन’ के रूप में अधिसूचित करने के लिए कहा गया था। इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि, ” निर्धारित सीमा रेखा के अंदर वन भूमि की पहचान करके निर्धारित समय के अंदर सभी तरह के अतिक्रमण को हटा दिया जाना चाहिए।” दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के रास्ते में आने वाले सभी तरह के अवैध निर्माण को भी हटाया जाना चाहिए जिससे उनके लिए राह और आसान हो जाये। रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि प्रशासन ये भी ख्याल रखेगा कि यदि मार्ग या उसके आस-पास 25 अक्तूबर, 1980 से पहले के मंदिर और तप व साधना के लिए बनाई गई साधु कुटिया या छप्पर मौजूद है तो उसे किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचाया जाए।
इसी साल जस्टिस आरएस राठौर की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी स्पष्ट किया तह कि छप्पर और समाधि के लिए किसी तरह का पक्का और कच्चा निर्माण कार्य नहीं किया जाये और न ही कंक्रीट और ईंट के इस्तेमाल की इजाजत होगी। पीठ ने ये भी कहा था कि जहां से अतिक्रमण हटाया जा चुका है वहां यदि कोई भी व्यक्ति दोबारा निर्माण या संरचना बनाने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ आपराधिक मामला चलाया जाए। योगी सरकार आने से पहले तक आदेश के बाद भी सख्त कार्रवाई नहीं की गयी थी. हालांकि, योगी सरकार ने एनजीटी के आदेश का पालन करते हुए अतिक्रमण पर कार्रवाई की।
माय नेशन से बातचीत में एनजीटी के मामले से जुड़े वकील अमित तिवारी ने बताया कि, अतिक्रमण की सूची में इस बार ढहाए गए ये सात मज़ार शामिल नहीं थे जो अवैध रूप से पहाड़ी के आसपास और परिक्रमा मार्ग पर बनाए गए थे। इन सभी को अभी हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण के बाद अवैध निर्माण की लिस्ट में शामिल किया गया था और अब सभी को हटा दिया गया है।