चुनावी सरगर्मियां परवान चढ़ रही है और इसी बीच कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज राजस्थान में अपना गोत्र सार्वजनिक कर दिया है। उन्होंने यहां पुष्कर सरोवर की पूजा के दौरान अपना गोत्र कौल दत्तात्रय बता दिया है। चुनावी समय में नेताओं का जाति-धर्म के प्रति आस्था प्रकट करना कोई नई बात नहीं है, किंतु राहुल गांधी इस लिहाज से बाकी नेताओं से थोड़ा अलग हैं। अपने धर्म के मामले में वे बार-बार जनता को कन्फ्यूज करते रहे हैं। गुजरात विधानसभा चुनावों के बाद से ही गांधी वे सभी कार्य कर रहे हैं, जिससे वे साबित कर सकें कि, वे हिंदू हैं। वे कैलाश मानसरोवर की यात्रा के साथ ही देश के कई बड़े मंदिर में भी मत्था टेक चुके हैं। राजस्थान, मध्यप्रेदश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में भी उनका यह मंदिर धोकना जारी है। सोमनाथ मंदिर में दर्शन के दौरान अपने धर्म को लेकर खुद कांग्रेस अध्यक्ष ने ही प्रश्च चिन्ह लगा दिया था। जिसके बाद उनकी जाति और धर्म को लेकर खूब टिप्पणियां हुई। राहुल से उनका गोत्र भी पूछा गया लेकिन न तो राहुल गांधी ने और न ही कांग्रेस पार्टी के किसी नेता ने उनका गोत्र सार्वजनिक किया। अब जब राजस्थान में चुनाव प्रचार अंतिम चरम में हैं, ऐसे में राहुल का अपना गोत्र सार्वजनिक करना सियासी मायने रखता लग रहा है। वहीं सवाल यह भी है कि, वे बार-बार अपने धर्म को लेकर खुद ही जनता में कंफ्यूजन पैदा करते हैं और खुद ही फिर अपना गोत्र भी बता रहे हैं।
राजस्थान में चुनाव प्रचार कर रहे राहुल गांधी ने आज पुष्कर सरोवर की पूजा की। पुष्कर में पूजा करवा रहे पंडित राजनाथ कौल ने राहुल से जब उनका गोत्र पूछा तो राहुल ने अपने गोत्र का नाम लेते हुए कहा कि, वे कौल दत्तात्रेय गोत्र के हैं। बता दें कि, कांग्रेस अध्यक्ष को पंडित दीनानाथ कौल और राजनाथ कौल ने पुष्कर सरोवर में पुजा करवाई है। राहुल द्वारा अपना गोत्र बताने की टाइमिंग को लेकर अब सवाल खड़े किये जा रहे हैं।
दरअसल, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के धर्म को लेकर विवाद उनके सोमनाथ मंदिर में दर्शन के बाद से शुरू हुआ है। पिछले साल नवंबर में राहुल गांधी कांग्रेस राज्यसभा सांसद अहमद पटेल के साथ सोमनाथ मंदिर पहुंचे थे। यहां राहुल गांधी की एंट्री गैर हिंदू वाले रजिस्टर में की गई थी। रजिस्टर में राहुल और अहमद पटेल के नाम के पास कांग्रेस के मीडिया कॉर्डिनेटर के हस्ताक्षर भी थे। सोमनाथ मंदिर में नियम है कि, यहां गैर हिंदुओं को रजिस्टर में एंट्री करना जरूरी होता है। असल में यहां गैर हिंदुओं को मंदिर में प्रवेश के लिए इजाजत लेनी होती है। मदिर में अहमद पटेल के साथ ही राहुल गांधी की एंट्री भी गैर हिंदू वाले रजिस्टर में की गई थी। इस एंट्री को लेकर बहुत विवाद हो गया था। मंदिर परिसर में लगे बोर्ड पर स्पष्ट लिखा है कि सोमनाथ एक हिंदू मंदिर है और गैर-हिंदू अनुमति लेने के बाद ही इसमें प्रवेश और दर्शन कर सकते हैं। साथ ही इसके लिए बनाए गए रजिस्टर में गैर-हिंदुओं को अपना नाम और विवरण भरना होता है। विवाद की साफ वजह यही थी कि, राहुल गांधी सोमनाथ मंदिर में गैर हिंदू की हैसियत से पहुंचे थे।
इस विवाद के बाद कांग्रेस द्वारा आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी के वरिष्ट नेता रणदीप सुरजेवाल ने विवाद को लेकर सफाई दी थी। उन्होंने कहा था कि, “राहुल गांधी सिर्फ हिंदू नहीं हैं, ब्लकि वे जनेऊधारी हिंदू हैं।” कांग्रेस के इस बयान के बाद तो सोशल मीडिया में ताजे-ताजे जनेऊधारी हिंदू और शिवभक्त के नाम से राहुल गांधी पर खूब हमले हुए थे। राजस्थान चुनावों की शुरुआत में जब राहुल उज्जेन के महाकाल मंदिर में पूजा करते दिखे तो बीजेपी ने राहुल से उनका गोत्र पूछ लिया था।
गोत्र पूछे जाने पर कांग्रेस की ओर से जवाबी हमले तो हुए लेकिन पार्टी के किसी भी नेता ने राहुल गांधी का गोत्र नहीं बताया था। अब जब सूबे में चुनाव प्रचार आखिरी चरण में पहुंच चुका है तो राहुल गांधी ने खुद ही अपना गोत्र जनता को बता दिया है। लगता है कांग्रेस अध्यक्ष चुनावी समय में लोगों की आस्था से खेल रहे हैं। वे अपने आपको धार्मिक बताकर हिंदुओँ को रिझाना चाहते हैं।