कठुआ रेप मामला जो देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में खूब चर्चा में रहा था। एक ऐसा जघन्य अपराध जिसमें एक सात वर्षीय मासूम बच्ची से गैंगरेप किया और फिर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी थी। इस मामले में कुछ समाज के आत्मघोषित ठेकेदारों ने अपना एजेंडा साधने की पूरी कोशिश की थी। कुछ लोगों ने अपने फायदे के लिए इस पर खूब राजनीति की थी और कठुआ रेप पीड़िता के परिवार के नाम पर फंड भी जुटाए थे लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि फंड पीड़ित परिवार तक नहीं पहुंचा। अगर ये फंड पीड़िता के परिवार तक नहीं पहुंचा तो कहां गया? पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग करने वालों में से एक विवादित जेएनयू छात्र कार्यकर्ता शेहला राशिद और तालिब हुसैन भी शामिल थे जिन्होंने फंड जुटाने के लिए लोगों से मदद भी मांगी थी लेकिन जब उनसे ये सवाल किया गया कि पीड़िता के परिवार के लिए जुटाए गये पैसे कहां गये तो सवालों से परेशान होकर शेहला राशिद ने अपना ट्विटर अकाउंट ही बंद कर दिया।
बता दें कि Crowdnewsing कम्यूनिटी ने रेप पीड़िता के असली पिता औऱ गोद लेने वाले पिता, दोनों का ज्वाइंट खाता जे एंड के बैंक में खुलवाया था और इसी अकाउंट में जमा किये गये पैसे ट्रान्सफर किये गये थे लेकिन सवाल ये है कि इस बैंक खाते का पासबुक कहां हैं? यहां तक कि शेहला ने जो वीडियो शेयर किया है उसमें कहीं भी बैंक के पासबुक का जिक्र नहीं है। Crowdnewsing कम्य़ूनिटी के मुताबिक अप्रैल में ही दोनों परिवार के नए जॉइंट खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया गया था। हालांकि, जो वीडियो शेहला ने शेयर किया है उसमें कहीं भी बैंक पासबुक का जिक्र नहीं है। अगर रेप पीड़िता के परिवार वालों को पैसे मिले हैं और इस नए खाते में पैसे जमा किये गये हैं तो पासबुक कहां है?
कठुआ रेप केस का ट्रायल कारगिल से 530 किलोमीटर दूर पठानकोट में चल रही सुनवाई के लिए परिवार को लंबी दूरी तय कर जाना पड़ता है। पीड़िता के परिवार को कारगिल से पठानकोट के 530 किलोमीटर के लंबे रास्ते के दौरान खर्चे के लिए कई भेड़ और बकरियां बेचनी पड़ीं। अगर पीड़िता के परिजनों को पैसे मिले हैं तो क्यों वो अपनी भेड़ बकरियां बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं? इससे पहले ‘द ट्रिब्यून’ ने कठुआ रेप पीड़िता की माँ को उद्धृत करते हुए कहा,”वो तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता जो मेरी बेटी के साथ हुई क्रूरता और हत्या के बाद त्वरित न्याय की मांग करने में सबसे आगे थे वो अब अपना हित साधने के बाद से गायब हैं। पीड़िता की माँ ने आगे कहा, “उन लोगों मकसद सिर्फ इस मामले से अपना हित साधना था न कि मेरी बच्ची को न्याय दिलाना नहीं था। जिन्होंने ये जघन्य अपराध किया है हम चाहते हैं कि उन्हें सख्त से सख्त सजा दी जाए।” रेप पीड़िता के बायोलॉजिकल पिता ने कहा, कई लोगों उस घटना का फायदा उठाया और अब सभी नदारद हैं।”
‘द ट्रिब्यून’ के एक अन्य रिपोर्ट में पीड़िता के परिवार के एक सदस्य ने सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा पीड़िता के नाम पर जुटाए फंड के विवरण की मांग की है। पीड़िता के दादा ने कहा, “हमारे पास ये जानकारी है कि लोगों इस घटना के बारे बताकर लाखों रुपये जुटाए गये थे। उन्होंने आगे कहा, “जो लोग कल तक इंसाफ दिलाने की बात कर रहे थे आज वो हमारे फ़ोन कॉल्स भी नहीं उठा रहे हैं।”
ऐसा लगता है कि जमा किये गये पैसे समाज के आत्मघोषित ठेकेदारों द्वारा गबन किये गये हैं और इसकी पुष्टि खुद पीड़िता के परिवार वालों ने भी की है। अब जब शेहला राशिद से इस संबंध में सवाल किये जाने लगे तो उन्होंने बिना कोई सफाई दिए अपना ट्विटर अकाउंट ही बंद कर दिया लेकिन क्यों? क्या उनके एजेंडा का खुलासा होने के बाद उनके पास कोई जवाब नहीं है? अगर पैसे पीड़िता के परिजनों को मिले हैं तो उन्होंने इसपर स्पष्ट सबूतों के साथ कोई सफाई क्यों नहीं दी? आजकल वो जम्मू कश्मीर में ही हैं। ऐसे में खुद पीड़िता के परिजनों से मिलकर उनका हाला चाल ले सकती थीं और अपने दावों के लिए वो खुद उनके पास जाकर फंड की जमीनी हकीकत भी सामने रख सकती थीं लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया? वास्तव में सवालों से भागकर उन्होंने ये जरुर साबित कर दिया है कि पीड़िता के परिजनों के नाम पर जुटाए गये उनतक पहुंचे ही नहीं है। शायद इन लेफ्ट-लिबरल्स को लगा होगा कि ये मामला कुछ समय तक ही चर्चा में है तो इसका फायदा उठा लें।
चीख-चीख कर केंद्र सरकार और कानून पर निशाना साधने वाली लेफ्ट-लिबरल्स की गैंग अब चुप क्यों हैं? अब जवाब क्यों नहीं देते कि पीड़िता के परिवार के लिए जुटाया गया फंड कहां है? जवाब कहां से देंगे इन अवसरवादी कार्यकर्ताओं का चेहरा अब सबके सामने हैं तो ये अब मीडिया और सवालों से कन्नी काट रहे हैं लेकिन कब तक?