उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहबाद का नाम फिर से प्रयागराज कर दिया जिसके बाद से लेफ्ट-लिबरल गैंग चारों ओर से उनकी आलोचना करने लगे। लंबे समय से इलाहाबाद के नाम को फिर से प्रयागराज करने की मांग उठ रही थी आखिरकार काफी विरोध के बावजूद यूपी सरकार से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई जिसके बाद लोगों में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी जबकि कुछ लोग इसका विरोध करने लगे। परंपरागत तौर पर नदियों का मिलन बेहद पवित्र माना जाता है और इलाहबाद में तो गंगा, यमुना और सरस्वती का अद्भुत मिलन होता है। यहां प्रत्येक 12 वर्ष पर कुंभ मेला और छह वर्ष पर अर्ध कुंभ मेले का खास महत्व है। कुंभ को लेकर कई पौराणिक कथाएँ भी प्रचलित हैं। रामचरित मानस में इस शहर को प्रयागराज ही कहा गया है। हालांकि, सीएम योगी ने किसी भी तरह की आलोचना की परवाह न करते हुए अपने फैसले को नहीं बदला।
इतिहासकारों के मुताबिक, अकबर ने इस शहर का नाम प्रयागराज से बदलकर इलाहाबाद रखा था और यहां एक नया शहर बसाया था। अब सीएम योगी ने अतीत में आक्रमणकारियों द्वारा की गयी गलतियों को सुधारकर सभी को उनके मूल रूप से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि अर्ध कुंभ मेले से पहले ही उन्होंने एक बार फिर से इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर दिया है जिससे इस शहर की खोई हुई सांस्कृतिक और प्रशासनिक गरिमा फिर से स्थापित हो गयी है।
प्रयागराज के नाम पर जब कड़ी आलोचना विपक्षी नेता करने लगे तो उत्तर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने न्यूज एजेंसी भाषा को बताया कि अकबर ने करीब 400 साल पहले प्रयागराज का नाम बदल कर इलाहाबाद किया था। आज योगी सरकार ने भूल को सुधारने का काम ने किया है। उन्होंने ये भी कहा था कि “जिस मानसिकता से 15वीं शताब्दी में अकबर ने नाम परिवर्तित किया था, उसी मानसिकता के लोग आज इलाहाबाद का नाम प्रयागराज होने पर विरोध कर रहे हैं।” इस स्पष्टीकरण के बावजूद आलोचकों का मुंह बंद नहीं हो रहा था।
इसके बाद सीएम योगी ने रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान अपने जवाब से सभी आलोचकों का मुंह बंद कर दिया। योगी ने कहा,“लोगों का कहना है कि इलाहाबाद का नाम क्यों बदल दिया। नाम बदलने से क्या होता है? मैंने कहा- तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हारा नाम रावण या दुर्योधन क्यों नहीं रखा?” सीएम योगी यही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा, “नाम का बहुत अधिक महत्व होता है। इस देश में सबसे ज्यादा नाम राम से जुड़े होते हैं और मैं मानता हूं कि अनुसूचित समाज में सबसे ज्यादा नाम राम के साथ जुड़ा है। हर व्यक्ति अपने साथ राम जोड़ता है।” इसके बाद नाम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए योगी ने कहा, “नाम ही हम सबको हमारी गौरवमयी परंपरा के साथ जोड़ता है, तो इलाहाबाद का नाम प्रयागराज क्यों नहीं हो सकता है?”
इसके बाद योगी ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी सरकार को जो उचित लगा वही किया और अपना वादा पूरा किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज रखने को लेकर लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं, लेकिन हमें जनहित में जो सही लगा वही किया है।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का कहना भी सही है। लोग मुगलसराय रेलवे स्टेशन और इलाहाबाद का नाम बदले जाने पर चिल्ला रहे हैं, ये वही लोग हैं जिन्हें बॉम्बे से मुंबई और कोलकाता से कोलकाता नाम बदले जाने पर कोई परेशानी नहीं हुई थी। ऐसे में सवाल ये उठता है कि इलाहबाद का नाम बदले जाने की इतनी आलोचना क्यों हो रही है?