बीजेपी द्वारा गोरधन झड़फिया को उत्तर प्रदेश का प्रभारी नियुक्त करने के ये हैं बड़े मायने

गोरधन झड़फिया उत्तर प्रदेश

PC:The Indian Express

लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है। ऐसे में हर दल चुनावों की तैयारियों में लग गए हैं। अब हर बड़े दल की निगाहें देश की सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश पर टिकी है। इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी ने अबकी बार गुजरात के गोरधन झड़फिया को उत्तर प्रदेश का नया प्रभारी नियुक्त किया है। गोरधन झड़फिया का उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाए जाना यूपी में ही नहीं, पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। झड़फिया के यूपी प्रभारी बनाए जाने पर चर्चाएं होना लाजमी है। इसके कई कारण हैं। यहां हम बताने जा रहे हैं कि आखिर झड़फिया को लेकर इतने चर्चे क्यों हैं…

दरअसल, सबसे बड़ी बात ये है कि, जनसंख्या और सीटों की संख्या के नजरिए से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। ऐसे में यह माना जाता है कि, दिल्ली का रास्ता यूपी से ही होकर गुजरता है। इसके अलावा झड़फिया को यूपी का प्रभारी बनाए जाने के पीछे जातीय समीकरण भी साधने की कोशिश की गई है। इसका कारण ये है कि, गोरधन झड़ाफिया पटेलों के नेता रहे हैं। वो कुर्मी जाति से ताल्लुक रखते हैं। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में कुर्मी वोटर्स की संख्या भी अच्छी खासी है। राज्य की कई लोकसभा सीटों पर कुर्मी वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते हैं। वहीं दूसरी ओर झड़पिया को एक अच्छा संगठनकर्ता माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि हार्दिक पटेल के मामले में झड़फिया ने सरकार की तरफ से अहम भूमिका निभाई थी। यही नहीं, झड़फिया विश्व हिंदू परिषद में प्रवीण तोगड़िया के काफी करीबी भी रह चुके हैं। अब आइए समझते है कि, गोरधन झड़फिया और कैसे यूपी में अहम भूमिका निभाएंगे…

इसके लिए सबसे पहले हमें उत्तर प्रदेश का जातीय समीकरण समझना पड़ेगा। यूपी के पूर्वांचल और सेंट्रल यूपी की करीब 32 विधानसभा और 8 लोकसभा सीटों पर कुर्मी, पटेल, वर्मा और कटियार मतदाता चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। जिसमें से यूपी में कुर्मी मतदाताओं की कुल जनसंख्या 5 फीसदी है। कुर्मी समुदाय के लोग खुद को पटेल ही लिखते हैं। ये लोग सरदार पटेल का काफी सम्मान भी करते हैं।

यहीं नहीं, यूपी में 75 में से लगभग 23 जिले कुर्मी बाहुल्य माने जाते हैं। उनमें से कुर्मियों का यूपी की 32 विधानसभा और 8 लोकसभा सीटों पर अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है। वहीं पूर्वांचल में लगभग 16 जिले ऐसे हैं, जहां 8 से 12 फीसदी कुर्मी हैं। यही कारण है कि, यहां की कई सीटों पर कुर्मी निर्णायक स्थिति में होते हैं। यही नहीं, पूर्वांचल के अधिकतर विधानसभा क्षेत्रों में कुर्मी मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। ऐसे में झड़पिया को यूपी की कमान सौंपना फायदेमंद साबित होगा। यही कारण है कि, झड़पिया को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया जाना पूरे देश के लिए शुर्खियां बना हुआ है।

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