मोदी सरकार को मिली बड़ी सफलता, इंटरपोल ने मेहुल चौकसी के खिलाफ जारी किया रेड कॉर्नर नोटिस

मेहुल चौकसी इंटरपोल

PC: The Hindu

ऐसा लग रहा है, मानों देश के भगोड़ों के बुरे दिन चल रहे हैं। पहले ब्रिटिश नागरिक अगस्ता वेस्टलैंड मामले के कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल का प्रत्यर्पण होना, उसके बाद विजय माल्या का मौखिक सरेंडर होने के बाद अब ‘मामा-भांजे की जोड़ी’ यानी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की बारी है। इंटरपोल ने मेहुल चौकसी की गिरफ्तारी के लिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है। नीरव मोदी और मेहुल चोकसी पर देश के बैंकिंग सेक्टर में अब तक के कथित सबसे बड़ी धोखाधड़ी का आरोप है। इसके लिए मामा-भांजे ने पीएनबी से जाली हलफनामों और विदेशी ऋण पत्रों का सहारा लिया था।  

दरअसल मेहुल चोकसी और उसके भांजे नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक से 13 हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। मेहुल चोकसी ने साल की शुरुआत में ही एंटीगुआ की नागरिकता ले ली थी। अकेले चौकसी की कंपनी पर बैंक से 7 हजार रुपए की कथित धोखाधड़ी का आरोप है। इसे लेकर सीबीआई ने इंटरपोल में दोनों मामा-भांजे की गिरफ्तारी के लिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए याचिका दायर की थी। इसके बाद चोकसी ने भी रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की सीबीआई की अर्जी के खिलाफ अपील किया था। सीबीआई प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने कहा, ‘‘इंटरपोल ने सीबीआई के अनुरोध पर मेहुल चोकसी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है।” खबरों की मानें तो चोकसी ने आरोप लगाया है कि उसके खिलाफ यह मामला राजनीतिक षडयंत्र है। यही नहीं चोकसी ने भारत में जेलों की स्थिति, अपनी निजी सुरक्षा समेत स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर दुहाई देकर खुद पर कार्रवाई को रोकने और भारत को न सौंपने की अपनी की दलील भी दी थी।

खबरों की मानें तो इस मामलें की सुनवाई इंटपोल समिति की 5 सदस्यीय अदालत में हुई। बता दें कि रेड कॉर्नर नोटिस किसी एक देश के भगोड़े अपराधी के लिए एक तरह का अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट होता है। इसमें इंटरपोल अपने सदस्य देशों से उन्हें गिरफ्तार करने या फिर हिरासत में लेने का अनुरोध करता है।

इस मामले में सीबीआई ने मामा-भांजे के खिलाफ अलग-अलग आरोप पत्र दाखिल किया है। सीबीआई ने पिछले महीने अपने आरोप पत्र में बताया कि चोकसी ने 7,080.86 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की थी जो इस देश का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला है। इसमें अकेले नीरव मोदी ने कथित तौर पर 6,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।

वहीं दूसरी ओर चोकसी की कंपनियों पर 5,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज भी है। सीबीआई इस कर्ज की भी जांच कर रही है। अधिकारियों ने बताया कि ऐसा आरोप है कि नीरव मोदी और चोकसी ने अपनी कंपनियों के जरिए जाली हलफनामों और विदेशी ऋण पत्रों के जरिए दी गारंटी का इस्तेमाल कर भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं से ऋण लिया जो चुकाया नहीं गया। 

अब ऐसे में एक बार फिर से देश को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सफलता मिल रही है। इससे पहले क्रिश्चियन मिशेल और विजय माल्या का मामला भी सरकार की गिरफ्त में लगभग आ चुका है। इस बीच मामा-भांजे के प्रत्यर्पण के खिलाफ मिली ये सफलता कहीं न कहीं सरकार को मनोबल बढ़ाने के साथ-साथ विपक्ष के उन आरोपों पर भी ताला लगाएगा, जिनमें वो इस बात का आरोप लगाते रहते हैं कि सरकार भ्रष्टाचारियों के साथ है।

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