चुनावी समय में कांग्रेस अपना राजनीतिक स्तर कितना गिरा लेती इसके उदाहरण इन दिनों आपको कई मिल जायेंगे। इसी कड़ी में अब मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इस वीडियो में कमलनाथ हिंदू मुस्लिम के नाम पर घटिया राजनीति करते हुए दिखाई दे रहे हैं। वायरल हो रही वीडियो में वो कह रहे हैं कि, ‘आरएसएस से हम बाद में निपट लेंगे अभी मतदान तक सब कुछ सहना पड़ेगा।‘ ये वीडियो मध्य प्रदेश में कांग्रेस के उस वचन पत्र (घोषणा पत्र) के बाद आया है जिसमें सरकारी परिसरों में आरएसएस की शाखाओं पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी। साथ ही इस घोषणा पत्र में सरकारी अधिकारियों को शाखाओं मे जाने की छूट को निरस्त करने की भी बात कही गई थी।
कमलनाथ जी राहुल गांधी की पाठशाला में कौन सा पाठ पढ़ा रहें हैं और किसे निपटाने की बात कर रहें हैं? सुन लीजिये, देश की जनता लोकतांत्रिक तरीके से कांग्रेस को पहले ही ‘निपटा’ चुकी है। pic.twitter.com/PbqsdEsK3f
— BJP (@BJP4India) November 14, 2018
इससे पहले कांग्रेस कमेटी माइनॉरिटी विभाग के चेयरमैन नदीम जावेद द्वारा एक उर्दू अख़बार को दिए गए इंटरव्यू पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने तीखा हमला किया था। पात्रा ने जावेद के उर्दू अख़बार में दिए इंटरव्यू के आधार पर दावा किया था कि इसमें जावेद ने कांग्रेस को मुसलमानों की पार्टी बताया है। पात्रा ने कांगेस के एक और बड़े नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के एक बयान पर भी जवाब दिया था। उस समय खड़गे ने कहा था कि 2019 में मोदी जीत जाते हैं तो इससे सनातन धर्म मजबूत हो जाएगा। कांगेस के कई नेताओं ने तो बार-बार आरएसएस को खत्म करने की बाते कही तो इन्होंने ही हिंदू आतंकवाद शब्द भी गढ़ा। इनमें शशि थरूर के उस बयान का जिक्र होना भी जरूरी है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर 2019 में बीजेपी सरकार बनाती है तो भारत हिंदू पाकिस्तान बन जाएगा। इन सभी बयानों से कोई भी अंदाजा लगा सकता है कि जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ही खुलेआम मुस्लिम तुष्टिकरण की बात कर रहे हैं तो जमीनी स्तर पर कांग्रेस के कार्यकर्ता किस तरह तुष्टिकरण के एजेंडे पर काम करते होंगें ? लगता है 2019 के आम चुनावों में कांग्रेस को धार्मिक तुष्टिकरण से ही अपनी नांव को डूबने से बचाने का रास्ता दिख रहा है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी जहां आए दिन मंदिरों की धोक लगाकर हिंदू धर्म में आस्था दिखा रहे थे वो अब पार्टी की तुष्टिकरण की नीति की नजरों से देखें तो ढोंग ही लगता है। मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का जो वीडियो वायरल हुआ है उसमें वो धार्मिक तुष्टिकरण के साथ ही निपटाने की बात भी कहते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस वीडियो में एक बंद कमरा दिखाई दे रहा है जिसमें अधिकांश लोग मुस्लिम समुदाय के बैठे दिख रहे हैं। वीडियो में सामने बैठे कमलनाथ कह रहे हैं, “ संघ में दो ही पाठ पढ़ाए जाते हैं। अगर हिंदू को वोट देना है तो सच्चे हिंदू शेर मोदी को वोट दो और अगर मुसलमान को वोट देना है तो कांग्रेस को वोट दो। वे आपको उलझाने की कोशिश करेंगे लेकिन आपको सतर्क रहना पड़ेगा। हम इनसे बाद में निपट लेंगे लेकिन मतदान के दिन तक आपको सब कुछ सहना पड़़ेगा।“
इससे साफ़ है कि कांग्रेस सीधे-सीधे संघ का नाम लेकर अपना एजेंडा साध रही है। कमलनाथ का ये वायरल वीडियो भी इसी का एक हिस्सा है। जबकि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कहते रहे हैं कि कांग्रेस या और कोई भी दल देशहित की बात करे तो संघ उसका समर्थन करेगा। ये देखने में आया है कि संघ में कई ऐसे भी कार्यकर्ता हैं जो कांगेस का समर्थन करते हैं या कांग्रेस पार्टी में हैं। वहीं आरएसएस में राष्ट्रीय मुस्लिम मंच नाम से एक संगठन भी है जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हैं। ऐसे में कमलनाथ का ये बयान शत प्रतिशत तुष्टिकरण का एजेंडा साबित होता है। संघ का नाम लेकर तुष्टिकरण का एजेंडा चलाना कांग्रेस की पुरानी रीत रही हैं, लेकिन संघ के बारे में जो थोड़ी भी जानकारी रखता है वो कांग्रेस के इस एजेंडे को सिरे से नकार रहा है।
कमलनाथ की वायरल वीडियो पर बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा है कि राहुल गांधी समेत कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं के पास सिर्फ राष्ट्रवादी संगठनों को निशाना बनाने का काम ही रह गया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी राष्ट्रवाद की बात करती है, वो राष्ट्रवादी संगठनों को साथ लेकर चलती है जिससे पूरा देश एक सूत्र में आगे बढ़ रहा है। सिहं ने कहा, कांग्रेस ने हमेशा बांटो और राज करो के आधार पर देश में सत्ता हासिल की है। इसीलिए वो समय-समय पर संघ जैसे राष्ट्रवादी संगठनों पर हमला कर तुष्टिकरण की घटिया राजनीति करती रही है। राकेश की इस बात में कोई दो राय नजर नहीं आती। कांग्रेस आज भी अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति पर चलती हुई ही नजर आ रही है। भारत की आवाम कांग्रेस की इस तुष्टिकरण की नीति को कितना समझ पाएगी और मत के रूप में उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी ये तो चुनावी परिणामों से ही पता चल पाएगा।