यूपी और बिहार को लेकर कमलनाथ के बयान पर मायावती ने अभी तक साधी हुई है चुप्पी

कमलनाथ मायावती कांग्रेस

PC: thelivemirror

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री का पद संभालते ही कमलनाथ ने विवादित बयान दे डाला, जिससे वो चारों तरफ से घिर गए है। यही नहीं समाजवादी पार्टी ने भी कांग्रेस पर हमला किया है लेकिन मायावती चुप हैं। कमल नाथ ने मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद अपनी पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि, “निवेश के लिए छूट दिए जाने की हमारी नीति उन्हीं उद्योगों के लिए होगी, जहां 70 फीसदी रोजगार मध्य प्रदेश के युवाओं को दिया जाएगा।“ कमलनाथ के इस बयान पर नाराजगी जताते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा “ये गलत है। मध्य प्रदेश से पहले महाराष्ट्र में भी नौकरी और रोजगार करने वाले दूसरे प्रांत के लोगों को भगाया जा रहा था। दिल्ली से भी इसी तरह की आवाज आ रही थी। अब उत्तर प्रदेश-बिहार के लोगों पर लिया गया कमलनाथ सरकार का फैसला और बयान गलत है।” ये बात अखिलेश यादव ने मीडिया से बातचीत में कही। हालांकि, यहां मायावती ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर ही नहीं की जिसका मतलब है कि शायद वो कमलनाथ के बयान से सहमती रखती हैं।

बता दें कि सिर्फ समाजवादी पार्टी ही नहीं है जिसने इस बयान की निंदा की है बल्कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा, “बिहारियों को निशाना बनाने का जो ट्रेंड चला रहा है वो लोकतंत्र के लिए खतरा है।” रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, “कमलनाथ का बयान मुनासिब नहीं है। बिहारी किसी पर बोझ नहीं हैं। बिहार के लोग जहां जाते हैं, वहां अपमानित होते हैं। फिर भी ये लोग जहां जाते हैं, वहां निर्माण में योगदान देते हैं।” बता दें कि हाल ही में उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए का साथ छोड़ा है और अब कयास लगाये जा रहे हैं कि वो जल्द ही महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं।

महागठबंधन में शामिल अधिकतर पार्टियों ने कमलनाथ के बयान की आलोचना की है लेकिन यूपी और बिहार की  किसी भी क्षेत्रीय पार्टी या लोगों ने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ कोई जरुरी कदम नहीं उठाया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव हो या बहुजन समाज पार्टी की मायावती दोनों ने ही सिर्फ बयान की आलोचना कर पल्ला झाड़ लिया लेकिन किसी ने भी कमलनाथ की इस टिप्पणी पर कोई सख्त कदम नहीं उठाया। जबकि ये यूपी की क्षेत्रीय पार्टियां ही हैं जिनके सहयोग की वजह से कांग्रेस प्रदेश में सरकार बनाने में सफल हो पायी। ये शर्मनाक है कि सपा और बसपा तब भी कांग्रेस के साथ है जो यूपी और बिहार के लोगों के प्रति गलत सोच रखते हैं।

स्पष्ट रूप से अखिलेश यादव और मायावती कोई भी कड़ा रुख अपनाना नहीं चाहते हैं इसी वजह से वो प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को अपना समर्थन जारी रखा है। यहां मायावती ने कोई प्रतिक्रिया न देकर और कई सवाल खड़े कर दिए हैं। बता दें कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने विधान सभा चुनाव में 114 सीटें जीती थीं और बहुमत के लिए 116 की जरूरत थी। ऐसे में मायावती ने कांग्रेस को अपना समर्थन देने का ऐलान किया था। साफ़ है मायावती के समर्थन के बिना कमलनाथ प्रदेश में सरकार बनाने में सफल नहीं हो पाते। यदि सच में मायावती को यूपी और बिहार के लोगों की चिंता है तो अब कुछ करने की जरूरत है और कांग्रेस पार्टी को एक सबक सिखाने की जरूरत है। ये सिर्फ कमलनाथ का बयान नहीं है बल्कि कांग्रेस पार्टी का अहंकार है जो यूपी और बिहार के लोगों का मजाक उड़ा रहा है।        

बीजेपी नेताओं के इसपर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा, “कमलनाथ लोगों के मन में जहर भर रहे हैं। कांग्रेस फिर से क्षेत्र, जाति, समुदाय और धर्म के नाम पर नफरत के बीज बोने शुरू कर दिए है।” बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय ने ट्वीट कर लिखा कि “बिहार के लोगों पर कांग्रेस नेता कमलनाथ का बयान घोर निंदनीय है। सत्ता में आये अभी दो दिन ही हुए कि कांग्रेस पार्टी का अहंकार नजर आने लगा है व उनका मूल चरित्र खोल से बाहर आने लगा है। कांग्रेस ने सत्ता संभालते ही मध्यप्रदेश में क्षेत्रवाद का बीज बोना शुरू कर दिया।“

इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कमलनाथ के इस बयान पर स्टडी करने के बाद कदम उठान एकी बात कही जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं है। कहीं न कहीं वो कमलनाथ के बयान से सहमत नजर आ रहे हैं। जिस तरह से महाराष्ट्र में राज ठाकरे यूपी और बिहार के लोगों के प्रति जहर फैलाते हैं वैसे ही अब कमलनाथ मध्य प्रदेश कर रहे हैं। स्पष्ट रूप से फिर भी बसपा का राज्य में गठबंधन का हिस्सा बने रहना राजनीतिक अवसरवाद का एक और उदाहरण है। शायद वो पार्टी के फायदे के लिए अभी तक चुप हैं और कांग्रेस का समर्थन कर रही हैं। इससे सवाल तो ये भी उठता है कि क्या पार्टी के फायदे के लिए मायावती ने अपने ही लोगों पर हुए वार को भुला देगी? स्पष्ट रूप से मायावती का ये कदम उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी के भविष्य का रास्ता तय करेगा। अब देखना ये होगा जनता क्या फैसला सुनाती है।

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