प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश को पुलों, सड़कों और रेलवे नेटवर्क के माध्यम से एक सूत्र में बांधने का जो सपना देखा था, उस सपने को साकार करने की दिशा में वो कल यानी 25 दिसंबर को एक कदम और आगे बढ़ाने जा रहे हैं। मंगलवार को मोदी असम के डिब्रूगढ़ में डबल डेकर रेल-रोड पुल ‘बोगीबील’ का उद्घाटन करेंगे। यह देश का सबसे लंबा रेल-रोड पुल है। इस पुल की लंबाई 4.94 किलोमीटर बताई जा रही है। मंगलवार को दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की वर्षगांठ भी है जिसे केंद्र सरकार द्वारा ‘सुशासन दिवस’ के रूप में बनाया जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि, यह पुल सामरिक दृष्टि से देश के लिए बेहद अहम है। इस पुल के बन जाने से भारतीय सेना अब पूरी तैयारी के साथ और बहुत कम समय में अरुणाचल से सटी चीन सीमा तक पहुंच सकती है।
बता दें कि, इस पुल का शिलान्यास 1997 में ही किया जा चुका था। उस समय एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री थे। इस पुल की नीव 2002 में रखी गई जब अटल जी प्रधानमंत्री बनें। लेकिन यह बोगीबील पुल कई कारणों से पूरा नहीं हो पाया था। इस बार केन्द्र सरकार की प्रतिबद्धता के चलते अब पुल आम जनता के लिए चालू होने जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि, पुल में कुल 5920 करोड़ रुपये की लागत आई है। बता दें कि, इस पुल से पहली मालगाड़ी 3 दिसंबर को गुजरी थी। इस पुल को अरुणाचल प्रदेश से सटी चीन सीमा तक विकास को गति देने के लिए तैयार किया गया है।
इंजीनियरों की मानें तो बोगीबील पुल इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना बताया जा रहा है। यह असम के डिब्रूगढ़ से लेकर अरुणाचल के धेमाजी जिले को जोड़ेगा। इससे असम से अरुणाचल प्रदेश तक यातायात में लगने वाला समय 10 घंटे कम हो जाएगा। पुल के बनने से डिब्रूगढ़-धेमाजी के बीच की दूरी मात्र 100 किमी रह जाएगी। अभी यह दूरी 500 किलोमीटर है। बोगीबील पुल के बारे में नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे के सीपीआरओ प्रणब ज्योति शर्मा ने कहा, “ब्रह्मपुत्र नदी पर पुल बनाना चुनौतीपूर्ण था। इस इलाके में बारिश ज्यादा होती है। सीस्मिक जोन में होने के चलते यहां भूकंप का खतरा भी होता है। पुल कई लिहाज से खास है।”
रेलवे द्वारा निर्मित इस डबल-डेकर पुल की खासियत यह है कि, इससे ट्रेन और गाड़ियां दोनों गुजर सकेंगी। इस पुल के ऊपरी तल पर 3 लेन की सड़क बनाई गई है। जबकि वहीं दूसरी ओर नीचे वाले तल (लोअर डेक) पर भी 2 ट्रैक बनाए गए हैं। इंजीनियरों की मानें तो इस पुल को इतनी मजबूती से बनाया गया है कि इससे मिलिट्री के टैंक भी निकल सकेंगे।
पीएम मोदी द्वारा कल देश को समर्पित होने वाला इस बोगीबील पुल के सामरिक महत्व पर प्रकाश डालें तो पाते हैं कि यह बोगीबील पुल कई मामलों में बेहद अहम है। दरअसल चीन भारत से सटे इलाकों में रेल नेटवर्क के माध्यम से जमीनी अतिक्रमण करने की फिराक में रहता है। चीन ने भी भारत से सटे इलाकों पर रेल और सड़क समेत बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर लिया है। पड़ोसी देश बार-बार सीमा पर उकसावे की हरकतों को भी अंजाम देने की फिराक में लगा रहता है। ऐसे में सामरिक दृष्टिकोण से यह बोगीबील ब्रिज काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
माना जा रहा है कि, इस पुल के बन जाने से भारतीय सेना अब पूरी तैयारी के साथ और बहुत कम समय में अरुणाचल से सटी चीन सीमा तक पहुंच सकती है। यह पुल इस लिहाज से भी जरुरी है क्योंकि रेल सेवा धेमाजी के लोगों के लिए बहुत जरूरी हो चुकी है। यहां मुख्य अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और हवाई अड्डा डिब्रूगढ़ में हैं। इसलिए इससे ईटानगर के लोगों को भी इस पुल के चालू हो जाने का फायदा होगा क्योंकि यह इलाका नाहरलगुन से केवल 15 किलोमीटर की दूरी पर है। बता दें कि भारत-चीन सीमा करीब 4 किलोमीटर लंबी है। पीएम मोदी इस पुल को देश को समर्पित कर देश की सुरक्षा और विकस में एक ठोस कदम रख रहे है।