बहुजनों की राजनीति करने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती ने अब दलित संगठनों पर ही हमला बोला है। उन्होंने दावा किया है कि, कुछ दलित संगठन पिछले साल उनकी हत्या करवाना चाहते थे। उन्होंने 24 नवंबर को कहा था कि, 2017 में उत्तरप्रदेश में शब्बीरपुर हिंसा कांड के दौरान उनकी हत्या की कोशिश हुई थी। मायावती ने सीधे-सीधे ‘भीम आर्मी’ और ‘बहुजन यूथ फॉर मिशन 2019-अगला पीएम बहनजी’ संगठन का नाम लेते हुए इन पर अपने खिलाफ साजिश रचने की बात भी कही।
एएनआई से बातचीत में मायावती ने कहा, “हमें पता चला था कि कुछ फर्जी संगठन जैसे ‘भीम आर्मी’ और ‘बहुजन यूथ फॉर मिशन 2019-अगला पीएम बहनजी’ बसपा के खिलाफ काम कर रहे हैं। ये संगठन दलित समर्थकों के पास जा रहे हैं और उनसे गलत तरीके से पैसों की वसूली कर रहे हैं। वे उनसे कह रहे थे कि, वे मुझे प्रधानमंत्री बनाने के लिए रैलियों में हिस्सा लें।”
बसपा सुप्रीमों ने इन दलित संगठनों पर आरोप लगाते हुए कहा, “वे दलितों के सामने ऊंची जाती के लोगों के विरूद्द बोलकर उनके दिमाग में नफरत फैला रहे थे। वे ऐसा इसलिए कह रहे थे, ताकी ऊंची जाती के लोगों को बसपा में शामिल होने से रोक सकें।”
बता दें कि, कुछ दिनों पहले भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर ने एक बार फिर बसपा को ही अपनी पार्टी बताया था। चंद्रशेखर ने कहा था कि, “बसपा उनकी पार्टी है। इस बार दलित को ही प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठाया जाएगा।”
उधर उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने लखनऊ में कहा था कि, चंद्रशेखर रावण और भीम आर्मी से बसपा का कोई रिश्ता नहीं है। बसपा सुप्रीमों ने बताया था कि, जबरदस्ती कुछ युवा हमसे रिश्ता बता रहे हैं, जबकि मेरा वास्तव में इस किस्म के लोगों से कभी भी कोई रिश्ता कायम नहीं हो सकता है। मायावती ने कहा था कि, ये लोग अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं की वजह से ही रिश्ता बना रहे हैं और यह मेरे खिलाफ साजिश है। मेरा रिश्ता केवल उन कमजोर और दलितों आदिवासियों से है, जिनका में नेतृत्व करती रही हूं।
मायावती का कहना है कि, भीम आर्मी जैसे दलित संगठन बीएसपी विरोधी संगठन हैं। उन्होंने उनके नाम से कई फर्जी संस्थाएं द्वारा दलितों से फंडिंग जुटाने की भी बात कही। मायावती ने दलित समुदाय से अपील की है कि, वे ऐसे राजनीतिक संगठनों के बहकावे में न आएं और उनके उम्मीद्वारों को वोट देकर अपना कीमती वोट बर्बाद न करें। मायावती ने कहा कि, इन्हीं संगठनों की वजह से पिछले साल उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ ह्रदय विदारक शब्बीरपुर हिंसा हुई थी।
मायावती ने कहा है कि, वह दलित संगठनों की इस साजिश को जानती थी कि, वे उनकी हत्या करवाने वाले हैं। मायावती ने कहा, “मुझे इसकी जानकारी पहले मिल जाने की वजह से उनकी योजना कामयाब नहीं हो पाई थी। मुझे संसद में इस मुद्दे को उठाने की अनुमति नहीं दी गई, इसलिए मजबूरन मैंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था।” दलितों की राजनीति करने वाली बसपा सुप्रीमों मायावती और नए-नए उभर कर आए दलित संगठनों के बीच इस खींचतान से बहुजन समाज असमंजस में है। उसे ये समझ नहीं आ रहा कि कौन उसका हितैषी है और कौन दुश्मन। बहरहाल अब इस घटनाक्रम से बहुजन समाज को भी दलित तुष्टिकरण की राजनीति समझ आ रही है।