पश्चिम बंगाल में ममता को बड़ा झटका, हाई कोर्ट ने रथयात्रा को दी मंजूरी

पश्चिम बंगाल हाई कोर्ट रथ यात्रा

PC: India Today

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार को कलकत्ता हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कलकत्ता हाई कोर्ट की जस्टिस तपब्रत चक्रबर्ती की बेंच ने गुरुवार को अपने फैसले में भाजपा की प्रस्तावित रथयात्रा को मंजूरी दे दी। इससे पहले राज्य सरकार ने रथ यात्रा पर ये कहकर रोक लगा दी थी कि खुफीया रिपोर्ट के मुताबिक ये रथ यात्रा राज्य में सांप्रदायिक सद्भावना को बाधित करेगा। इसके बाद बीजेपी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अब हाई कोर्ट ने अनुमति भी दे दी है और राज्य सरकार को निर्देश भी दिए हैं कि वो इस यात्रा के दौरान कानून व्यवस्था का ध्यान रखेगी। इसके साथ ही कोर्ट ने ममता सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप सिर्फ एक काल्पनिक डर को आधार बनाकर किसी पार्टी के कार्यक्रम को कैसे रोक सकती हैं? ऐसे तो राज्य में कोई रैली और पार्टी के कार्यक्रम नहीं होने चाहिए।

हाई कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी ने खुशी जाहिर की है। बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, “हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। हमें न्यायपालिका पर भरोसा था कि हमें न्याय मिलेगा। ये निर्णय निरंकुशता के मुंह पर तमाचा है।“

बता दें कि पश्चिम बंगाल में रथ यात्रा के लिए बीजेपी ने राज्य सरकार से अनुमति मांगी थी। इसके जवाब में पश्चिम बंगाल सरकार ने एक पत्र लिखकर अपने जवाब में कहा था कि, वो पार्टी की प्रस्तावित यात्रा को अनुमति देने में असमर्थ हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष को लिखे पत्र में ममता सरकार सरकार ने खुफिया रिपोर्ट को आधार बनाते हुए कहा था कि रथ यात्रा से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है। इसलिए इस यात्रा को अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसके बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इस मामले को आड़े हाथों लिया और रथ यात्रा को मंजूरी दिलाने के लिए प्रयासों में जुट गये। बीजेपी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कोर्ट ने रथ यात्रा को मंजूरी दे दी जिससे बीजेपी खेमे में खुशी की लहर दौड़ गयी।  

कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद बीजेपी नेता अरुण जेटली ने पश्चिम बंगाल बीजेपी कार्यकर्ताओं को बधाई दी और मानवाधिकार के तथाकथित ठेकेदारों पर हमला बोला। उन्होंने कहा, “जब पश्चिम बंगाल में बीजेपी को उसके कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं दी गयी तो मानवाधिकार संगठनों से जुड़े लोग कहा थे? आखिर बंगाल सर्कार की कार्रवाई पर ये चुप्प क्यों थे? “जेटली यही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा, “यदि ऐसा कुछ एनडीए या बीजेपी सरकार विपक्ष के कार्यक्रमों पर बंदिश लगाती तो सभी इसे ‘अघोषित इमरजेंसी’ का नाम देने के लिए उठ खड़े होते।”

वास्तव में ये मानवाधिकार के तथाकथित ठेकेदारों को सिर्फ बीजेपी सरकार द्वारा लिए गये फैसले गलत नजर आते हैं और जब वास्तव में लोकतंत्र पर प्रहार होता है तो लेफ्ट लिबरल गैंग भी चुप्पी साधे बैठा रहता है। लोकतंत्र की बुनियाद को मजबूत रखने के लिए संविधान और भारत के कानून की सीमा में अपनी बात कहने का अधिकार सभी को है चाहे वो किसी भी वर्ग से जाति समुदाय से हो या पार्टी से हो। अगर कोई भी किसी के अधिकारों पर हमला करे तो वो लोकतंत्र पर खतरे का प्रमाण है। ऐसे में सिर्फ इसलिए कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी अपनी पकड़ मजबूत न कर पाए ममता सरकार ने पार्टी के कार्यक्रम को अनुमति नहीं दी तो क्या ये ‘अघोषित इमरजेंसी’ नहीं है? आप खुद विचार करिए।

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