आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एक विवादित बयान देकर हलचल मचा दी है। चंद्रबाबू नायडू ने आंध्रप्रदेश की जनता से 2 या उससे अधिक बच्चे पैदा करने को कहा है। उनका मानना है कि, जितने अधिक बच्चे रहेंगे, उतने ही अधिक कमाने वाले हाथ रहेंगे। दरअसल, मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने सूबे के युवा दंपतियों से दो या दो से अधिक बच्चे पैदा करने की अपील की है। यही नहीं, नायडू ने दो या दो से अधिक बच्चे पैदा करने की इच्छुक दंपती को इन्सेंटिव तक देने की घोषणा भी कर दी है।
नायडू ने उन नियमों को भी खत्म कर दिया है, जिसके तहत दो या उससे अधिक बच्चों वाले उम्मीदवार को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं थी। यह घोषणा करते हुए नायडू ने सूबे की आबादी के कम होने की बात कह चिंता भी जाहिर की। अपनी इस घोषणा के तर्क में नायडू का कहना है कि, पिछले 10 वर्षों में राज्य की जनसंख्या वृद्दी में 1.6 फीसदी की गिरावट सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नायडू ने अधिक से अधिक बच्चों को पैदा करने की वकालत करने के साथ कहा कि, जनसंख्या वृद्धि दर को बरकरार रखने के लिए यह उचित समय है।
नायडू ने कहा कि, अगर यही स्थिति रही तो आने वाले दो दशकों में खाने वाले मुंह अधिक होंगे और काम करने वाले हाथ कम। इस दौरान नायडू ने इसका भी जिक्र किया कि, आंध्र प्रदेश की कुल आबादी का 50 फीसदी हिस्सा जवान है। साथ ही कहा कि, सूबे को जवान बनाए रखने के लिए यह कदम उठाए जाना जरूरी है। सीएम ने यह भी कहा कि, सूबे में शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। उन्होंने बताया कि, 2014 में 37 (प्रति 1000) से अब यह 10.51 (प्रति 1000) पर है। वर्ष 2001 के जनगणना के मुताबिक 8.46 करोड़ आबादी के साथ आंध्र प्रदेश देश (तेलंगाना के अलग होने से पहले) में 10वां सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य था।
इस तरह से नायडू ने एक से बढ़कर एक कुतर्क और बेहूदे बयानों के जरिए खुद को जस्टीफाई किया। नायडू के इस बयान से समझा जा सकता है कि, नायडू कितने गैर जिम्मेदार स्वभाव के नेता हैं। ऐसे तर्क देते हुए शायद उन्हें इस बात का आभास नहीं हुआ कि, जनसंख्या भले बढ़ेगी लेकिन प्राकृतिक संसाधन तो स्थिर ही रहेंगे। ऐसे में राज्य में बेरोजगारी बढ़ेगी, गरीबी बढ़ेगी और अपराध बढ़ेंगे। उनके इस बयान के बाद लोगों की प्रतिक्रियाएं आने लगीं। लोगों का कहना है कि नायडू को ऐसा नहीं कहना चाहिए था क्योंकि जरूरी नहीं है कि, हमेशा चंद्रबाबू नायडू ही सीएम रहेंगे। कल कोई दूसरा सीएम आएगा और अगर उसने इन्टेन्सिव देना बंद कर दिया तो फिर क्या होगा। अगर उसने चुनाव लड़ने के लिए 1 बच्चे की बाध्यता कर दी तो फिर क्या होगा। लोगों की ऐसी तमाम प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं।
बता दें कि, नायडू का यह बेतुका बयान ऐसे समय में आया है, जब देश ही नहीं, पूरी दुनिया जनसंख्या वृद्दी से परेशान है। पूरी दुनिया जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रयासरत है। भारत सरकार ने भी बढ़ती जनसंख्या, गरीबी उन्मूलन, बेरोजगारी और अपराध जैसी समस्याओं से निपटने के लिए तमाम उपायों में से एक जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन पर जोर दिया है। ऐसा लगता है कि, नायडू ने अपनी व्यक्तिगत राजनैतिक रोटी सेंकने के लिए यह बयान दिया है। 2019 के आम चुनावों में बहुत कम समय बचा है। ऐसे में राजनेता तुष्टिकरण की राजनीति के किसी भी प्रयास से नहीं चूक रहे।