तीन बड़े राज्यों के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद बड़ी जद्दोजहद करके आखिरकार कांग्रेस ने सीएम चेहरों का ऐलान किया और आज ये मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले रहे हैं। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल, मध्यप्रदेश में कमलनाथ और राजस्थान में अशोक गहलोत को सीएम बनाया है। खास बात यह हैं कि, ये तीनों नेता ही दागी हैं। आइए जानते हैं कि, किस तरह कांग्रेस द्वारा तय किये गए इन तीनों मुख्यमंत्रियों का अतीत दागदार रहा है।
मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ की बात करें तो इन पर गुरुद्वारा रकाबगंज में दो सिखों को जिंदा जलाने वाली भीड़ का हिस्सा होने का आरोप हैं। 1984 में हुए सिख नरसंहार में कमलनाथ का नाम बार-बार उछलता रहा है। मनोज मित्ता ने अपनी किताब ‘When a Tree Shook Delhi’ में गुरुद्वारा रकाबगंज हुई घटना के बारे में जिक्र करते हुए कमलनाथ की भूमिका के बारे में भी जिक्र किया था। उन्होंने उस वक्त की घटना के बारे में कहा है कि, “जब सिख विरोधी दंगों में सिखों को मारा जा रहा था तब सभी सिख अपनी जान बचाने के लिए गुरुद्वारा रकाबगंज में जाकर छुपने लगे थे। तब चार हजार दंगाईयों की भीड़ ने गुरूद्वारे को चारों तरफ से घेर लिया और दो सिखों को जिंदा जला दिया गया। ये दोनों पिता-पुत्र थे। उस दौरान घटनास्थल पर कई कांग्रेसी नेताओं की उपस्थिति ने कई सवाल खड़े किये थे। उन नेताओं में से एक कमल नाथ भी थे जो गुरुद्वारा रकाबगंज के सामने पर 2 घंटे तक रहे थे। एक प्रत्यक्षदर्शी जिसका नाम सूरी था उसने कमलनाथ को पहचाना था और कहा था कि इसी व्यक्ति ने भीड़ का नेतृत्व किया था।” इसके बावजूद भी कांग्रेस द्वारा कमलनाथ को मुख्यमंत्री का पद देना एक बार फिर से यह बताता है कि, कांग्रेस सिख विरोधी पार्टी है। चुनाव प्रचार के समय भी हिंदू-मुस्लिम की राजनीति करते हुए कमलनाथ के वीडियो वायरल हुई थे। एक वीडियो में तो वे राज्य के सरकारी कर्मचारियों को भी धमकाते दिखे थे। इसमें वे कांग्रेस की जीत के बाद कर्मचारियों को कोपभाजन बनने के लिए तैयार रहने की धमकी दे रहे थे। एक रैली में उन्होंने कहा था कि, “कमलनाथ की चक्की चलती है देर से, पर बहुत बारीक पीसती है।” इसके अलावा उनका नाम नीरा राडिया टेप्स में भी आ चुका है, और यहां तक कि विकीलीक्स की एक रिलीज में भी उनका नाम आया था।
आइए अब छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बात करते हैं। बता दें कि, भूपेश बघेल अभी दो महीने पहले ही 14 दिन की जेल काट कर आए हैं। बघेल सेक्स सीडी कांड में आरोपी हैं। बघेल को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने जेल भेजने का आदेश सुनाया था। सेक्स सीडी कांड में बघेल पर 120 बी, 469, 471 और आईटी एक्ट 67 ए धाराएं लगी थीं। इसके अलावा बघेल पर ब्लेकमेलिंग और संपत्ति में हैर-फैर के भी आरोप लगते रहे हैं। अक्टूबर में ही भूपेश बघेल एक नए विवाद में पड़ गए थे। एक सभा के दौरान भूपेश बघेल बीजेपी पर निशाना साध रहे थे लेकिन उनके मुंह से लड़कियों के लिए आपत्तिजनक शब्द निकल गए। जिससे सभा में उपस्थित महिलाएं बीच कार्यक्रम में ही उठकर चली गईं थीं। साथ ही बता दें कि, बघेल पर रायपुर न्यायालय में बलवा व शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने का मामला भी विचाराधीन है।
राजस्थान की बात करें तो यहां कांग्रेस ने अशोक गहलोत को सीएम पद दिया है। अशोक गहलोत पर उनके पिछले कार्यकाल के दौरान काफी आरोप लगे थे। गहलोत पर अपने बेटे को अवैध रूप से मदद पहुंचाने के आरोप भी लगते रहे हैं। दरअसल, जयपुर की ओम मेटल्स को गहलोत सरकार ने 457 करोड़ रूपए का ठेका दिया था। इसमें कालीसिंध नदी पर बांध बनाना था। उस समय ओम मेटल्स में वैभव लीगल कंसलटेंट के रूप में कार्यरत थे। ऐसा कहा जाता है कि, कम्पनी को यह ठेका केवल गहलोत के प्रभाव के कारण मिला था। खबरों के अनुसार गहलोत पर अपने चेहतों को खानें यानी कि माइन्स बांटने के भी आरोप लगे हैं। गहलोत की बहन के रिश्तेदारों को फर्जीवाड़ा कर खानें आवंटित की गई थीं, ऐसा भी सुनने में आया है। इसके अलावा राज्य में कांग्रेस सरकार के रहते हुए 108 एंबुलेंस घोटाले में भी गहलोत का नाम सुर्खियों में था। उस समय कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज हुई थी जिसमें अशोक गहलोत का भी नाम था।
अब सवाल यह है कि, जब जनता आपको चुनती है तब पार्टी को ये चाहिए कि, वो सबसे अच्छे और इमानदार नेताओँ को ही कमान सौंपें। परंतु कांग्रेस के निर्णय से तो ऐसा लगता है जैसे भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता के उनके पुराने शौक अभी तक छूटे नहीं हैं।