कर्जमाफी का ढिंढोरा पीटकर तीन राज्यों में सत्ता में आई कांग्रेस के पास अब जनता का ध्यान मुद्दे से भटकाने के लिए कुछ नहीं मिला तो वो उत्तर प्रदेश में किसानों की कर्जमाफी पर सवाल उठाने लगी है। कांग्रेस यूपी में योगी सरकार में किसानों की कर्ज माफी को झूठा साबित करने के लिए सिर पीट रही है और कर्नाटक में कर्ज माफी का ढिंढोरा पीट रही है ऐसा करने के लिए कांग्रेस जनता के सामने कर्नाटक और यूपी में माफ किए गए कर्ज के पीछे के तथ्यों को नहीं रख रही रही है। यहां हम आपको तथ्यों के माध्यम से पूरी स्थिति समझाने जा रहे हैं…
बता दें कि यूपी में योगी आदित्यनाथ ने सूबे की सत्ता संभालते ही राज्य में छोटे व सीमांत किसानों के अधिकतम 1 लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने की घोषणा की थी। इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने बैंको से उन सभी किसानों की सूची मांगी थी। बैंकों द्वारा जारी की गई सूची में लगभग 66% रुपये कर्ज के रुप में माफ कर दिए गए। जबकि सरकार द्वारा पास किए गए 34% की राशि अभी खर्च होनी बाकी है जो ये बताने को पर्याप्त है कि बैंको ने योगी सरकार के पास फर्जी सूची भेजी थी। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश के सभी किसानों के कर्जमाफ कर दिए गए। जबकि किसानों के लिए पास की गई राशि अभी पूरी तरह से खर्च भी नहीं हो पाई है। बता दें कि किसानों के कर्ज माफ करने की तारीख तारीख 1 जनवरी 2019 को समाप्त हो जाएगी।
बता दें कि सरकार के निर्देश के बाद बैंकों ने जो सूची सरकार को दी थी, उसमें कुल 44 लाख किसान शामिल थे। इसके लिए सरकार ने कुल 36 हजार करोड़ रुपये जारी किए थे लेकिन कैबिनेट द्वारा लिए गए फैसले के तहत आने वाले सभी किसानों के कर्ज माफ किए जाने के बावजूद सरकार द्वारा किसानों के नाम पर जारी की गई राशि की भारी मात्रा अभी भी खर्च नहीं हो पाई है। सरकार के कोश से मात्र 24 हजार करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए हैं जबकि किसानों को कर्ज से छूट देने वाली ये योजना की खत्म होने की तारीख नजदीक है। ऐसे में अगर इस योजना की समय सीमा बढाई जाती है तो किसानों को इसका लाभ 31 मार्च 2019 तक मिल सकेगा।
अब आइए हम बात करते हैं कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक में किसानों की कर्जमाफी की। कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने वोट लेने के लिए किसानों के कर्ज माफ करने की घोषणा जोर-शोर से किया था लेकिन सरकार बनने के बाद भी किसानों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होने लगे। इसे लेकर कांग्रेस सरकार की काफी फजीहत भी हुई थी। हर तरफ से आलोचना होने के बाद कर्नाटक सरकार ने स्वीकार किया कि अब तक कर्जमाफी का लाभ बहुत कम ही किसानों को मिल सका। हालांकि, घोषणा पत्र और चुनाव से पूर्व रैलियों में कांग्रेस ने खुद ही इस बात का वादा किया था कि वो कार्यभार संभालने के 24 घंटों के भीतर ही किसानों की कर्जमाफ कर देंगे। सरकार ने खुद ही माना कि 44 हजार करोड़ रुपये की फसल कर्जमाफी का कुछ ही किसानों को लाभ मिल पाया है। इस योजना का लाभ सिर्फ 800 किसानों को मिल सका है। राज्य के बेलगावी जिले में ही 160 किसानों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किये गये हैं जबकि 62 किसानों के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी हुए हैं। जिस कर्ज माफ़ी का कांग्रेस दम भर रही थी उस दिशा में अभी तक कार्य पूरा हुआ ही नहीं है या यूं कहें हुआ भी तो उसका डाटा इतना कम है कि वो कर्ज माफ़ी के वादे का मजाक उड़ाता है। कर्ज माफ़ी के ऐलान के बाद भी राज्य के बेलगावी जिले में ही 160 किसानों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए थे जबकि 62 किसानों के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी हुए थे।
वास्तव में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस अब किसानों के साथ ऐसा छल कर रही है, जो किसानों को बेहद निराश करने वाली स्थिति है। इसके बावजूद जब कांग्रेस बीजेपी पर कर्जमाफी को लेकर जुबानी जंग करने से पहले उसे आंकड़े देख लेने चाहिए। उसे किसानों के साथ किए गए धोखे का आभास होना चाहिए। यूपीए के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने ऐसा ही कुछ साल 2008-09 में ऐसा ही कुछ किया था। किसानों की कर्ज माफ़ी की घोषणा तो की थी लेकिन इसका लाभ उन किसानों को लाभ पहुंचाया था जो लाभार्थी की श्रेणी में नहीं थे और कुछ तो किसान ही नहीं थे। अब कर्नाटक में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। यूपी में जबकि अपने वादों को पूरा करते हुए बीजेपी नेतृत्व वाली योगी सरकार ने किसानों के कर्ज माफ़ कर दिए और जो किसान अभी भी इस योजना का लाभ नहीं ले सकें हैं उन तक योजना के लाभ को पहुँचाने का प्रयास जारी है।