चारा घोटाले के चार मामलों में सजा काट रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव अब जेल से बाहर आना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने झारखंड हाई कोर्ट में जमानत याचिका भी दाखिल कर दी है। उन्होंने जमानत याचिका दाखिल कर बेल की मांग की है। इसके लिए लालू ने अपनी बीमारी का हवाला देते हुए कहा है कि उन्हें इलाज के लिए जमानत दी जाये। एक नजर में तो लालू यादव का ये कदम साधारण सा लगता है लेकिन अगर इसकी गहराईयों में जायें तो ये राजनीति से प्रेरित नजर आता है। लोकसभा चुनाव पास आ रहे हैं ऐसे में यादव परिवार को पार्टी को मजबूत करने और चुनाव में पूरी तैयारी के साथ उतरने की चुनौती है। फिलहाल, यादव परिवार और पार्टी को लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव संभाल रहे हैं लेकिन तेजस्वी के सामने कई मुश्किलें हैं। ऐसे में उनके लिए पार्टी पर फोकस करना मुश्किल हो गया है। परिवार में चल रहे विवाद से पार्टी पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है ऐसे लालू प्रसाद यादव का जेल से बाहर आना जरुरी हो गया है।
लालू प्रसाद यादव का परिवार इस समय कई परेशानियों से गुजर रहा है। एक तरफ परिवार तेज प्रताप यादव और परिवार की बड़ी बहु ऐश्वर्या राय के बीच तलाक के मामले को लेकर परेशान है तो दूसरी तरफ यादव परिवार रेलवे टेंडर घोटाला, मिट्टी घोटाला जैसे आरोपों से जूझ रहा है। बता दें कि इसी साल अप्रैल में ईडी ने लालू प्रसाद यादव, उनके बेटे तेजस्वी यादव तथा पत्नी राबड़ी देवी व बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी समेत 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इसके अलावा तेजप प्रताप यादव पर मिट्टी घोटाले का आरोप है। फ़िलहाल तेजस्वी यादव ही अपने पिता की अनुपस्थिति में परिवार को संभाल रहे हैं।
ऐसे में लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव के सामने पार्टी को एकजुट रखने और परिवार के मतभेद को दूर करने और आम चुनावों के लिए पार्टी को मजबूत बनाये रखने की चुनौती है। हाल ही में लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे ने तेज प्रताप यादव ने अपनी पत्नी ऐश्वर्या राय को तलाक देने का फैसला कर चुके हैं और सिविल कोर्ट इस मामले की सुनवाई 29 नवम्बर में एक बार सुनवाई भी हुई जिसमें कोर्ट ने मामले को फ़िलहाल 8 जनवरी तक टाल दिया। यादव परिवार तेज प्रताप को मनाने के प्रयास कर रहा है लेकिन कोई सफलता हासिल नहीं हो रही है। तेजस्वी यादव और तेज प्रताप के बीच राजनीतिक वर्चस्व को लेकर तनाव से पहले ही परिवार परेशान था कि तेज प्रताप ने तलाक की अर्जी डालकर आग में घी डालने का काम किया। इसका असर अब पार्टी पर भी पड़ने लगा है। हालांकि, तेजस्वी यादव आपसी तनाव को भुलाकर अपने बड़े भाई से बात करने का प्रयास भी कर रहे हैं लेकिन यहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद तेजस्वी ने सरकारी बंगले को खाली करवाने वाले मुद्दे पर राजनीति शुरू की। उन्होंने इस मुद्दे का इस्तेमाल पार्टी कार्यकर्ताओं का ध्यान पारिवारिक कलह और आंतरिक फूट से भटकाने के लिए किया। हालांकि, उनका ये पैंतरा पार्टी के सदस्यों का ध्यान भटकाने में ज्यादा कामयाब नहीं हो पाया।
यही नहीं तेजस्वी के सामने राजद को फिर से मजबूती के साथ ऊपर उठाने का दायित्व है। बिहार की राजनीति में पहले ही जेडीयू और बीजेपी का मजबूत गठबंधन सबसे ऊपर चल रहा है ऐसे में राजद के समक्ष अन्य क्षेत्रीय पार्टियों को एकजुट कर महागठबंधन बनाने की चुनौती है। ये तभी संभव है जब लालू यादव जेल से बाहर होंगे। एक लालू ही हैं जो परिवार को भी एकजुट रख सकते हैं और राजद को भी बड़ी आसानी से संभाल सकते हैं। उनके जेल से बाहर आने से पतन की कगार पर खड़ी राजद पार्टी कोएक बार फिर से बिहार की राजनीति में मजबूती के साथ उभर सकती हैं। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव राजद के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं ऐसे में लालू यादव और उनका परिवार कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। शायद यही वजह होगी जिस वजह से लालू को किसी भी तरह से जेल से बाहर निकालने की कवायद तेज हो गयी है।