यह मोदी सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि गंगा पहले से कहीं ज्यादा साफ है

गंगा नदी मोदी

PC: Namami gange

केन्द्र की मोदी सरकार की गंगा की सफाई के प्रति प्रतिबद्धता के कारण ही अब ‘नमामि गंगे परियोजना’ सफल होती दिख रही है। एक सर्वे में इसके बारे में बताया गया है। दरअसल, अलग-अलग संस्थाओं और वैज्ञानिक इन्स्टीट्यूट्स के कई विशेषज्ञों ने गंगा नदी में से 6 स्थानों, गंगा बैराज, भैरोघाट, परमट, शुक्लागंज, जम्मू और वाजिदपुर से लगभग 20 सैंपल एकत्र किए। उस पर शोध करने के बाद विशेषज्ञों ने बताया कि गंगा के पानी की शुद्धता में तेजी से सुधार हुए हैं। यही नहीं, विशेषज्ञों ने बताया कि गंगा के पानी में सफाई होने के साथ-साथ उसमें घुली ऑक्सीजन की मात्रा में भी तेजी के साथ सुधार हुए हैं। पानी के साफ होने और ऑक्सीजन की मात्रा में सुधार होने के कारण उनमें जलीय जीव-जंतु व पौधों में भी सुधार हुआ है। जो की गंगा या फिर किसी भी नदी के लिए बहुत जरूरी हैं।   

विशेषज्ञों ने बताया कि केवल गंगा के पानी और उसमें घुली ऑक्सीजन की मात्रा में ही सुधार नहीं हुआ है बल्कि पानी के पीएच (pH) मान में भी तेजी से सुधार हुआ है। लेबोरेटरी की रिपोर्ट में पता चला है कि घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा 2.5 मिलीलीटर/लीटर जबकि पीएच का मान 8.5 मिलीलीटर/लीटर है। शोध के बाद आए परिणाम हमें काफी प्रोत्साहित करते हैं। इस प्रोजेक्ट में शामिल वरिष्ठ प्रोफेसर, प्रवीण भाई पटेल ने कहा,“शोध के बाद आए नतीजे हमारे लिए काफी उत्साहजनक हैं। ये नतीजे जलीय जीवन के लिए भी बहुत सकारात्मक हैं।”

बता दें कि पिछले 10 सालों से गंगा के पीएच का मान 6 से भी नीचे था। इस बार पीएच के मान में सुधार (8.5) अपने आप में बेहद चौंकाने वाला और सकारात्मक है। वहीं दूसरी ओर गंगा के पानी में घुली ऑक्सीजन की मात्रा की बात करें ये 3.5 से 4 के बीच हुआ करती थी।

वहीं यूपी पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कुलदीप मिश्रा ने गंगा की सफाई के कारण बताते हुए कहा, “गंगा नदी के पानी में सुधार का कारण सीवर के पानी को जाने से रोकना है। इससे ऑक्सीजन की मात्रा में गिरावट में तेजी से कमी आई। इस वजह से इस समय गंगा नदी का पानी जलीय जीवों के लिए बेहतरीन है। उन्होंने बताया कि आदर्श स्थिति में पानी में पीएच मान 6.5 से 8.5 मीली प्रति लीटर और ऑक्सीजन की मात्रा 3 से नीचे होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि अगर ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है तो जलीय जीव-जंतु उसमें जीवित रह सकेंगे लेकिन यह पानी मनुष्यों के लिए पीने योग्य नहीं होगा।”

विशेषज्ञों का मानना है कि गंगा के पानी में सुधार का के पीछे कोई बड़ा कारण नहीं है बल्कि बड़े-बड़े नालों और शीवरों के पानी को गंगा में गिरने से रोका जाना है। इसका नतीजा ये हुआ कि गंगा के पानी में ऑक्सीजन और पीएच का मान संतुलित होने लगा।

ऐसे में गंगा के पानी में सुधार के पीछ सरकार की नमामि गंगा नदी की योजना मानी जा रही है। ये मोदी सरकार के लिए भी बड़ी सफलता है क्योंकि मोदी सरकार गंगा सफाई के लिए प्रतिबद्ध थी। गंगा सफाई का मुद्दा 2014 चुनाव में अहम था लेकिन गंगा की सफाई अपने आप में बहुत जटिल था। ये इतना आसान नहीं था, जितना दिख रहा है। इसे लेकर केंद्र सरकार नमामि गंगे योजना से जुड़े अधिकारियों पर भी लगातार दबाव बना रही थी। ऐसे में गंगा की सफाई में हुए इस सुधार से केंद्र सरकार के साथ-साथ गंगा सफाई के लिए जी जान से जुड़े अधिकारियों की भी जीत है। नमामि गंगे योजना में मिली ये सफलता पूरे देश के लिए सकारात्मक संदेश है। 

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