मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में एक बार फिर मतदान प्रतिशत बढ़ा है, जो कि बीजेपी के लिए शुभ संकेत दे रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदान पूरा होने के बाद प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि, राज्य में 74.6 प्रतिशत मतदान हुआ हैं। साथ ही आयोग का कहना था कि, ये प्रतिशत अभी और आगे जा सकता है। वो इसलिए, क्योंकि कुछ पोलिंग बूथों पर वोटिंग तीन घंटे तक प्रभावित रही थी और उन बूथों पर रात साढ़े 9 बजे तक भी मतदाताओं की लाइन लगी हुई थी। ऐसे में इस बार सूबे में मतदान प्रतिशत 75 प्रतिशत से अधिक ही रहेगा। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के इतिहास में यह अब तक का रिकॉर्ड मतदान है। खास बात ये है कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत बढ़ने पर हर बार बीजेपी ही सत्ता में आती है। आंकड़े बता रहे हैं कि, कांग्रेस के नेताओं ने भले ही इन चुनावों में सत्ता वापसी के लिए खूब तिकड़म की हो, लेकिन इन चुनावों में लड़ाई केवल शिवराज बनाम शिवराज की ही थी।
आमतौर पर ज्यादा मतदान का होना एंटी इनकंबेंसी यानी सत्ता विरोधी लहर मानी जाती है लेकिन मध्यप्रदेश में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से ट्रेंड बिल्कुल विपरीत नजर आया। 2003 से बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से हर विधानसभा चुनावों में यहां मतदान प्रतिशत बढ़ा है और सत्ता पार्टी ही फिर से विजेता रही है। गौरतलब है कि, 2003 के विधानसभा चुनावों में राज्य में मतदान प्रतिशत 67.35 प्रतिशत था। उसके बाद 2008 में यह 69.28 प्रतिशत, 2013 में 72.13 प्रतिशत और अब 2018 में बढ़कर 75 प्रतिशत से ज्यादा होने जा रहा है।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में एक ट्रेंड यह भी है कि, यहां जब चुनाव प्रतिशत बढ़ता है, तब बीजेपी ही सत्ता में आती है। 1998 के विधानसभा चुनावों में राज्य में मतदान प्रतिशत 60.5 प्रतिशत रहा था तब सूबे में कांग्रेस की सरकार थी। उसके बाद 2003 के चुनावों में मतदान प्रतिशत करीब 7 प्रतिशत बढ़कर 67.25 प्रतिशत हो गया और बीजेपी सत्ता में आई। और इसके बाद से लगातार राज्य में बीजेपी जीतती रही है।
इस मतदान में महिलाओं का मतदान प्रतिशत भी बहुत मायने रखने वाला है। अगर महिलाओं का वोट प्रतिशत बढ़ा तो यह सीधे तौर पर शिवराज को ही जाएगा। इसकी वजह यह है कि, बीजेपी द्वारा महिलाओं के लिए अलग घोषणा पत्र जारी किया गया था। वहीं सूबे में महिलाओं के बीच शिवराज सिंह चौहान (मामा) बहुत लोकप्रिय हैं।
यह मतदान प्रतिशत बताता है कि, जनता में अब भी लोकप्रीय हैं शिवराज
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों के ट्रेंड के अनुसार बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत बताता है कि, शिवराज अभी भी जनता के बीच बेहद लोकप्रीय हैं। शिवराज की लोकप्रियता का बड़ा कारण यह है कि, वो जनता के सुख-दुख में हमेशा उनके बीच बने रहते हैं। मध्यप्रदेश के किसी भी क्षेत्र का कोई जवान अगर बॉर्डर पर शहीद हो जाता है, तो उसकी शव यात्रा में शिवराज कांधा देते हुए सबसे आगे दिखाई देते हैं। सूबे के किसी भी विधायक के यहां खुशी या गम का अवसर हो, शिवराज वहां सबसे पहले होते हैं। किसान आंदोलन हो, तीर्थ दर्शन हो, सुस्त कलेक्टर-कमिश्नर बदलने हों, लाडली-लक्ष्मी हो या भावांतर, शिवराज हर जगह उपस्थित होते हैं। सूबे के टोले-मजरे से लेकर श्यामला हिल्स की पहाड़ियो तक उन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ी हुई है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान पिछले 13 सालों से वन मैन शौ चलाते आ रहे हैं।