मध्य प्रदेश के विधान सभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और कांग्रेस ने निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाने की पूरी तैयारी भी कर ली है लेकिन प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा इसपर पेंच फंसा हुआ था। खबरों कि मानें तो, कमलनाथ को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर दी गयी है। इस खबर के वायरल होने के बाद से कमलनाथ के नाम पर ट्विटर पर कई विरोधी ट्वीटस आने लगे जिसमें कांग्रेस के इस कथित फैसले की चारों तरफ से आलोचना की जाने लगी। कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने पर दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता तेजिंदर सिंह बग्गा ने गुस्से में ट्वीट कर कहा कि, “सुना है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 84 में हुए सिख नरसंहार के हत्यारे कमलनाथ को बतौर सीएम नियुक्त करने की घोषणा कर दी है। ये वही शख्स हैं, जिन्होंने गुरुद्वारा रकाबगंज (हिंद दी चादर गुरु तेग बहादुर जी का दाह संस्कार स्थल) में तब आग लगा दी थी। ये चीज एक बार फिर से दर्शाती है कि कांग्रेस सिख विरोधी पार्टी है।” इसके अलावा कपिल मिश्रा ने भी कांग्रेस के इस फैसले की आलोचना की यहां तक कि कई यूजर्स ने तो कांग्रेस को ‘सिख विरोधी पार्टी तक कह दिया।
Heard @RahulGandhi planning to appointment 84 Sikh Massacre Murdrer Kamalnath as CM. He is the same person who Burned Gurudwara Rakbaganj ( Hind di Chadar Guru Teg Bhadur ji cremation place) . It exposing Congress Anti Sikh face once again
— Tajinder Bagga (Modi Ka Parivar) (@TajinderBagga) December 12, 2018
Whn Rahul Gandhi appointed 1984 Sikh Massacre Murdrer Kamal nath as incharge of Punjab assembly election, @capt_amarinder protested till his removal. If RaGa still appoint Sikh Murderer Kamalnath as CM, Captain sahab should protest & Resign from Congress
— Tajinder Bagga (Modi Ka Parivar) (@TajinderBagga) December 13, 2018
Dilemma deepens for Congress brass in MP, as KamalNath surges ahead in the race of CM post in MP, Sikh groups, social media is uneasy, they are questioning Rahul Gandhi on KamalNath's suitability, asking 'how can riot tainted Nath be CM?’| Govind with details #RahulLeadershipTest pic.twitter.com/DsychrT2MR
— TIMES NOW (@TimesNow) December 13, 2018
अचानक से कमलनाथ मध्य प्रदेश की राजनीति में सबसे चर्चित चेहरा कैसे बन गये? अब कांग्रेस उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा करती भी दिख रही है। बता दें कि, कमलनाथ मूल रूप से मध्य प्रदेश से नहीं हैं। दरअसल, कमलनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था। कमलनाथ मूलतः पश्चिम बंगाल से हैं और उनका कार्यक्षेत्र मध्य प्रदेश का छिंदवाड़ा है। साल 1980 में सिर्फ 34 साल की उम्र में वो 7वीं लोकसभा के लिए संसद सदस्य चुने गये थे ये वो समय था जब वो मध्य प्रदेश की राजनीति में मजबूती से उभरे थे। राजनीति के क्षेत्र में गांधी परिवार से उनका रिश्ता काफी पुराना है। संजय गांधी और कमलनाथ के बीच काफी अच्छी मित्रता थी और उनके किससे आज भी कभी कभार राजनीतिक गलियारों में सुनने को मिल जाते हैं। यही नहीं इंदिरा गांधी ने तो उन्हें अपना तीसरा बेटा तक कहा था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जो सिख दंगे हुए थे उसमें किसी न किसी तरह से कांग्रेस नेताओं का हाथ शामिल था और उन नेताओं में से एक कमलनाथ भी थे। उस दंगे में एक सिख परिवार के पिता और बेटे को जिंदा जलाया गया था। सूरी नाम के एक प्रत्यक्षदर्शी ने कमीशन को बताया था कि उस दंगे का नेतृत्व कमल नाथ कर रहे थे।
मनोज मित्ता ने अपनी किताब ‘When a Tree Shook Delhi’ में गुरुद्वारा रकाबगंज हुई घटना के बारे में जिक्र करते हुए कमलनाथ की भूमिका के बारे में भी जिक्र किया था। उन्होंने उस वक्त की घटना के बारे में कहा है कि, “जब सिख विरोधी दंगों में सिखों को मारा जा रहा था तब सभी सिख अपनी जान बचाने के लिए गुरुद्वारा रकाबगंज में जाकर छुपने लगे थे। तब चार हजार दंगाईयों की भीड़ ने गुरूद्वारे को चारों तरफ से घेर लिया और दो सिखों को जिंदा जला दिया गया। ये दोनों पिता-पुत्र थे। उस दौरान घटनास्थल पर कई कांग्रेसी नेताओं की उपस्थिति ने कई सवाल खड़े किये थे। उन नेताओं में से एक कमल नाथ भी थे जो गुरुद्वारा रकाबगंज के सामने पर 2 घंटे तक रहे थे। एक प्रत्यक्षदर्शी जिसका नाम सूरी था उसने कमलनाथ को पहचाना था और कहा था कि इसी व्यक्ति ने भीड़ का नेतृत्व किया था।”
गुरुद्वारा रकाबगंज तीन मूर्ति भवन के पास है जहां इंदिरा गांधी के शव को दर्शन के लिए रखा गया था। जब दंगाइयों ने गुरूद्वारे पर हमला किया था तब वो यही नारा लगा रहे थे, “खून का बदला खून” से लेंगे। जब उन्हें पता चला की गुरुद्वारे में भारी संख्या में सिख छुपे हुए हैं तो एक बड़ी भीड़ ने दो सिखों को मार डाला था। यहां कमल नाथ की उपस्थिति और उनकी भूमिका चौंकाने वाली थी। सूरी के अलावा कमल नाथ की उपस्तिथि की पुष्टि दो वरिष्ठ अधिकारियों, आयुक्त सुभाष टंडन और अतिरिक्त आयुक्त गौतम कौल और एक स्वतंत्र स्रोत, द इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्टर भी की गई थी।
संजय सूरी ने अपनी एक किताब 1984: The Anti-Sikh Violence and After में भी कमलनाथ की उपस्थिति का जिक्र किया है । कमल नाथ की उपस्थिति की पुष्टि भी हो गयी लेकिन फिर भी कमल नाथ को उनके किये की सजा नहीं मिली। आज भी सिख दंगे से पीड़ितों का कहना है कि कमल नाथ को उनके किये की सजा नहीं मिली है। साल 2016 में कमलनाथ को जब पंजाब का पार्टी प्रभारी बनाकर कांग्रेस ने सिखों के ज़ख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया था। उस समय कांग्रेस को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। इसके बाद कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा था।
कमलनाथ को मध्य प्रदेश का पार्टी अध्यक्ष बनाया गया था उसके बाद राज्यसभा सांसद जी़ वी़ एल़ नरसिम्हा राव ने कहा था कि यूपीए के शासन काल में कमल नाथ पहले वाणिज्य एवं उद्योग तथा बाद में सड़क परिवहन मंत्री थे। इन दोनों ही कार्यकाल के दौरान कमलनाथ ने जमकर भ्रष्टाचार किया था और इस दौरान उन्हें पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी का संरक्षण मिलता रहा। साल 2009 में तत्कालीन वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने संसद में ये स्वीकार भी किया था कि चावल निर्यात में घोटाला हुआ है और इसमें जमकर कमीशनबाजी हुई है लेकिन राहुल गांधी के इशारे पर सीबीआई जांच नहीं हुई थी। नीरा राडिया टेप से भी कमलनाथ की कमीशनखोरी उजागर हुई थी। इस टेप में उन्हें मिस्टर 15 परसेंट कहकर संबोधित किया गया था। इसके अलावा कमलनाथ पर ‘मुस्लिमों को जोड़ो और हिंदुओं को तोड़ो की राजनीति का भी आरोप लगा है। इससे जुड़ा एक वीडियो भी पिछले दिनों खूब वायरल हुआ था।
पहले पार्टी ने कमल नाथ को मध्य प्रदेश कमेटी का मुखिया बनाया और अब प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया है ताकि वो प्रदेश में भ्रष्टाचार कर भारी कमाई कर सके और जनता का फायदा उठा सके। जिस तरह का कमल नाथ का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है उससे साफ़ है कि वो आने वाले दिनों मध्य प्रदेश में किस तरह की परिस्थितियों को जन्म देने वाले हैं। ये कुर्सी भी उन्हें इसलिए मिल रही है क्योंकि वो कांग्रेस के काफी करीब हैं।