समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं मे गिने जाने वाले आजम खान मानों विवादित बोल बोलकर सुर्ख़ियों में आने की फिराक में रहते हैं। ऐसा ही कुछ उन्होंने एक बार फिर से किया है। संसद में तीन तलाक पर बहस के दौरान उन्होंने कहा कि मुसलमान सिर्फ कुरान को मानता है। उन्होंने कहा कि जो कुरान में कहा गया है, मुसलमान वही मानेगा और कोई कानून नहीं। उनके इस बयान के बाद राजनीति गरमा गई है।
दरअसल, आजम खान ने कहा, “जो मुसलमान हैं, जो कुरान को मानते हैं, वे जानते हैं कि तलाक का पूरा प्रोसीजर कुरान में दिया गया है। हमारे लिए उस प्रोसीजर के अलावा कोई कानून मान्य नहीं है। सिर्फ कुरान का कानून ही मुसलमानों के लिए मान्य है।”
अब ऐसे में सवाल उठते हैं कि आखिर किस मुंह से आजम खान जैसे लोग दूसरों को धार्मिक कट्टर कहते हैं। इन्हें अलग अदालत ‘शरिया अदालत’ चाहिए। ये अलग संविधान यानी कुरान को मानेंगे। ऐसे में सवाल उठने लाजमी हैं कि आखिर ये भारत जैसे विविधताओं वाले देश को अन्य धर्मों के लोगों की तरह कब स्वीकार करेंगे।
यही नहीं, वरिष्ठ सपा नेता ने कहा कि हमारे लिए सिर्फ कुरान का कानून है। उन्होंने कहा, “पूरी दुनिया में मुसलमानों के लिए सिर्फ और सिर्फ कुरान का कानून ही मान्य है। इसके अलावा मुसलमान कोई कानून नहीं मानता। ये हमारा मजहबी मामला है। मुसलमानों के लिए पर्सनल लॉ बोर्ड है। ये हमारा व्यक्तिगत मामला है कि मुसलमान कैसे शादी करेंगे? कैसे तलाक लेंगे?” आजम खान ने एक के बाद एक कुतर्क पेश किया। उन्होंन आगे ने कहा, “सरकार पहले उन महिलाओं को न्याय दिलाए जिन्हें उनके पतियों ने छोड़ दिया है। जो सड़कों पर घूम रही हैं। सरकार उन महिलाओं को न्याय दे जो गुजरात और अन्य जगह के दंगों की पीड़ित हैं।”
ऐसे में आजम खान को कौन समझाए कि ये कानून इसीलिए लाया जा रहा है ताकि आने वाले दिनों में किसी मुस्लिम महिला को इस तरह की समस्याओं से न गुजरना पड़े। दरअसल ऐसी बातें बोलने के पीछे उनका उद्देश्य इस विधेयक का मजाक उड़ाना था। राजनैतिक विरोधवश वह ऐसे विधेयक का विरोध कर रहे हैं। उन्हें डर है कि कहीं हमारे मुस्लिम वोटर्स में से महिलाओं का वोट बीजेपी को न चला जाए।
बता दें कि यह पहली बार नहीं है, जब आजम खान ने ऐसे कुतर्क या बेहूदे बोल बोले हैं। इससे पहले भी कई विवादित बयान दिए हैं, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को रावण भी कहा था। आजम रेप पीड़िता पर भी बेतुकी टिप्पणी कर चुके हैं। यही नहीं आजम खान ने रेप को फैशन बताने समेत कारगिल युद्ध में विजय हिंदू नहीं मुस्लिमों ने दिलाई थी,…जैसे बेतुके बयान तक दे चुके हैं।
वास्तविकता तो यह है कि आजम जैसे नेता ही मुसलमानों को अपना वोट-बैंक बनाकर रखना चाहते हैं। आजम जैसे नेता कभी नहीं चाहेंगे कि मुस्लिम महिलाएं धार्मिक रुढ़िवादी परंपराओं से निकल पाएं। ये लोग सदियों से महिलाओं का शोषण करते आ रहे हैं। जैसे ही मुस्लिम महिलाओं के हक की आवाज उठती है, इन्हें इस बात का डर सताने लगता है कि कहीं मुस्लिम औरतें आजाद न हो जाएं, कहीं औरते अपने निर्णय खुद न लेने लग जाएं, कहीं मुस्लिम महिलाएं सूझबूझ से निर्णय लेकर वोट न करने लगें, कहीं महिलाएं अपने हक की बात न करने लगें इसलिए जब-जब महिलाओं के हक़ की बात आती है, आजम जैसे लोग उसका विरोध करने लगते हैं, वो मुसलमानों और महिलाओं को कुरान की बात याद दिलाने लगते हैं। इनका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम महिलाओं को अपना वोटबैंक बनाकर रखना है।