आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत की बड़ी योजना

भारत पाकिस्तान सिंधु जल समझौता

पाकिस्तान की हरकतों को देखते हुए अमेरिका के बाद अब भारत ने भी उसे किसी भी तरह की मदद न देने का निर्णय लिया है। पाकिस्तान की आतंक समर्थन वाली नीतियों को देखते हुए शायद ये जरुरी भी है। इस निर्णय के बाद अब भारत 1960 में हुए सिंधु जल समझौते के अपने हिस्से के पानी को पाकिस्तान जाने से रोकेगा। भारत अपने हिस्से के पानी को पाक जाने से रोकने के लिए पंजाब के शाहपुर कांडी बांध परियोजना, सतलुज-ब्यास की दूसरी लिंक परियोजना और जम्मू-कश्मीर में प्रस्तावित उज्ज बांध परियोजना को जल्द ही पूरा कर लेगा। अपने हिस्से का जल पाकिस्तान न जाए, इसके लिए भारत ने तीन अलग-अलग प्रोजक्ट्स पर काम तेज कर दिया है।

एक सरकारी अधिकारी ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि, ‘ये तीन परियोजनाएं लाल फीताशाही और अंतरराज्यीय विवादों में उलझी हुई थीं लेकिन अब इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने का फैसला किया गया है।’ उन्होंने ये भी कहा कि, “इन तीन परियोजनाओं में शाहपुर कांडी बांध परियोजना, पंजाब में दूसरा सतलुज-ब्यास संपर्क और जम्मू-कश्मीर में ऊझ बांध शामिल हैं।“

बता दें कि साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता हुआ था। जिसमें तीन पूर्वी नदियों ब्यास, रावी और सतलुज का नियंत्रण भारत को और तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम का नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया था। इस समझौते के तहत  सहायक नदियों को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में विभाजित किया गया था । सिंधु जल समझौते के तहत अपने हिस्से में मिले पानी का भारत लगभग 93-94 प्रतिशत ही इस्तेमाल करता था बाकि पाकिस्तान के हिस्से में जाता है। हालांकि, इस समझौते के बाद भी दोनों देशों के बीच इसे लेकर तनाव खत्म नहीं हुआ है। समझौते के तहत भारत ने पाकिस्तान को पानी पिलाया लेकिन पाक ने हमेशा ही देश में आतंकवाद का वित्त पोषण किया। हद तो तब हो गयी जब 18 सितम्बर 2016 को जम्मू और कश्मीर के उरी सेक्टर में एलओसी के पास स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय एक आतंकी हमला हुआ जिसमें 18 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद केंद्र की मोदी सरकार ने पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए सिंधु जल समझौते को हथियार बनाया था जिसमें राज्यों को राज्यों के आपसी विवादों को सुलझाते हुए बिजली और सिंचाई परियोजनाओं को जल्द पूरा करने के विकल्प को भी शामिल किया गया था। लाल फीताशाही और राज्यों के बीच विवादों की पेंच में फंसी इन परियोजनाओं पर तेजी से काम किया जायेगा जिससे भारत अब पूरे जल का इस्तेमाल कर सकेगा।

बता दें कि भारत चेनाब नदी पर अपनी 1000 मेगावाट की पाकल दुल बांध और 48 मेगावाट लोअर कलनाल पनबिजली परियोजनाओं का निर्माण कर रहा है। इसपर पाकिस्तान ने कई बार आपत्ति जताई क्योंकि उसे इस समझौते के खत्म होने का डर सताने लगा है। भारत ने पाकिस्तान को आश्वस्त करना के लिए वो किसी भी तरह से सिंधु जल समझौते का उलंघन नहीं कर रहे हैं, पाक को भारत आकार स्थिति का जायजा लेने के लिए भी कहा था। अक्टूबर में पाकिस्तानी विशेषज्ञों के भारत आने का कार्यक्रम भी तय हो गया था लेकिन भारत ने उससे पहले ही पाक ने अपनी नापाक हरकत को अंजाम दिया। पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिक के शव के साथ बर्बर व्यवहार किया गया जिससे देहस में एक बार फिर स्थिति नर्म पड़ने की बजाय पाक के खिलाफ हो गयी। पाक की इस हरकत से भारत ने पाकिस्तानी विशेषज्ञों के कार्यक्रम को रद कर दिया था। उस दौरान पाक के प्रधानमंत्री ने भारत के साथ शांति वार्ता का भी प्रस्ताव रखा था लेकिन भारत ने पाक की नापाक हरकत का जवाब देते हुए इसे ठुकरा दिया था। यही नहीं भारत ने पाकिस्तान की नापाक हरकतों को गंभीरता से लेते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनदेखा कर दिया था जिससे पाकिस्तान की थू-थू हो गयी थी।

अब भारत की इन तीन परियोजनाओं के जरिये पाक को सख्त सबक मिलेगा और उसपर दबाव भी बनेगा। अब भारत के इस कदम से आतंक को बढ़ावा देने वाले पाक पर क्या असर पड़ता है देखना दिलचस्प होगा। इसके साथ ही भारत उरी हमले का बदला भी पूरा कर सकेगा।

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