मीडिया को सिर्फ हिंदू धर्म में टकराव नजर आता है और दूसरे समुदाय में कोई दरार नजर नहीं आती

बिहार

दलित युवक को घोड़ा चढ़ने पर दबंगों ने पीटा। दलित युवती को खुलेआम निर्वस्त्र करके घुमाया, जैसी हेडलाइन्स को तो मीडिया अक्सर तुल देती रहती है। कई बार ये खबरें या तो अफवाह होती हैं या फिर इनमें मिर्च-मसाला मिलाकर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया होता है। ऐसे खबरों को मीडिया सिर्फ टीआरपी बटोरने के लिए या हिंदुओं को बदनाम करने के लिए छापती है। ऐसी खबरों से मीडिया ये दिखाना चाहती है कि हिंदू धर्म में जाति प्रथा भरा है और एकता लेकिन इस बार भेदभाव व ऊंच-नीच की ऐसी ही एक खबर आई है लेकिन मीडिया आंख पर पंट्टी बांधे है। इसका कारण ये है कि ये खबर मुसलमानों के समुदाय से आई है।

आज तक की रिपोर्ट के अनुसार  बिहार के मुजफ्फरपुर का एक नया मामला सामने आया है। यहां एक सार्वजनिक सड़क पर दीवार खड़ी कर दी गई है। दीवार खड़ी करके इसे दो भागों में बांट दिया गया है। अब सड़क के एक ओर शेख समुदाय के लोग चलते हैं जबकि दूसरी ओर अंसारी समुदाय के लोगों का कब्जा है। दोनों में से कोई भी समुदाय दूसरे के हिस्से वाले सड़क पर पैर नहीं रख सकता हैं। अगर कोई एक समुदाय दूसरे समुदाय की सड़क पर कदम रखता है तो उसपर हमले किये जाते हैं। यहां तक कि अभिभावक डर के मारे अपने बच्चों को अकेले सड़क पर नहीं जाने देते। उन्हें डर रहता है कि कहीं गलती से उनका बच्चा दूसरे के हिस्से वाली सड़क पर न चला जाए। यही नहीं सड़क पर दीवार बन जाने के कारण इस रास्ते की चौड़ाई भी काफी कम हो चुकी है। जिस कारण यहां से कोई गाड़ी नहीं गुजर सकती है।

दरअसल, ये मामला बिहार के मुजफ्फरपुर के कांटी प्रखंड के पानापुर हवेली पंचायत के दामोदरीपुर टोला की है। इस विवाद की शुरूआत 17 नवम्बर को हुई। दरअसल, अंसारी समुदाय के एक शख्स की शादी थी। इस दौरान दोनों समुदायों के बीच जमकर मारपीट हुई। मारपीट का कारण अपने समुदाय को श्रेष्ठ और दूसरे को नीचा दिखाना था। ये मामला इतना बिगड़ा कि 18 नवम्बर को मोहल्ले की सड़क पर 300 फीट लंबी दीवार खड़ी कर दी गई।

गांव के नसीरूद्दीन अंसारी का कहना है कि शेख समुदाय के लोग हमारी बिरादरी के लोगों को नीचा दिखाने की कोशिश करते है इसी वजह से ये दीवार खड़ी की गई है। दीवार के उसपार अंसारी समुदाय के लोगों का कोई मतलब नहीं है। लोगों से बातचीत करने पर ये साफ़ हो गया कि मुस्लिम समुदाय के लोग अपने ही समुदाय में टकराव से बंट गये हैं वो एक दूसरे को देखना भी नहीं चाहते हैं।

आजतक की रिपोर्ट के अनुसार शेख बिरादरी के लोगों का कहना है कि ये जातीय रंग का मामला है। हम उनसे बड़े हैं। इस वजह से रास्ता बंद किया गया है। हालांकि शेख समुदाय के लोगों ने बताया कि रास्ता बंद होने के कारण वे नमाज पढ़ने मस्जिद तक नहीं पहुंच पाते हैं। शेख समुदाय के ही एक वरिष्ठ ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि, ये हमारे कौम और मजहब का मामला है। हमारे मजहब में अंसारी छोटे हैं लेकिन धीरे-धीरे अंसारी हमारे साथ उठने-बैठने और खाने-पीने लगे थे। इससे इस्लाम पर खतरा आने की संभावना है। दीवार बन जाने से हममें और उनमें एक निश्चित दूरी रहेगी तो ठीक रहेगा।

हालांकि गांव के ही कुछ पढ़े लिखे नवयुवकों का मानना है कि ऐसे मजहब को ही खत्म कर देना चाहिए। इस्लाम के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा है। इस्लाम के नाम पर लोगों को कभी काफिरों (हिंदुओं) को तो कभी अपने ही मजहब के लोगों को अछूत और छोटा घोषित करके मारने, कटने, लड़ने की बात कही जाएगी। लोगों को अछूत घोषित किया जा रहा है। हालांकि युवकों ने नाम न बताने का आग्रह किया है क्योंकि उनका कहना है कि पता चलने पर इस्लाम के कट्टर रक्षक हमें ही मरवा देंगे। ये शर्मनाक है कि मुख्यधारा की मीडिया और लेफ्ट-लिबरल गैंग को अब इस मामले से कोई मतलब नहीं है और न ही अब जातिवाद का राग अलाप रहे हैं।

दूसरी ओर बिहार के मुजफ्फरपुर के एक गांव में आपसी मतभेद और मारपीट के बाद दोनों पक्षों के लोगों ने पुलिस में मामला दर्ज कराया है। मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी मोहम्मद सोहेल इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। ऐसे में एक सवाल उठना चाहिए कि अब वो मीडिया कहां है जो हिंदुओं को बदनाम करने के लिए आए दिन तथ्यों को तोड़-मरोड़कर या अफवाहों वाली खबरों को दिखाती है। कहां है वह मीडिया, जो आए दिन सद्भावना और वसुधैव कुटुम्बकम सिखाने वाले सत्य सनातनी धर्म पर प्रहार करके हिंदुओं को आहत करती रहती है लेकिन अब समुदाय में में चल रहे तनाव को लेकर कोई भी रिपोर्ट दिखाने से बच रही है।

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