फर्जी तरीके से जलती हुई महिला का वीडियो आरएसएस से जोड़ा गया

आरएसएस

PC: punjabtoday.in

आरएसएस को बदनाम करने की साजिश किसी से छुपी नहीं है। आये दिन लेफ्ट-लिबरल्स कोई न कोई पैंतरा अपनाते रहते हैं आरएसएस और उससे जुड़े लोगों पर झूठा इल्जाम लगाकर उन्हें बदनाम कर सकें। ऐसा ही कुछ एक बार फिर से सोशल मीडिया पर देखने को मिला।

सोशल मीडिया पर एक वीडियो धडल्ले से शेयर किया जा रहा है जिसमें एक महिला आग की चपेट में आ जाती है। इसके साथ ही वीडियो के साथ एक कैप्शन “नकाब जलाने वाली औरतों पर कहर-ए-इलाही” भी लिखा है। यही नहीं इस वीडियो में एक आवाज भी सुनी जा सकती है जिसमें कहा गया है कि, “आरएसएस के एक समारोह के दौरान आरएसएस की महिलाओं ने विरोध जताते हुए  बुर्का जलाने की कोशिश की, उन औरतों पर इलाही का कहर टूटा। इस वीडियो को राष्ट्रीय स्वयंसेवक के साथ जोड़कर खूब शेयर किया जा रह है लेकिन इस वीडियो की सच्चाई सिर्फ घटना को सांप्रदायिक रंग देने और आरएसएस के खिलाफ जहर लोगों में भरने के अलावा कुछ भी नहीं है। धार्मिक रंग देकर इस वीडियो के द्वारा लोगों को बांटने की कोशिश की जा रही है और ये दिखाने की कोशिश की जा रही है कि आरएसएस मुस्लिम धर्म के लोगों का अपमान करता है।

आज तक की एक रिपोर्ट ने इस वीडियो से जुड़े झूठ का खुलासा कर दिया। वास्तव में इस वीडियो का आरएसएस से कोई संबंध ही नहीं है। दरअसल, ये वीडियो पंजाब के कपूरथला का है जहां कुछ टीचर्स अपनी मांगों पर दबाव बढ़ाने के लिए प्रदर्शन कर रही थीं।

https://youtu.be/AhUT5hQFrVY

इस वीडियो को एडिट करके ‘यहां सब कुछ मिलता है’ और द ओवेसी फैन क्लब’ नाम के फेसबुक पेजों से भी शेयर किया गया है जहां लोग इन्हें खूब देख रहे हैं और शेयर कर रहे हैं। ये वीडियो 1 मिनट 12 सेकंड का है जिसमें एक महिला आग की चपेट में आ गयी है और पानी की टंकी की सीढ़ियों से नीचे उतर रही है जबकि कुछ लोग इस आग को बुझाने का प्रयास कर रहे रहे हैं। इस पूरे वीडियो की सच्चाई को जाने बिना ही आरएसएस से जोड़ा गया। किस तरह से इस वीडियो के जरिये झूठा संदेश भेजा जा रहा है कि अल्लाह ने आरएसएस महिला को उसकी करनी की सजा दी और लोगों में भय पैदा किया गया। लोग भी बिना इसके पीछे की वास्तविकता जाने इसे शेयर करने लगे। स्पष्ट रूप से सोशल मीडिया पर इस वीडियो को सिर्फ सांप्रदायिक रंग देना था।

ये पहली बार नहीं इससे एहले भी आरएसएस को बदनाम करने की कोशिश की गयी हो इसे पहले भी कई ऐसे वीडियो और खबरें सामने आई हैं जो झूठ सभीत हुई हैं, कुछ कट्टरवादी और वामपंथी लोग इस तरह की खबरों को खूब बढ़ावा देते हैं जो शर्मनाक है।

इससे पहले इसी साल सितम्बर में ‘भीम सेना’नाम के एक पेज पर एक वीडियो शेयर किया गया था जिसमें दावा किया गया था कि आरएसएस के लोगों ने तमिलनाडु में 2 दलितों की पिटाई की लेकिन इस दौरान पुलिस मूक दर्शक बनी रही। जब इस वीडियो की पड़ताल की गयी तो पाया गया कि ये पूरी तरह से एक झूठा वीडियो है। ये विडियो गुजरात के भावनगर जिले के तलाजा शहर का था जहां गुजरात पुलिस ने कुछ स्थानीय अपराधियों की पिटाई की थी और उन्हें सड़क पर घुमाया था। स्पष्ट रूप से यहां भी आरएसएस से जोड़कर लोगों के जहन में नफरत भरने का प्रयास किया जा रहा था। ये प्रयास बार बार किये जाते हैं।, सच ये है कि आरएसएस हिंसा या सांप्रदायिक लड़ाई को बढ़ावा नहीं देता वो देश की उन्नति और शांति के लिए हमेशा से प्रयासरत रहा है। हाल ही में केरल में बाढ़ के दौरान अपने प्रयासों से आरएसएस ने ये साबित भी किया था। फिर भी सवाल ये उठता है की क्यों बार बार हिंदू या उससे जुड़े संगठन या लोगों को ही अपने बचाव में सफाई देनी पड़ती है? क्यों उनके खिलाफ झूठे दावें किये जाते हैं तो लोग आंखमूंद कर भरोसा कर लेते हैं और उनके द्वारा किये गये अच्छे कार्यों और बलिदान को पल भर में भुला दिया जाता है?

वास्तव में लोगों को अब जागने की जरूरत है किसी भी खबर को सच मानने से पहले उसकी जांच की जरूरत है तभी देश में अपराधी और हिंसक लोगों की मंशा पर पानी फिर सकेगा।

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