जम्मू-कश्मीर में आये दिन सीमा पर आतंकी हमलें होते हैं जिसका जवाब सेना के जवान बहादुरी से देते हैं। इस दौरान सेना के जवानों को स्थानीय लोगों के पत्थर फेंके जान के बाद भी पलट कर हमला नहीं करती। वास्तव में कश्मीर में सेना अपने वचन को लेकर कितनी प्रतिबद्ध है ये एक घटना से साफ़ हो गया जब सेना ने एक माँ से किये वादे को निभाने के लिए आतंकी को जिंदा छोड़ दिया। सेना ने आतंकवादी की माँ से वादा किया था कि वो आतंक की राह पर चल पड़े युवक को जिंदा पकड़ेगी जिसके घर लौटने की अपील उसके माँ-बाप काफी लंबे अरसे से कर रहे थे।
दरअसल, सोहेल लोन नाम का एक स्थानीय आतंकी 4 महीने पहले जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हो गया था। सोहेल पंपोर का रहने वाला है, उसके माँ-बाप काफी समय से उसे घर वापस लौटने के लिए अपील कर रहे थे और उसे सेना से बात करने के लिए भी कहा था। सोहेल के आतंकी सगंठन में शामिल होने के बाद सुरक्षाबलों ने उसके परिवार वालों से वादा किया था कि अगर वो कभी सामने आता है तो सेना उसे नहीं मारेगी। रविवार शाम को त्राल के एक इलाके में सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी और इन आतंकियों में सोहेल भी शामिल था जो सुरक्षा बलों पर गोलियां बरसा रहा था। चूंकि सेना ने सोहेल की माँ से वादा किया था इसीलिए बड़ी ही सावधानी से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया और सोहेल को जिंदा पकड़ने में कामयाब हो गये। इस दौरान जैश का एक आतंकी ढेर भी हुआ। सुरक्षा बलों ने इस ऑपरेशन में कामयाबी हासिल करने के बाद कहा कि, “हमने एक भटके हुए युवा को फिर से मुख्यधारा से जुड़ने का मौका दिया है और एक माँ को किये वादे को भी निभाया है।”
#WATCH: Protesters pelt stones on a police vehicle & attack it with sticks as protests erupt in Anantnag. #JammuAndKashmir. pic.twitter.com/N5rC0Uw8qD
— ANI (@ANI) August 22, 2018
ये पहली बार नहीं है जब कश्मीर में सेना के जवानों ने इस तरह से अपनी जिम्मेदारियों और वादों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया हो। ऐसे कई मौके आये हैं जहां स्थानीय लोगों ने सेना के जवानों पर हमलें किये हैं लेकिन सेना के जवानों ने उनपर पलट के कार्रवाई नहीं की है। कुछ लेफ्ट-लिबरल लोग इन पत्थरबाजों के प्रति हमदर्दी जताते हैं जो सुरक्षाबलों को निशाना बनाने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देते। इसी साल अगस्त के महीने में ईद-उल-अजहा के पावन मौके पर अनंतनाग से जुड़ा एक वीडियो सामने आया था जिसमें पत्थरबाज सुरक्षाबलों की एक जीप पर पत्थर और डंडे से हमला कर रहे हैं। हमले से बचने के लिए पुलिस की जीप वहां से वापस लौट गयी थी।
वास्तव में जब भी भारतीय सेना आतंकियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करती है देश के तथाकथित धर्मनिरपेक्ष तत्व और मानवता के ठेकेदार पत्थरबाजों के बचाव में उतर आते हैं। जबकि ये पत्थरबजा इतने खतरनाक होते हैं कि सेना के जवानों की जान तक लेने से नहीं चुंकते हैं। इसका उदाहरण राजेंद्र सिंह नाम के एक जवान है जो पत्थरबाजों के हमलें का शिकार हुए थे और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी थी। इससे भी दर्दनाक तो वो मंजर था जब दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग में पत्थरबाजों के हमले से अनियंत्रित सेना का वाहन ट्रक की चपेट में आ गया था जिसमें दो सीआरपीएफ जवान की मौत हो गयी थी। इसके बावजूद सेना के जवान बार बार इन हमलों का जवाब नहीं देते क्योंकि वो अपने कर्तव्य और जिम्मेदारियों से बंधे हुए हैं और इसका पालन भी दृढ़ता से करते हैं। जब अति होने के बाद सेना कोई कार्रवाई करती है तो लेफ्ट-लिबरल गैंग उन्हें घेरने के लिए तैयार हो जाता है जो बेहद शर्मनाक है। देश की सुरक्षा के लिए दिन-रात सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों का मनोबल बढाने या सम्मान व्यक्त करने की बजाय उनकी आलोचना करना कहां तक ठीक है आप खुद तय करिए क्योंकि सेना के जवान अपना कर्तव्य निभा रहे हैं और हमें अपने नागरिक होने का कर्तव्य निभाना चाहिए।